लैंगिक अत्याचार पीडित रहने पर भी नहीं मिली ‘मनोधैर्य’ की मदद
जिला विधि सेवा प्राधिकरण उठा रहा सकारात्मक कदम
* पीडितों की सहायता हेतु अदालत भी देती है निर्देश
अमरावती /दि.16– बलात्कार, बच्चों पर लैंगिक अत्याचार व एसिड हमले जैसे अपराधों का शिकार रहने वाले महिलाओं व बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए उनका पुनर्वसन करने हेतु मनोधैर्य योजना कार्यान्वित की गई है. परंतु ऐसे कई मामलों में पर्याप्त जानकारी का अभाव रहने के चलते पीडितों को मनोधैर्य योजना के तहत मदद देने से इंकार कर दिया जाता है. ऐसे समय जिला विधि सेवा प्राधिकरण द्वारा पीडितों की सहायता के लिए सकारात्मक कदम उठाए जाते है तथा अदालतों द्वारा भी ऐसे मामलों में समय-समय पर जरुरी दिशा निर्देश जारी किए जाते है.
बता दें कि, राज्य में वर्ष 2013 से मनोधैर्य योजना पर अमल करना शुरु हुआ. जिसमें पीडितों को न्यूनतम 2 से 3 लाख रुपए तक आर्थिक मदद दी जाती है. बलात्कार, बच्चों पर लैंगिक अत्याचार तथा एसिड हमले जैसे मामलों में अपराधियों को कडी सजा देना आवश्यक रहने के साथ ही ऐसे मामलों में पीडित महिलाओं व बच्चों को दोबारा प्रतिष्ठा व आत्मविश्वास हासिल करवाना भी बेहद आवश्यक होता है. जिसके तहत पुनर्स्थापक न्याय के तत्वानुसार ऐसी महिलाओं व बच्चों को शारीरिक व मानसिक आघात से बाहर निकालने हेतु प्रयास करते हुए उन्हें वित्तीय सहायता दी जाती है. साथ ही उनका समुपदेशन भी किया जाता है.
* पीडितों को 3 लाख रुपए तक मदद
इस योजनांतर्गत बलात्कार व बच्चों पर लैंगिक अत्याचार जैसे मामलों में पीडित को न्यूनतम 2 लाख रुपए तथा कुछ विशेष मामलों में अधिकतम 3 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. इसी तरह एसिड हमले में गंभीर रुप से घायल होने वाले महिलाओं व बच्चों को चेहरा विदृप रहने अथवा स्थायी तौर पर अपंगत्व आने वाली स्थिति में 3 लाख रुपए तथा एसिड हमले में घायल होने वाली महिलाओं व बच्चों को 50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है.
* 9 माह में 116 आवेदन
जिला विधि सेवा प्राधिकरण के पास मनोधैर्य योजनांतर्गत सहायता मिलने हेतु जनवरी से सितंबर माह की कालावधि के दौरान 116 आवेदन आए तथा इसके बाद भी अगले 2 माह के दौरान आवेदन मिलने का सिलसिला जारी है. वहीं वर्ष 2022 में 145 मामले मनोधैर्य योजनांतर्गत सहायता के लिए आये थे.
* 57 महिलाओं को 73 लाख रुपयों की मदद
इस योजनांतर्गत बलात्कार व लैंगिक अत्याचार से पीडित महिलाओं व बच्चों को न्यूनतम 2 लाख रुपए तथा कुछ विशेष मामलों में अधिकतम 3 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. जिसके तहत जारी वर्ष में जनवरी से सितंबर माह के दौरान 57 पीडितों को 72.98 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई. वहीं इससे पहले सन 2022 में 35 पीडितों को 7 लाख 87 हजार रुपए की मदद प्रदान की गई.
* 19 आवेदन नामंजूर
सन 2023 में कुल 19 आवेदन नामंजूर किए गए. वहीं वर्ष 2022 में करीब 92 आवेदन नामंजूर किए गए थे. जिला विधि सेवा प्राधिकरण द्वारा ऐसे सभी आवेदनों की जांच पडताल की जाती है. साथ ही इस समय 132 मामले पडताल हेतु प्रलंबित रहने की जानकारी है.
* आवेदन नामंजूर होने की वजहें
मूलत: किसी भी पीडित द्वारा इस योजना में भरपाई हेतु आवेदन नहीं किया जाता. बल्कि पुलिस द्वारा पीडित के नाम की शिफारिस की जाती है. ऐसे में पीडित का आवेदन ही नहीं रहने के चलते उसका पता नहीं चलता.
जिन मामलों में पीडित की मौत हो जाती है, उसके वारिसों द्वारा आवेदन ही नहीं किया जाता. वहीं पीडित के जीवित रहते समय उसके परिजनों को नुकसान भरपाई मंजूर होती है. कई पीडितों के बैंक खाते नहीं रहते और कई बार पीडित को नुकसान भरपाई मंजूर होने की जानकारी ही नहीं मिलती. ऐसे मामलों में पीडित मनोधैर्य योजना के तहत सरकारी सहायता मिलने से वंचित रहते है.
* पीडित महिलाओं व बच्चों को पहचान रखी जाती है गुप्त
किसी भी तरह के अत्याचार से पीडित महिला या बच्चे को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने के साथ ही उन्हें उनका खोया हुआ आत्मविश्वास व प्रतिष्ठा वापिस दिलाने तथा समूपदेशन निवास एवं कानूनी व वैद्यकीय सहायता जैसी आधार सेवा तत्परता से उपलब्ध करवाते हुए उनका पुनर्वसन करना यह मनोधैर्य योजना के उद्देश्य है.
– जी. आर. पाटील,
जिला विधि सेवा प्राधिकरण