* मुझे आपसी मनमुटाव से कोई लेना-देना नहीं
* विशेष साक्षात्कार में विधायक सुलभा खोडके का कथन
अमरावती/दि.17- मैने अपना जीवन एक आम व सामान्य गृहिणी के तौर पर शुरू किया था और अपनी रूचि के चलते मैं सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में काम करने लगी और यह रास्ता मुझे राजनीति तक ले आया. राजनीति में आने के पीछे भी मुख्य मंशा अपने क्षेत्र का विकास करने की रही. इसके तहत मैं विगत 20 वर्षों से अमरावती महानगर के विकास हेतु काम कर रही हूं. जिसमें अमरावती सहित बडनेरा का भी समावेश है. इससे पहले एक बार मैंने बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक के तौर पर काम किया और अब अमरावती के विधायक के रूप में काम कर रही हूं. यह सिलसिला आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है. इस आशय का प्रतिपादन अमरावती निर्वाचन क्षेत्र की कांग्रेस विधायक सुलभा खोडके ने किया.
दैनिक अमरावती मंडल के साथ अपने आवास पर विशेष रूप से बातचीत करते हुए विधायक सुलभा खोडके ने अपने पारिवारिक व राजनीतिक जीवन से जुडे कई सवालों का बडी बेबाकी के साथ जवाब देते हुए विगत 25 वर्षों के दौरान अपने सार्वजनिक जीवन में किये गये कामोें के बारे में विस्तार के साथ जानकारी भी दी. जिसके तहत उन्होंने बताया कि, उनका मायका व ससुराल अमरावती में ही है और उनके पिता किसान थे. परिवार में तीन बहने व दो भाई हुआ करते थे. जिसमें वे अपने माता-पिता की तीसरे नंबर की संतान है. शिवाजी कला व वाणिज्य महाविद्यालय से एम. एम. तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वर्ष 1991 में उनका विवाह उस समय महाराष्ट्र के प्रशासनिक सेवा में रहनेवाले संजय खोडके के साथ हुआ और उन्होंने एक आम गृहिणी की तरह अपना सांसारिक जीवन शुरू किया. उस समय उन्होंने कभी भी राजनीतिक या सार्वजनिक जीवन के बारे में सपने में भी कोई विचार नहीं किया था. लेकिन वर्ष 1996 में अपने पति संजय खोडके के कहने पर वे सहकार क्षेत्र में सक्रिय हुई और पूर्व सांसद उषाताई चौधरी के पैनल के तहत अमरावती जिला महिला सहकारी बैंक का चुनाव लडा. जिसमें वे संचालक के तौर पर निर्वाचित भी हुई. उस समय पूर्व सांसद उषाताई चौधरी व पूर्व मंत्री वसुधाताई देशमुख के पैनल आमने-सामने थे और दोनों पैनलों के समसमान संचालक चुनकर आये थे. उस समय उषाताई चौधरी ने उनके नाम को अध्यक्ष पद के लिए आगे किया था. वहीं उनके सामने अध्यक्ष पद की दावेदार खुद वसुधाताई देशमुख थी. दोनों को सम-समान वोट मिले थे. ऐसे में अध्यक्ष पद का फैसला ईश्वरचिठ्ठी के जरिये हुआ और ईश्वरचिठ्ठी में उनका नाम निकला. यहीं से उनका पूरा जीवन बदल गया और वे सहकार क्षेत्र के साथ-साथ राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय हो गई. साथ ही वर्ष 1996 से लेकर अब तक लगातार अमरावती जिला महिला सहकारी बैंक की अध्यक्ष भी चुनी जा रही है. इस बातचीत के दौरान विधायक सुलभा खोडके ने बताया कि, वर्ष 1998 में उनके देवर प्रवीण खोडके का एक हादसे में असमय ही निधन हो गया था. ऐसे में खोडके परिवार ने उनकी स्मृति में प्रवीण खोडके मेमोरियल ट्रस्ट बनाया, ताकि कुछ सामाजिक और परोपकारवाले कार्य किये जा सके. उसी समय राकांपा प्रमुख शरद पवार ने महिला बचत गुट की संकल्पना को सामने रखा था. ऐसे में उन्होंने अपने ट्रस्ट के जरिये महिलाओं को संगठित करते हुए बचत गुट स्थापित करने शुरू किये. साथ ही वर्ष 1999 में अपनी 21 महिला साथियों के साथ मिलकर महिला बचत गुट पतसंस्था स्थापित करने की दिशा में प्रयास शुरू किया. जिसे वर्ष 2003 में पंजीयन मिला. जिसके चलते अमरावती शहर सहित जिले में महिला बचत गुटों के काम को रफ्तार मिली. इस समय तक वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव की गहमागहमी शुरू हो गई थी और अपने पति संजय खोडके के कहने पर उन्होंने बडनेरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से राकांपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने की तैयारी शुरू की. साथ ही पार्टी ने भी उनकी दावेदारी पर भरोसा जताया. जिसकी कसौटी पर वे पूरी तरह से खरी साबित हुई और उन्होंने बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2004 में विधानसभा का चुनाव जीता. बडनेरा के विधायक के तौर पर उन्होंने अगले पांच साल के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास हेतु 1 हजार करोड से अधिक की निधी लायी और पूरे निर्वाचन क्षेत्र में जगह-जगह पर अनेकों विकास कार्य भी कराये.
