गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले सरकारी योजनाओं से वंचित
वर्ष 2002 के बाद गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों का सर्वेक्षण ही नहीं हुआ
अमरावती-/दि.6 किसी भी सरकारी योजना पर अमल करते समय सबसे पहले उन योजनाओं का लाभ गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों को दिये जाने का प्रावधान किया गया था. परंतू अब इन योजनाओं को आर्थिक मानकों के आधार पर भी चलाया जाता है. इससे पहले वर्ष 2002 में केंद्र सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों का सर्वेक्षण करवाया था. इसके बाद वर्ष 2011 में यह सर्वेक्षण होना अपेक्षित था. परंतु बीस वर्ष बीत जाने के बाद भी गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों का सर्वेक्षण नहीं हुआ. ऐसे में कहा जा सकता है कि, गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करनेवाले अधिकांश परिवार आज भी सरकारी योजनाओं से वंचित है.
उल्लेखनीय है कि, जिन परिवारों की वार्षिक आय बेहद अत्यल्प रहती है, ऐसे परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे माना जाता है और बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति रहनेवाले इन परिवारों को विविध सरकारी योजनाओें का लाभ दिया जाता है. वर्ष 2002 में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक अमरावती जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों की संख्या 2 लाख 8 हजार 98 है, वही शहरी क्षेत्र में ऐसे परिवारों की संख्या 55 हजार 433 है. वर्ष 2002 में हुए सर्वेक्षण के अनुसार गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों की सूची तैयार की गई थी. परंतु इसके बाद आज तक ऐसा कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ. जिसके चलते जहां एक ओर विगत 20 वर्षों के दौरान आर्थिक स्थिति सुधर जाने के बावजूद भी उस सूची में शामिल कई परिवार विविध सरकारी योजनाओं का सालोंसाल से फायदा ले रहे है. वहीं दूसरी ओर इन 20 वर्षों के दौरान गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले किसी नये व्यक्ति या परिवार का नाम इस सूची में नहीं जुड पाया है. जिसकी वजह से ऐसे लोग गरीबों के लिए बनाई गई सरकारी योजनाओं से पूरी तरह वंचित है.
सन 2002 में हुआ था सर्वेक्षण
वर्ष 2002 में गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों का सर्वेक्षण किया गया था. उस समय जिले में कुल 2 लाख 63 हजार 531 परिवार गरीबी रेखा के नीचे थे. परंतु इसके बाद इस तरह का कोई सर्वेक्षण ही नहीं हुआ.
गरीबी रेखा से नीचे गये नये परिवारों का क्या?
सरकारी योजनाओं का लाभ अब आर्थिक मानकों के आधार पर दिया जा रहा है. प्रत्येक योजना के लिए न्यूनतम वार्षिक आय कितनी हो, इसका मानक तय किया गया है. ऐसे में गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों के पास यदि इससे संबंधी कार्ड या प्रमाणपत्र नहीं है, तो उन्हें इस योजना का लाभ ही नहीं दिया जाता.
गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों को मिलते है ये लाभ
सरकार की विविध योजनाओं पर अमल करते समय पहली प्राथमिकता के साथ गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों का विचार किया जाता है. जिसमें नि:शुल्क अनाज, खेत खरीदी, कुएं की खुदाई, विद्युत मीटर कनेक्शन तथा गृह उद्योग सहित विविध योजनाओं के लिए लाभ मिलता है.
20 वर्ष में केवल 43 परिवारों ने किया ‘गिव इट अप’
नि:शुल्क धान्य वितरित करते समय आपूर्ति विभाग ने ‘गिव इट अप’ नामक योजना भी चलाई थी, ताकि जो परिवार गरीबी रेखा से उपर आ चुके है, वे खुद होकर नि:शुल्क अनाज की योजना का लाभ छोड दें. विगत 20 वर्षों के दौरान जिले के कुल 2 लाख 63 हजार 531 परिवारों में से केवल 43 परिवारों ने खुद होकर आगे आते हुए यह कहा कि, अब उनकी आर्थिक स्थिति सुधर गई है और उन्हें सरकारी नि:शुल्क अनाज की जरूरत नहीं है.
आर्थिक स्थिति अब भी बिकट
केंद्र सरकार ने हाल ही में सभी जिलों के आर्थिक विकास की दरें घोषित की. जिसमें अमरावती जिले की आर्थिक स्थिति बिकट ही दिखाई दे रही है. यद्यपि पहले की तुलना में इसमें थोडा सुधार हुआ है, लेकिन बेरोजगारी काफी अधिक बढी है और मुलभूत सुविधाओं का भी बडे पैमाने पर अभाव है. साथ ही करीब 3 लाख परिवारों को अब भी घर मिलने की प्रतीक्षा है. लगातार बढती बेरोजगारी व आसमान छूती महंगाई की वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति दिनोंदिन कमजोर होती जा रही है. जिसके चलते गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करनेवाले परिवारों की संख्या लगातार बढ रही है.