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धारा 353 रद्द करने की यशोमती की मांग

विधानसभा में ध्यानाकर्षण

अमरावती/दि.26- तिवसा की विधायक तथा कांग्रेस नेता यशोमती ठाकुर ने जन प्रतिनिधियों द्वारा अधिकारियों को जनहित के कार्य के बारे में पूछने, मांग करने के लिए जाते समय उन पर सरकारी कामकाज में बाधा की धारा 353 के तहत दर्ज होते अपराध का विषय आज राज्य विधानसभा में ध्यानाकर्षण के जरिए उपस्थित किया. एड. ठाकुर ने यह धारा तुरंत रद्द करने की मांग सदन में कर डाली. उन्होंने यह भी कहा कि जनता के काम जानबूझकर प्रलंबित करने वाले और जन प्रतिनिधियों को सहकार्य नहीं करने वाले अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है. यह सरासर गलत है.
विधायक महोदया ने सवाल उठाया कि सामान्य नागरिकों के प्रलंबित कार्य का निपटारा करने अथवा विकासकामों की बाधाओं के बारे में पूछना गुनाह है क्या? उन्होंने बताया कि 353 के अनेक अपराध कई नुमाइंदों पर अनेक स्थानों पर दर्ज है. जिसमें पांच वर्ष की सजा का प्रावधान है. किन्तु लोगों के काम अड़ाकर रखने वाले और विकासकामों में समय जाया करने की नीति अपनाने वाले अधिकारियों पर इसी आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होती, यह बात उनकी समझ के परे है. एड. ठाकुर ने कहा कि इसका मतलब सरकार ने अफसरान को जनप्रतिनिधियों से अलग केटेगरी में रखा है क्या? इस बारे में आज तक कोई नीतिगत निर्णय नहीं किया गया. ठाकुर ने धारा 353 रद्द करने की मांग की.

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