मतदान के जरिए ही लोकतंत्र हो सकता है समृद्ध
निबंधों का पुस्तक स्वरुप में किया गया संकलन
* मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने की उपक्रम की प्रशंसा
अमरावती /दि.30– मतदान का प्रतिशत बढे, प्रत्येक नागरिक मतदान करते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन करें और इस जरिए लोकतंत्र को और अधिक मतबूत करें, इस हेतु जिला प्रशासन द्वारा महाविद्यालयीन स्तर पर ‘मैं मतदान क्यों करुं?’ विषय पर निबंध स्पर्धा आयोजित की थी. जिसमें 350 से अधिक विद्यार्थियों ने सहभाग लिया था. इस जरिए लोकतंत्र को लेकर युवाओं ने अपने आचार-विचार एवं सोच को अधोरेखित किया. वहीं प्रशासन ने इससे भी एक कदम आगे बढते हुए इन निबंधों का पुस्तक स्वरुप में संकलन किया है. यह उपक्रम राज्य में एकमात्र साबित हुआ. जिसके लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीकांत देशपांडे ने भी इस उपक्रम हेतु जिला प्रशासन की प्रशंसा की है.
भारतीय लोकतंत्र को समृद्ध करने की शक्ति मतदाताओं के पास होती है. ऐसे में मतदाताओं ने लोकतंत्र एवं संसदीय शासन प्रणाली को और अधिक सुदृढ करने हेतु मतों का योग्य प्रयोग करना चाहिए. इस सोच के तहत मतदाता पंजीयन अधिकारी अनिलकुमार भटकर ने इस निबंध स्पर्धा का आयोजन किया था. जिसमें 350 महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया. इसमें से चुनिंदा 36 निबंधों का संकलन किया गया और उन्हें पुस्तक स्वरुप में प्रकाशित भी किया गया. साथ ही उपलब्ध निबंधों का परिक्षण कर उकृष्ठ निबंधों को पुरस्कार भी घोषित किये गये.
जिलाधीश सौरभ कटियार, पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी ने विश्व मतदाता दिवस का औचित्य साधते हुए इस निबंध ग्रंथ की प्रशंसा की. ‘मतदान-लोकतंत्र का समृद्ध मार्ग’ नामक इस पुस्तक की निर्मिति हेतु डॉ. श्रीकांत पाटिल, डॉ. अंबादास घुले, डॉ. प्रशांत भगत व प्रा. वैभव जिसकार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बता दें कि, मतदाता जनजागृति के लिए मतदान का जागर, पाथनाट्य, जागर रैली, घोषवाक्य व निबंध स्पर्धा जैसे नानाविद उपक्रम चलाये जा रहे है.
* विद्यार्थियों के अंतस की आवाज
‘मतदान-लोकतंत्र का समृद्ध मार्ग’ इस पुस्तक को संकलित करते समय प्रत्येक निबंध विषय एवं आशय की दृष्टि से महत्वपूर्ण है और हर निबंध संबंधित विद्यार्थियों के अंतस की आवाज है. सभी विद्यार्थियों ने मतदान की प्रक्रिया को लेकर पूरी सिद्धत के साथ अपने विचार रखे है. मतदाता के अधिकार, कर्तव्य व निष्ठा के साथ ही भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने हेतु योग्य जनप्रतिनिधि का चयन करना इन निबंधों के जरिए अधोरेखित हुआ है. इसके चलते यह केवल एक पुस्तक नहीं है, बल्कि इसे विद्यार्थियों के अंत:करण की आवाज माना जा सकता है.
– अनिलकुमार भटकर,
मतदाता पंजीयन अधिकारी,
अमरावती.