तेज धूप के बावजूद इस बार किल्लत नहीं; बल्कि अधिक पानी मिलने की संभावना
जलाशयों में गत वर्ष की तुलना में 5% अधिक जल जमा
अमरावती/दि.5-जिले के प्रमुख पांच प्रकल्पों में 49.18 प्रतिशत जल जमा है. गत वर्ष 44.09 प्रतिशत पानी जमा था. जिसके चलते प्रकल्प में इस वर्ष 5 प्रतिशत अधिक जल जमा है. जिले में भरपूर पानी रहने के कारण इस बार जल किल्लत नहीं होगी. इस पार्श्वभूमि पर आगामी समय में अमरावती-बडनेरा निवासियों को जलापूर्ति बढ़ाये जाने की संभावना है.
इस वर्ष ग्रीष्मकाल तेज होने के कारण धूप दिनोंदिन बढ़ रही है. तापमान विभाग ने भी समय-समय पर चेतावनी देकर नागरिकों से संभवतः घर से बाहर न निकलने कहा है. परिमामस्वरुप पीने के लिए पानी मिलेगा या नहीं, ऐसी शंका नागरिकों में थी. लेकिन जलाशयों में पानी भरपूर है. गर्मी के दो महीने पूरे होने को है. मई व जून का आधा महीना किल्लत तीव्र करने वाला समय होता है. पाटबंधारे व महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष जल संचयन अधिक मात्रा में होने से यह चिंता दूर हो गई है.
मोर्शी तहसील के सिंभोरा का अप्पर वर्धा यह अमरावती जिले का सबसे बड़ा बांध है. इस बांध का पानी पीने के लिए, सिंचाई व औद्योगिक इस्तेमाल के लिए लिया जाता है. तीनों विभागों द्वारा की गई मांग के अनुसार उन्हें जल संचयन दिये जाने बाबत जानकारी पाटबंधारे विभाग के कार्यकारी अभियंता ए.ए. पाठक ने दी. इस बड़े बांध के बगैर शहानूर, चंद्रभागा, पूर्णा, सपन व पंढरी ऐसे पांच मध्यम प्रकल्प है. वहीं मृदा व जलसंधारण विभाग के कुल 41 लघु प्रकल्प है.इस तरह तीन प्रकार के प्रकल्पों द्वारा अमरावती जिले के नागरिक (पीने के लिए पानी), किसान (सिंचाई) व उद्योजक (औद्योगिक इस्तेमाल) की प्यास बुझाई जाती है.
फिलहाल अप्पर वर्धा बांध में 290.59 दलघमी व शहानूर मध्यम प्रकल्प में 24.45 दलघमी, चंद्रभागा में 22.70 दलघमी, सपन में 23.75 दलघमी व पंढरी प्रकल्प में 3.65 दलघमी इस तरह पांचों प्रकल्प मिलकर 91.75 दलघमी पानी जमा है. वहीं 41 लघु प्रकल्प में 55.19 दलघमी पानी संचयन जमा है. बड़े, मध्यम व लघु ऐसे तीनों प्रकार के प्रकल्प मिलाकर 423.06 दलघमी पानी जमा है. जिले में प्रति वर्ष ग्रीष्मकाल में नागरिकों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है. गत वर्ष अच्छी बारिश होने से नदी, नाले व प्रकल्प में काफी जल जमा शेष है. हर वर्ष किसानों से लेकर प्राणियों तक को जल किल्लत का सामना करना पड़ता है. लेकिन इस वर्ष काफी प्रमाण में जल जमा होने के कारण उन्हें किसी भी प्रकार के संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा. इस बाबत संबंधित अधिकारी निश्चिंत है.
जिले का बांधनिहाय संचयन
प्रकल्प इस बार का संचयन गत वर्ष
अप्परवर्धा 290.59 दलघमी 276.12 दलघमी
शहानूर 22.48 दलघमी 24.45 दलघमी
चंद्रभागा 25.12 दलघमी 12.70 दलघमी
पूर्णा 20.56 दलघमी 17.20 दलघमी
सपन 22.60 दलघमी 23.75 दलघमी
पंढरी 14.48 दलघमी 3.65 दलघमी
सभी लघुप्रकल्प 70.24 दलघमी 55.19दलघमी
कुल 471.87 दलघमी 423.06 दलघमी
विगत दो वर्षों में पानी का वितरण
जलसंपदा विभाग के पंजीयन के अनुसार अप्पर वर्धा बांध से सन 2020-21 में पीने के लिए 54.446 दलघमी व औद्योगिक क्षेत्र के लिए 13.435 दलघमी पानी की मांग की गई थी. इस बार सिंचाई के लिए 200.203 दलघमी, पीने के लिए 77.329 दलघमी व औद्योगिक क्षेत्र के लिए (इंडिया बुल्स) 10 दलघमी जलापूर्ति की गई है. इस बार 5 प्रतिशत से जलस्तर बढ़ने के कारण नागरिकों को जल किल्लत की संभावना काफी कम है.