अमरावती

मुख्यमंत्री से ‘धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून’बनाने की मांग!

हिन्दू जनजागृति समिति के शिष्टमंडल को मुख्यमंत्री का सकारात्मक प्रतिसाद

अमरावती- दि.24 पालघर जिले के डहाणु के उपरांत अहमदनगर जिले में भी आदिवासी महिलाओं के धर्मांतरण की धक्कादायक घटना सामने आई हैं. हाल ही में संभाजीनगर में भी एक पाद्री ‘चंगाई सभा ’में सार्वजनिक रूप से गंभीर रोग ठीक करने का दावा करते दिखाई दिया धर्मांतरण के प्रयास की ये घटनाएं केवल हिमशिखर हैं, राज्य में बड़ी संख्या में गुप्त रूप से धर्मांतरण की घटनाएं हो रही हैं. इसके पूर्व राज्य में कांग्रेस के शासन में महिलाएं एवं लड़कियां लापता होने की घटनाओं के विषय में निवृत्त न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी की समिति गठित की गई थी. इस समिति ने 29 नवंबर 2014 को महाराष्ट्र शासन से ‘धर्मांतरण विरोधी कानून’ बनाने की सिफारिश की थी. इसका शासन तत्काल क्रियान्वयन करे तथा राज्य में कठोर ‘धर्मातरण प्रतिबंधक कानून’ लागू किया जाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मिलकर की. इस समय मुख्यमंत्री ने सकारात्मक प्रतिसाद दिया, ऐसी जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ राज्य संगठक सुनील घनवट ने पत्रकार परिषद में दी. वे ‘मुंबई मराठी पत्रकार संघ में आयोजित पत्रकार परिषद में बोल रहे थे.
इस समय उनके साथ अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासंघ के कार्याध्यक्ष डॉ. विजय जंगम, सनातन संस्था की प्रवक्ता नयना भगत तथा समिति के मुंबई, ठाणे व रायगड जिला समन्वयक सागर चोपदार उपस्थित थे. इस समय घनवट ने कहा कि ‘अपंग चलने लगेगा’, ‘नेत्रहीन को दिखाई देने लगेगा’, ‘बहरा सुनने लगेगा’ आदि झूठा प्रचार करनेवाली ‘चंगाई सभाएं’ राज्य में बढ़ गई हैं सभाओं में भोलेभाले हिन्दुओं को ईसाई धर्म में धर्मातरित किया जाता है. फरार आतंकवादी डॉ.जाकिर नाईक की ‘ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ के रिजवान खान तथा अरशद कुरेशी को कुछ वर्ष पूर्व कल्याण से बंदी बनाया गया था. इन दोनों ने लगभग 700 हिन्दुओं को बहला-फुसलाकर इस्लाम में धर्मांतरित किया, ऐसा आतंकवाद विरोधी दल की जांच में स्पष्ट हुआ.देश में प्रतिवर्ष 10 लाख हिन्दू धर्मांतरित हो रहे हैं. हिन्दुओं का धर्मांतरण एक बड़ा राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र है.नागालैंड, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर जैसे राज्य ईसाई बहुल हो चुके हैं.भारत में हिन्दू 9 राज्यों में अल्पसंख्यक हो चुके हैं. इनमें से कुछ राज्यों में ‘स्वतंत्र देश’ घोषित करने की मांग उठने लगी है. वीर सावरकर ने कहा था, ‘धर्मातरण राष्ट्रांतरण है’, यही इन घटनाओं से साकार होता दिखाई दे रहा है.
हाल ही में पुणे जिले से 840 महिलाएं लडकियां लापता होने की घटना सामने आई.‘नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2018 में महाराष्ट्र से 18,901 महिलाएं-लड़कियां लापता हुई थीं.ये लड़कियां जाती कहा हैं? ‘लव जिहाद’ में फंस जाती हैं. खाड़ी देशों में बेची जाती हैं, विवाह का प्रलोभन दिखाकर वेश्या व्यवसाय में धकेल दी जाती हैं, अथवा और कुछ होता है, इसकी जांच होनी चाहिए.इसी विषय में तत्कालीन नि. न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी समिति ने मध्यप्रदेश तथा ओडिशा राज्य की पृष्ठभूमि पर महाराष्ट्र में भी धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून लागू करने की सिफारिश शासन से की थी. आज देश में उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ,अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश,गुजरात, उत्तराखंड, ओडिशा, झारखंड, कर्नाटक इन 10 राज्यों में ‘धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून’ है. गोवा में भी इसे लागू करने की संभावना है. इसलिए महाराष्ट्र मेंं भी यह कानून तत्काल लागू किया जाए, ऐसी मांग घनवट ने इस समय की.

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