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चिखलदरा कॉफी की समूचे राज्य में मांग

सरकारी अनदेखी का शिकार है कॉफी बागान

अमरावती/दि.22- यदि समूचे महाराष्ट्र राज्य का विचार किया जाये, तो संभवत: अमरावती जिले के चिखलदरा क्षेत्र में ही सर्वाधिक काफी उत्पादित की जाती है. साथ ही चिखलदरा में उत्पादित होनेवाली कॉफी की समूचे राज्य में जबर्दस्त मांग भी है और इस कॉफी के अलग स्वाद को अच्छा-खासा पसंद भी किया जाता है. किंतु इन दिनोें चिखलदरा के कॉफी बागान सरकारी अनदेखी व उदासिनता का शिकार है. ब्रिटीश राज के दौरान अंग्रेज अधिकारियों ने यहां के अनुकूल मौसम को देखते हुए इस पर्वतीय क्षेत्र में काफी बागान स्थापित किये थे. किंतु अंग्रेजों के जाते ही यह बागान सरकारी उदासिनता व अनदेखी का शिकार हो गये. अन्यथा यहां के किसानों के पास कॉफी के रूप में आय का नया पर्याय उपलब्ध हो सकता था.
बता दें कि, विदर्भ के उष्ण वातावरण से राहत व छूटकारा पाने हेतु अंग्रेज अधिकारियों ने ठंडी हवावाले स्थान चिखलदरा की खोज की थी और इस पर्वतीय स्थल को हिल स्टेशन के तौर पर विकसित किया गया. इसी दौरान इस क्षेत्र में काफी के उत्पादन हेतु मौसम अनुकूल रहने की बात ध्यान में आने पर अंग्रेज अधिकारियों ने इस परिसर में कॉफी के उत्पादन की शुरूआत की. जिसके चलते आज भी इस परिसर के कई क्षेत्रों में कॉफी के बागान है.
बता देें कि, कॉफी के पौधों को सीधी धूप सहन नहीं होती और कॉफी के पौधे बडे-बडे वृक्षों की छाया में पनपते है. ऐसे में इस समय जिन-जिन क्षेत्रों में काफी के बागान है, उन सभी क्षेत्रों में आम व बरगत जैसे सदाहरीत वृक्ष भी है, जिनकी छायातले कॉफी के बागान विकसित है. जानकारी के मुताबिक ब्रिटीश राज के दौरान रॉबीन्स नामक अंग्रेज अधिकारी द्वारा वर्ष 1820 में चिखलदरा के 60 से 70 हेक्टेयर क्षेत्र में काफी का बागान लगाया गया था, जो आज भी जस का तस है. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, अंग्रेजों द्वारा लगाये गये इस कॉफी बागान पर आज भी यहां के आदिवासी युवाओं को रोजगार मिलता है. किंतु यदि इन बागानों के दायरे को बढाया जाता है और यदि इन बागानों को राजाश्रय दिया जाता है, तो स्थानीय लोगों को बडे पैमाने पर रोजगार मिल सकता है.
*चिखलदरा में उत्पादित होती है अरेबिका कॉफी
अमूमन कॉफी के अरेबिका व रोबस्टा जैसे दो प्रकार होते है. जिसमें से चिखलदरा परिसर में अरेबिका कॉफी का उत्पादन होता है. इस कॉफी के नियमित सेवन से वजन कम होता है, ऐसा दावा किया जाता है. चिखलदरा परिसर में अरेबिका कॉफी का सालाना 20 से 25 क्विंटल उत्पादन होता है. यहां पर 300 रूपये प्रति किलो की दर से कॉफी बीज व 500 रूपये प्रति किलो की दर से कॉफी पाउडर की बिक्री की जाती है और यह कॉफी पाउडर स्थानीय व्यापारियों के जरिये मुंबई व बंगलुरू जैसे बडे महानगरों में भी भेजा जाता है.

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