* नये परिसिमन ने बिगाडा गणित
वर्ष 2004 के चुनाव में भारी बहुमत से विजयी रहने के बाद वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में सुलभा खोडके ने एक बार फिर बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से राकांपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा था. किंतु उस समय उन्हें हार का सामना करना पडा. इस बारे में पूछे जाने पर विधायक सुलभा खोडके ने बताया कि, वर्ष 2009 में विधानसभा क्षेत्रों का नये सिरे से परिसिमन किया गया था और इससे पहले बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में शामिल रहनेवाले तपोवन से लेकर नवसारी तक के परिसर को अमरावती निर्वाचन क्षेत्र के साथ जोड दिया गया. वही नांदगांव खंडेश्वर तहसील क्षेत्र को धामणगांव रेल्वे विधानसभा क्षेत्र से जोडा गया. इसके अलावा भातकुली तहसील का काफी सारा हिस्सा बडनेरा व तिवसा निर्वाचन क्षेत्र के बीच बंट गया. इन्हीं क्षेत्रों में उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान काफी विकास कार्य किये थे और इन क्षेत्रोें में उनका काफी जनाधार भी था. ऐसे में निर्वाचन क्षेत्र का नये सिरे से परिसिमन होने पर उन्हें इसका नुकसान हुआ और उन्हें हार का सामना करना पडा. किंतु उन्होंने इससे हार नहीं मानी और अपना जनसंपर्क लगातार कायम रखा, ताकि वर्ष 2014 के चुनाव में वे जीत हासिल कर सके. लेकिन वर्ष 2014 के आते-आते राजनीतिक स्थितियां पूरी तरह से उलट-पुलट गई, जब पार्टी के साथ कोई लेना-देना नहीं रहनेवाले लोगों को पार्टी ने अपने निकट करते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव की टीकट दी. उस समय उन्होेंने व उनके पति संजय खोडके ने पार्टी नेतृत्व को साफ-साफ बता दिया था कि, वे ऐसे लोगों के साथ व ऐसे लोगोें के लिए काम नहीं कर सकते. जिसके चलते उन्हें व उनके पती संजय खोडके को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. ऐसे में उस समय कांग्रेस ने उनकी काबिलियत पर भरोसा जताया और उन्हें बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस बार भी परिसिमन और बदली हुई राजनीतिक स्थितियों की वजह से उन्हें असफलता का सामना करना पडा.
* इस वजह से चुना था अमरावती निर्वाचन क्षेत्र
बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2009 के चुनाव में राकांपा प्रत्याशी के तौर पर तथा वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर हार का सामना करने के बाद विधायक सुलभा खोडके ने वर्ष 2019 का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से लडा व जीता. इस बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में विधायक सुलभा खोडके ने कहा कि, उनका निवास क्षेत्र गाडगेनगर परिसर में है और इस परिसर के तपोवन से लेकर कठोरा व नवसारी तक उनका अच्छा-खासा जनाधार भी है. पहले यह क्षेत्र बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में शामिल था, जो कालांतर में अमरावती निर्वाचन क्षेत्र में शामिल हो गया. ऐसे में उन्होंने बडनेरा की बजाय अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडने का फैसला किया और उनका यह फैसला पूरी तरह से सही भी साबित हुआ. इससे एक अच्छी बात भी हुई है कि, अब वे बडनेरा की पूर्व विधायक है और अमरावती की मौजूदा विधायक है. ऐसे में अमरावती मनपा क्षेत्र में शामिल अमरावती व बडनेरा शहर पर उनकी पकड व नजर और अधिक मजबुत हुई है.
* अगला चुनाव भी मैं ही लडूंगी और जीतूंगी
अमरावती के विधायक के तौर पर अपने मौजूदा कार्यकाल को बेहद सफल व शानदार बताते हुए विधायक सुलभा खोडके ने यह विश्वास भी जताया कि, वे अगले चुनाव में भी कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी रहेगी और अगला चुनाव भी भारी बहुमत के दमपर जीतेंगी, क्योंकि उनके साथ अमरावती शहर के सभी वर्ग के मतदाताओं का साथ, सहयोग व आशिर्वाद है.
