अमरावती

निर्वाचन क्षेत्र का विकास व जनसेवा ही मेरा लक्ष्य

पूर्व राज्यमंत्री बच्चू कडू का प्रतिपादन

* जन्मदिन पर्व पर सभी की बधाईयां स्विकारी
चांदूर बाजार/दि.6 – लोकतंत्र में सत्ता की लालसा से राजनीति का खेल खेला जाता है. यह महाराष्ट्र का अब तक का इतिहास है. इससे कोई भी पार्टी अछूती नहीं है. विगत महिने राजनीतिक उठापटक और उसके कारण हुई बगावत को गलत साबित करना अनुचित होगा. मेरी स्वतंत्र पार्टी है. ऐसे में मुझे किस राजनीतिक दल से हाथ मिलाना है और किसका दामन छोडना है. यह स्वाधिनता प्राप्त है. अगर मैंने प्रहार के हित में सोचकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ हाथ मिलाया तो उसे बगावत नहीं कहा जा सकता. उद्धव ठाकरे की सरकार में मुझे एकनाथ शिंदे के कारण ही प्रवेश मिला था. इसलिए मैंने जब वे सत्ता से बाहर हुए तब उनके साथ जाना उचित समझा. मैं राजनीति नहीं करना चाहता. मेरा उद्देश्य जनसेवा है. लोगों के आशिर्वाद और जनसेवा के कार्यों से लगातार 4 बार मुझे विधायक के रुप में चुना गया. वर्तमान राजनीतिक उठापटक को देखते हुए यह बात स्पष्ट होती है कि, सत्ता के बिना विकास और जनसेवा संभव नहीं है. केवल निर्वाचन क्षेत्र ही नहीं पूरे राज्य में सत्ता के माध्यम से विकास व जनसेवा का शिखर निर्माण करने के लिए मैं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा हूं, ऐसा विधायक बच्चू कडू ने कहा.
मंगलवार को विधायक बच्चू कडू का जन्मदिन मनाया गया. इस अवसर पर तहसील के प्रहार पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं द्बारा बच्चू कडू के भव्य सत्कार समारोह का आयोजन किया गया. इस समारोह में बच्चू कडू ने बताया कि, देश हो या राज्य बगावत का बडा इतिहास रहा है. मनुष्य धर्म का पालन कर लोककल्याण करने का प्रयास करते है. संत ज्ञानेश्वर महाराज ने प्रस्तापितों का विरोध कर बगावत की थी. छत्रपति शिवाजी महाराज ने प्रजा के लिए बगावत कर दुश्मनों को खदेडा था. मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की. स्वाधिनता की लढाई में ऐसे कई किस्से है, जहां जनसमूदाय के लिए बगावत की गई. मुख्यमंत्री शिंदे के साथ जुडे व सत्ता से बाहर हुए सभी विधायकों का एकमात्र उद्देश्य था कि, वे अपने निर्वाचन क्षेत्र का विकास कर जनसेवा का कार्य कर सकें. शिवेसना में गुटबाजी के कारण उद्धव ठाकरे का जहाज डूबता नजर आ रहा था. ऐसे में डूबते हुए जहाज में अपनी जान जोखिम में डालकर कोई बैठता नहीं. इसलिए जब सीए शिंदे बाहर हुए, तो उन्हें शिवसेना के साथ अन्य निर्दलिय विधायकों ने समर्थन दिया. शिवसेना आपसी मतभेद के कारण टूट रही है. इसमें और भी कई कारण हो सकते है. सत्ता की लालसा में कोई भी बाहर नहीं निकला है. यह उनके कार्यों का फल है, जो आज एकनाथ शिंदे व उनके साथ बाहर निकले सभी विधायकों को सत्ता में भागीदारी मिली. मैंने न तो कैबिनेट मंत्री और ना ही किसी खाते के लिए आग्रह किया है. दिव्यांगों को राज्य स्तर पर सेवा मिले. इसके लिए मैंने सामाजिक न्याय विभाग की मांग की है. इस बात को स्विकार कर बच्चू कडू ने कहा कि, वर्तमान राजनीति को देखते हुए भविष्य में निर्दलिय विधायक भी मुख्यमंत्री बन सकता है और वह प्रहार का ही होगा.
बच्चू कडू ने आगे कहा कि, तत्कालीन प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौडा मात्र 8 सांसदों की बदौलत देश के प्रधानमंत्री बने थे. भविष्य में प्रहार के 12 से 15 विधायक होंगे, तो ऐसे में प्रहार का मुख्यमंत्री बन सकता है. कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं आभार संतोष किटूकले ने माना. कार्यक्रम में बडी संख्या में प्रहार के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे. कार्यक्रम मंच पर विधायक बच्चू कडू का शाल, श्रीफल व भव्य पुष्पमाला पहनाकर सत्कार किया गया.

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