भेदभाव झेल रहा क्षेत्र
शीत सत्र से अनेक अपेक्षा
नागपुर-/दि.15 बरसों से औद्योगिक क्षेत्र में पीछे रहे विदर्भ के लिए देवेंद्र फडणवीस सरकार के समय बनाई गई इंटर रिजनल कमेटी की औद्योगिक विकास संबंधी रिपोर्ट लागू करने की मांग शीत सत्र के मद्देनजर उद्योग जगत कर रहा हैं. अमरावती संभाग मेें विशेष रुप से बडे उद्योंगों का अभाव हैं. अब तक मात्र 13 प्रतिशत निवेश हुआ हैं उसमें भी पश्चिम विदर्भ काफी पीछे रह जाने से यहां के लोगों में भावनाएं तीव्र हो रही. उसी प्रकार मौजूदा उद्योगों को भी घोषित सुविधाएं और सबसीडी नहीं मिलने के भी आरोप लगते रहे हैं.
विदीर्भ-मराठवाडा पिछडा
तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कोई 6 साल पहले नागपुर के विभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में अंतर विभागीय समिति बनाई थी. अमरावती व औरंगाबाद के विभागीय आयुक्त इस समिति में सहायक अध्यक्ष थे. एमआयडीसी के क्षेत्रीय संचालक और विभागीय मुख्य अभियंता एवं 6 जिलों के उद्योगपतियों को विशेषज्ञ सदस्य बनाया गया था. इस समिति में क्षेत्र के औद्योगिक रुप से पिछडने के कारणों की मीमांसा की. विस्तार से अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट विगत जनवरी 2019 में ही पेश कर दी फिर चुनाव घोषित हो गए. पश्चात सरकार बदल गई.
नेताओं की कार्यप्रणाली
समिति ने अपनी रिपोर्ट में अनेक तथ्यों को अधोरेखित किया. जिससे यह भी साबित हुआ कि, पश्चिम महाराष्ट्र के नेताओं की कार्यप्रणाली से विदर्भ को पिछडा रखा गया. रिपोर्ट में विदर्भ और मराठवाडा अलग से औद्योगिक और व्यापार परिषद स्थापित करने की सिफारिश की गई थी. यह परिषद 10 वर्षो की कालबद्ध योजना तैयार कर प्रत्येक संभाग में 800 से 1000 नए उद्योग स्थापित करने की बात कही गई थी. रिपोर्ट के अनुसार विदर्भ-मराठवाडा को 2500 करोड रुपए का इंसेंटिव नगण्य बताया गया. यहां उद्योग आकर्षित नहीं होने के कारण भी बताए गए सुविधा बढाने पर जोर दिया गया.
मविआ ने डाला ठंडे बस्ते में
अमरावती में उद्योगों को आकर्षित करने सुविधाएं बढाने की सिफारिश रिपोर्ट में की गई थी. मगर तत्कालीन मविआ सरकार ने इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया