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सूचना अधिकार से सामने आयी जानकारी
अमरावती/दि.17 – पुरोगामी समझे जाने वाले महाराष्ट्र राज्य में प्राथमिक शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण यहां का कामकाज केवल 57 फीसदी प्रभारी अधिकारियों के माध्यम से ही चलने की सनसनीखेज जानकारी चंद्रकांत अणावकर ने द्गसूचना अधिकारद्घ व्दारा प्राप्त की जानकारी से सामने आयी है.
बताया जाता है कि राज्य शिक्षा आयुक्त कार्यालय के जन माहिती अधिकार तथा सहायक अधीक्षक सुधीर साने ने दी जानकारी के अनुसार राज्य में प्राथमिक विभाग में शिक्षाधिकारियों की 144 पदे मंजूर है लेकिन उसमें से केवल 99 शिक्षाधिकारी कार्यरत है. 45 पद रिक्त है, यानि 31.75 प्रतिशत पद रिक्त है.
उपशिक्षाधिकारी व गुटशिक्षाधिकारी यह समान श्रेणी के पद है. महाराष्ट्र में कुल 615 पद मंजूर है, लेकिन उसमें से केवल 299 पद भरे गए और 386 पद रिक्त है. याने 62.76 प्रतिशत पद रिक्त है. शिक्षाधिकारी, उपशिक्षाधिकारी व गुटशिक्षाधिकारियों की कुल 759 पदों को मंजूर है, लेकिन 328 पद भरे गए है. 56.78 प्रतिशत अधिकारियों के पद रिक्त है. प्रभावी प्रशासन की दृष्टि से रिक्तों पदों की संख्या काफी बडी है. उपशिक्षाधिकारी व गुटशिक्षाधिकारियों की रिक्त रहने वाले 386 राजपत्रित दर्जे के पद पर शिक्षा विस्तार अधिकारी प्रभारी अधिकारी के रुप में कामकाज देख रहे है. शिक्षा विस्तार अधिकारी यह अध्ययन अध्यापन क्षेत्र के पर्यवेक्षीय पद होने से प्रशासन व कार्यासन के लिए जरुरी रहने वाला ज्ञान व अनुभव उनके पास नहीं रहाता. इतना ही नहीं तो उन्हें उपशिक्षाधिकारी व गुटशिक्षाधिकारी पद के लिए जरुरी प्रशिक्ष भी नहीं दिया जाता. परिणाम स्वरुप महाराष्ट राज्य में प्राथमिक शिक्षा विभाग का प्रशासकीय कारोबार केवल 57 प्रतिशत प्रभारी अधिकारियों व्दारा ही किया जाता है. महाराष्ट्र के तहसील व जिला शिक्षा विभाग स्तर पर स्कूल व शिक्षकों की समस्याओं बढती ही जा रही है.
राज्य की प्राथमिक शिक्षा विभाग पर्यवेक्षक यंत्रणा की स्थिति खस्ताहालत बन हुई है. इसका प्राथमिक स्कूलों के कामकाज पर विपरित परिणाम हो रहा है. पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के लिए राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार ने 14 नवंबर 1994 के शासन निर्णय के अनुसार क्रांतिकारण निर्णय लेकर महाराष्ट्र में 4860 केंद्र प्रमुख पद की निर्मिती की उसमें से अब 2574 पद कार्यरत है तथा 2286 पद रक्त है. यानि महाराष्ट्र में केंद्र प्रमुखों की 47 प्रतिशत पद रिक्त है. इन रिक्त पदों के कारण कही जगह पर दो तो कही जगह पर तीन केंद्र का कामकाज कार्यरत केंद्र प्रमुखों को देखना पड रहा है. अतिरिक्त काम का बोझ बढने से केंद्र प्रमुखों को बडी परेशानी का सामना करना पड रहा है. फलस्वरुप महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा विभाग के प्रशासकीय स्तर के स्कूल व शिक्षकों की गुणवत्ता पर दुष्परिणाम हो रहा है.