रैपिड एनोसोन टेस्ट करते ही किया जा रहा है डेेंगू का इलाज
इस वर्ष डेेंगू के मरीजो की संख्या 104, मनपा क्षेत्र मेें 56 मरीज
एलाइसा जांच आवश्यक, वर्तमान मेें वायरल फीवर के मरीज अधिक
अमरावती/दि.14 –इस वर्ष बारिश काफी अधिक होने से और वर्तमान मेें मौसम मेें हो रहे बदलाव के चलते शहर सिहित संपूर्ण जिले मेें वायरल फीवर के साथ डेेंगू के मरीज भी कुछ मात्रा मेें पाए जाए रहे है. लेकिन अनेक स्थानोें पर डेेंगू की प्राथमिक रैपिड एनोसोन जांच कर बुखार पाए जाने पर ही मरीजो पर डेेंगू का उपचार किया जा रहा है. इस वर्ष 1जनवरी से 14 अक्टूबर तक केवल 104 मरीज पाए जाने की जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय से प्राप्त हुई है. इनमेें मनपा क्षेत्र मेें 56 और जिले के ग्रामीण क्षेत्र मेें 48 मरिजो का समावेश है. अधिकारियोें ने बताया कि स्वास्थ्य यंत्रणा द्वारा इस वर्ष कोरोना की पाबंदिया हटने के बाद 1 जनवरी से लगातार जनजागरण के अलावा मनपा क्षेत्र सहित ग्रामीण क्षेत्र मेें सर्वेेक्षण चलाया जा रहा है. साथ ही एलाइसा (आईजीएम) जांच भी की जा रही है. इस जांच मेें संबंधित मरीज पॉजिटिव आने पर उस पर डेेंगू का उपचार किया जाता है. पिछले वर्ष कोरोनाकाल मेें सभी स्वास्थ्य कर्मी कोरोना वैक्सिनेशन मेें लगे रहने के कारण िजिले मेें सर्वेेक्षण नहीं हो पाया था. इस कारण वर्ष 2021 मेें कुल 566 डेेंगू के मरीज पाए गए थे. इनमेें मनपा क्षेत्र के 286 और ग्रामीण क्षेत्र के 280 मरीज थे.
संभ्रांत क्षेत्र मेें अधिक खतरा
जिला मलेरिया कार्यालय ने बताया कि डेेंगू का प्रकोप सर्वाधिक पॉश इलाके मेें रहता है. जहां अभी भी कुलर लगे हुए है और उसे साफ न किए जाने के कारण मच्छरोें का प्रकोप होता है. इसके अलावा घर मेें पानी की टंकी नियमित साफ न करने, पौधो की कुंडी मेें बारिश का पानी जमा रहने, रसोईघर मेें रखे फ्रीज के पीछे की ट्रे का पानी नियमित न निकालने, परिसर की नाली अथवा गटर मेें पानी जमा रहने और बारिश का पानी सडकोें पर गड्ड्ढो मेें जमा रहने से मचच्छरोें की उत्पत्त्ति होती है और डेेंगू का प्रादुर्भाव होता है.
ऐसे करेें उपाययोजना
जिनके घरो मेें पौधो की कुंडियां, पानी की टंकी, कुलर मेें पानी भरा पडा है. उसे तत्काल खाली कर एक दिन के किे लिए सूखा रखना चाहिए. ताकि मच्छरो का जीवनचक्र तोडा जा सके. साथ ही जहां बर्तन अथवा कपडे धोये जाते और वह परिसर भी साफ रखना चाहिए.
प्रशासन द्वारा जारी है जनजागरण
डेेंगू के मरीजो की संख्या न बढ़ने और उसके नियंत्रण के लिए जिला मलेरिया कार्यालय द्वारा मनपा क्षेत्र सहित ग्रामीण क्षेत्रो मेें पैराथ्रोम नामक किटकनाशक का धुएं का छिडकांव, गटर और नालियोें मेें टेमीफॉस द्रव्य का इसमेें इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही मच्छरो को मारने नालियोें मेें काला ऑईल डाला जाता है. जिससे पानी मेें ऑईल का थर उपरी सतह पर जमते ही मच्छरो को ऑक्सीजन न मिलने से नाश हो जाता है. इसके अलावा गांव-गांव मेें प्रशासन द्वारा शालाओें के छात्रोें के माध्यम से प्रभातफेरी, ग्रामसभा, सर्वेेक्षण व मार्गदर्शन कर जनजागरण किया जाता है.
ऐसे रहते है डेंग्ाूू के लक्षण
डेंगू बीमारी दूषित एडिस मच्छरो के जरिये फैलती है. मच्छर कांटने के बाद बुखार आना, सिर दुखना, सिर के पिछले भाग में दर्द होना, संपूर्ण शरीर दुखने के लक्षण दिखाई देते है, ऐसे लक्षण पाये जाने पर स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से जांच कर लेना चाहिए और नियमित औषधोपचार करना चाहिए. साथ ही घर में जमा हुआ पानी पूरी तरह साफ कर बर्तन ढककर रखना चाहिए. बारिश का पानी जमा रहा तो, उसे प्रवाहित करे, सप्ताह में एक दिन पानी के बर्तनों को सुखा रखे, पानी की टंकी, परिसर की कुंडी, टायर आदि में बारिश का पानी जमा न होने दे, पानी में मच्छर दिखाई देने पर उसे फेंक दे और मच्छरदानी का इस्तेमाल कर कही भी मच्छर न हो इसका ध्यान रखे
– डॉ. शरद जोगी, जिला मलेरिया अधिकारी