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विभागीय उपनिबंधक ने ठुकराये बायलॉज संशोधन

जिला सहकारी बैंक उपविधि प्रकरण

* सत्ताधारियों को तगडा झटका!
* उपाध्यक्ष बोले- कोर्ट जाएंगे
अमरावती /दि.21– अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के बॉयलॉज में सत्ताधारियों द्वारा किये गये संशोधन विभागीय सहनिबंधक ने नामंजूर कर दिये. जिससे सत्तापक्ष पदाधिकारियों को जोरदार झटका माना जा रहा है. दूसरी ओर उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे ने सहनिबंधक के निर्णय को कोर्ट में ललकारने की बात कही है. उधर विरोधियों ने बहुमत का दावा कर सहनिबंधक के निर्णय को योग्य बताया है.
जानकारी के अनुसार बॉयलॉज में संशोधन के विरोध में हरिभाउ मोहोड और अन्य 12 संचालकों ने सहकारिता मंत्री के पास अपील की थी. उपविधि का मामला सहकारिता मंत्री, उच्च न्यायालय और विभागीय सहनिबंधक के पास सुना जा रहा था. गत लगभग वर्ष भर से सुनवाई हो रही थी. संचालकों द्वारा दर्ज कराये गये आक्षेप के कारण बॉयलॉज संशोधन मान्यता के बारे में निर्णय देने के लिए उच्च न्यायालय ने सहकारिता मंत्री एवं विभागीय सहनिबंधक के पास पुनर्विचार के लिए भेजा था.
विभागीय सहनिबंधक प्रवीण फडणीस ने गत 17 जनवरी को महाराष्ट्र सहकारी संस्था अधिनियम 1960 की धारा 13 (2) (3) सहकारिता व वस्त्रोद्योग विभाग के आदेश के अधीन रहते बॉयलॉज संशोधन प्रस्ताव को कानून से विसंगत बताकर उसे ठुकरा दिया. जिला बैंक के संदर्भ में यह निर्णय सहकारिता क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
संचालक हरिभाउ मोहोड ने कहा कि, बैंक के सत्ताधीशों ने वार्षिक आमसभा में बॉयलॉज संशोधन का प्रस्ताव ही गैर कानूनी है. बैंक ने बॉयलॉज संशोधन को मान्यता देने की विनती की थी. दोनों पक्षों को सुनने के बाद तत्कालीन सहनिबंधक ने 13 अक्तूबर 2023 को बैंक की उपविधि के प्रस्ताव को दी गई मान्यता अस्वीकार कर ली थी. विभागीय सहनिबंधक ने संशोधन के प्रस्ताव पर कार्यालय स्तर पर 9 अक्तूबर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक 19 बार सुनवाई ली. उपरान्त प्रस्ताव ठुकरा दिया. हरिभाउ मोहोड की तरफ से एड. नीलेश गावंडे ने प्रभावी युक्तिवाद किया.

* कानूनन अपील करेंगे
जिला बैंक के उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे से बात की तो उन्होंने बॉयलॉज संशोधन प्रस्ताव ठुकराने के फैसले को कानूनन चुनौती देने की बात कही. वे अदालत में अपील करेंगे.

* कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
जिला बैंक संचालक रवींद्र गायगोले ने आरोप लगाया कि, उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने बैंक को नीतिगत निर्णय लेने से रोका था. फिर भी कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर अवमानना की गई थी. इस बारे में भी कोर्ट में जाएंगे.

* आर्थिक व्यवहार का ऑडिट करें
बैंक के भूतपूर्व अध्यक्ष और संचालक बबलू देशमुख ने विभागीय सहनिबंधक के निर्णय का स्वागत किया. उन्होंने आरोप लगाया कि, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित केवल 7 संचालक ने अल्पमत में रहने पर भी नियमबाह्य निर्णय किये बैंक की उपविधि में बदलकर कुछ लोगों का हित साधा गया. बैंक के नियमों का पालन न करते हुए स्वहित के फायदे हेतु बहुमत के विरोध में जाकर किये गये फैसले आखिर गलत निकले. बबलू देशमुख ने बैंक की अवस्था दयनीय हो जाने और अंधाधुंध कामकाज का आरोप किया. उन्होंने सरकार से नियम 83 के तहत जांच करते हुए आर्थिक व्यवहार का ऑडिट करवाने की मांग की. उन्होंने इसमें बडा घपला बाहर निकलने का दावा किया.

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