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प्रत्येक छात्र में रोजगारक्षम कौशल्य विकसित करें

राज्यपाल रमेश बैस का आह्वान

* संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ का 39वां दीक्षांत समारोह
अमरावती/दि.24- भारत युवाओं का देश है. कुशल मानव संसाधन की पूर्ति हेतु आज विश्व भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है. इसलिए देश को विकास के शिखर पर ले जाने राष्ट्रीय शिक्षा नीति अंगीकार करते हुए विद्यापीठ अपने प्रत्येक विद्यार्थी में रोजागरक्षम कौशल्य का निर्माण करें, यह सलाह कुलपति तथा राज्यपाल रमेश बैस ने आज दी. वे संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के 39वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे. समारोह पी. आर. पोटे पाटिल एज्युकेशन ग्रुप के स्वामी विवेकानंद सभागार में हुआ. कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले, प्र-कुलगुरु डॉ. प्रसाद वाडेगांवकर, कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख, विविध विद्या शाखा के अधिष्ठाता, व्यवस्थापन परिषद के सदस्य हर्षवर्धन देशमुख, डॉ. रवींद्र कडू, डॉ. आर. डी. सिकची, डॉ. अविनाश बोर्डे, डॉ. एच. एम. धुर्वे, डॉ. वी. एच. नागरे, उच्च शिक्षा सहसंचालिका डॉ. नलिनी टेंभेकर, तकनीकी शिक्षा सहसंचालक डॉ. वी. आर. मानकर, परीक्षा मंडल संचालिका मोना तोटे पाटिल, वित्त व लेखा अधिकारी डॉ. नितिन कोली, अधिष्ठाता डॉ. एस. वी. डुडुल, डॉ. मोना चिमोटे, डॉ. डी. डब्ल्यू निचित, डॉ. वैशाली गुडधे, व्यासपीठ पर उपस्थित थे.
दीक्षांत समारोह में 249 संशोधकों को डॉक्टरेट, गुणवंत छात्र-छात्राओं को 119 स्वर्ण पदक, 23 रजत पदक और 25 नकद पुरस्कार प्रदान किए गए. खास बात यह रही कि प्रत्येक विद्यार्थी को राज्यपाल बैस ने व्यक्तिगत रुप से शुभकामना दी और जीवन में इसी प्रकार आगे बढने का खुद होकर आशीर्वाद दिया. 46144 विद्यार्थियों को उपाधी और 236 विद्यार्थियों को डिपलोमा प्रदान किया गया.
राज्यपाल ने कहा कि, विद्यार्थियों को केवल नौकरी की खोज करनेवाला न रहते हुए रोजागार पैदा करनेवाला बनने का लक्ष्य रखना चाहिए. उद्यमशीलता को अंगीकार करना और उसमें सतत विकास करने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपनाई गई है. विद्यापीठ इस नीति पर प्रक्रिया कर रहा है. इस पर संतोष जताते हुए कुलपति ने कहा कि, आनेवाले समय में विविध क्षेत्र की जरुरतों को ध्यान में रखकर विद्यार्थियों में कौशल्य विकास बढाने राष्ट्रीय शिक्षा नीति उपयोगी रहेगी. राष्ट्रीय आकांक्षा के अनुसार देश को विकास के शिखर पर ले जानेवाले संशोधक और उद्यमियों की पीढी निर्माण होगी.
रमेश बैस ने विश्वास जताया कि, नई शिक्षा नीति नैतिक मूल्यों का वर्धन और संस्कृति का आंकलन बढाने में उपयोगी है. नीति लागू करने पर आधुनिक शिक्षा के नए अध्याय का आरंभ होगा.
राज्यपाल ने संस्कृत सुभाषित ‘विद्या धनं सर्व धन प्रधानम’ को उद्रुत करते हुए कहा कि, ज्ञान धन है और यह धन के सभी रुपों में सर्वश्रेष्ठ है. चोरों व्दारा चुराया नहीं जा सकता. यह धारणकर्ता के कंधों पर बोझ भी नहीं बनता, जितना खर्च किया जाए, उतना फलता फूलता है. ज्ञान व वह नींव है जिस पर प्रत्येक व्यक्ति का चरित्र निर्माण होता है. उन्होंने कहा कि स्वर्ण पदक और प्रथम श्रेणी की हकदार छात्राएं अधिक संख्या में हैं. यह दर्शाता है कि हमारी बेटियां समाज में किस तरह आगे बढ रही हैं. इस वर्ष प्रशासनीक सेवा परीक्षा में 10 में 6 टॉपर्स महिलाएं थी.
राज्यपाल ने कहा कि संत गाडगेबाबा ने आजीवन स्वच्छता को प्रोत्साहित किया. सही अर्थ में गाडगेबाबा स्वच्छ भारत अभियान के जनक है. उनके नाम से स्थापित विश्वविद्यालय को सदैव स्वच्छ महाविद्यालय और स्वच्छ विद्यापीठ की मिसाल बननी चाहिए. बैस ने कहा कि गाडगेबाबा की दशसूत्री हम सभी के लिए मार्गदर्शक हैैं.
राज्यपाल ने विद्यापीठ अंतर्गत सभी कॉलेजस को नैक मूल्यांकन करने का आह्वान किया. किसानों के आर्थिक विकास में विद्यापीठ का योगदान चाहा. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को सहभागी कर कम से कम 10 देहात गोद लेकर वहां परिवर्तन हेतु प्रयत्न होने चाहिए. जिससे उन्हें वास्तविकता एवं सामाजिक परिस्थिति का एहसास होगा और उस हिसाब से उन्नति होगी.
प्रस्तावना रखते हुए कुलगुरु डॉ. येवले ने विद्यापीठ के विविध उपक्रमों और नए कोर्सेस शुरु करने के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि, आनेवाले सत्र से चरण दर चरण नई शिक्षा नीति विद्यापीठ लागू करने जा रहा है. बडी संख्या में शिक्षा क्षेत्र के मान्यवर उपस्थित थे.

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