* किसी और की दावेदारी और मनमुटाव से कोई लेना-देना नहीं
हाल ही में पूर्व पालकमंत्री जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता की भाजपा छोडकर एक बार फिर कांग्रेस में वापसी हो गई है और वे अगले चुनाव में कांग्रेस की ओर से टिकट के प्रबल दावेदार हो सकते है. साथ ही स्थानीय स्तर पर कांग्रेस पदाधिकारियों द्वारा विधायक के तौर पर आपकी अनदेखी की जाती है और आप को कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में बुलाया भी नहीं जाता, यह सवाल पूछे जाने पर विधायक सुलभा खोडके ने कहा कि, डॉ. सुनील देशमुख पार्टी में लौट आये है, यह अच्छी बात है और इससे कांग्रेस को निश्चित तौर पर मजबुती मिलना अपेक्षित है. किंतु इसका यह मतलब नहीं है कि, पार्टी द्वारा मेरी बजाय डॉ. देशमुख के नाम पर टिकट के लिए विचार किया जायेगा. यह नहीं भूला जाना चाहिए कि, जब पूरे राज्य में भाजपा की लहर चल रही थी और डॉक्टर देशमुख खुद भाजपा में थे, तब मैने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतकर अमरावती की सीट कांग्रेस को दिलवायी थी. ऐसे में मेरी दावेदारी और भी अधिक प्रबल हो जाती है. जहां तक कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा अनदेखी करने का सवाल है, तो यह उनकी अपनी सोच है और ऐसे पदाधिकारी भी कुछ बेहद गीने-चुने है. वहीं पार्टी के अधिकांश पदाधिकारी व कार्यकर्ता आज भी मेरे साथ नियमित संपर्क में है. जिन्हें पार्टी के प्रति मेरी निष्ठा और समर्पण पर कोई संदेह नहीं है.
* खोडके साहब हैं मेरे मेंटर व गॉडफादर
इस पूरी बातचीत के दौरान विधायक सुलभा खोडके ने कई बार यह बात दोहरायी कि, वे राजनीतिक और सामाजिक जीवन में अपने पति संजय खोडके की वजह से ही सक्रिय हुई थी और आज उन्होंने इस क्षेत्र में जो भी उपलब्धि हासिल की है, उसका पूरा श्रेय उनके पति संजय खोडके को ही जाता है. एक तरह से संजय खोडके ही उनके राजनीतिक गुरू, मेंटर, मार्गदर्शक व गॉडफादर है. साथ ही इन दिनों उन्हें अपने बेटे यश खोडके की ओर से भी राजनीतिक व सामाजिक जीवन में पूरा सहयोग प्राप्त होता है.
* हमारे घर में ही है महाविकास आघाडी
आप कांग्रेस पार्टी की विधायक है और आपके पति राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष है. साथ ही आप दोनों का झुकाव पवार परिवार की ओर कुछ अधिक है. जिसकी वजह से कई बार कांग्रेस पदाधिकारियों द्वारा आपकी कांग्रेस निष्ठा पर सवाल उठाया जाता है. इस सवाल का जवाब देते हुए विधायक सुलभा खोडके ने बडे ही मजाकिया अंदाज में कहा कि, राज्य में इससे पहले करीब 10 वर्षों तक कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस की आघाडी रही. वहीं अब कांगे्रस व राकांपा के साथ शिवसेना भी जुड गई है. जिसके चलते राज्य में महाविकास आघाडी है. अगर इससे कोई परेशानी व दिक्कत नहीं है, तो एक ही घर में कांग्रेस व राकांपा की आघाडी रहने से क्या समस्या है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, चूंकि वे लगातार दो चुनाव में राकांपा की प्रत्याशी रही और एक बार उन्होंने चुनाव भी जीता तथा वे राकांपा विधायक भी रही. ऐसे में राकांपा प्रमख शरद पवार सहित अजीत पवार व सुप्रिया सुले के साथ उनके काफी अच्छे संबंध रहे है और पवार परिवार का उन्हें हमेशा आशिर्वाद मिलता रहा है. इसमें किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. जब वे राकांपा में थी, तो उन्होंने वहां पूरी निष्ठा के साथ काम किया और आज जब वे कांग्रेस में है, तो यहां पर भी अपनी पूरी निष्ठा व समर्पण के साथ काम कर रही है. यह बात पार्टी के केंद्रीय एवं प्रदेश नेतृृत्व को अच्छी तरह से पता है. अत: स्थानीय पदाधिकारियों ने इस बारे में कोई संदेह नहीं रखना चाहिए.
* मेरी ओर से किसी के साथ कोई मनमुटाव नहीं
कांग्रेस विधायक के तौर पर आपका स्थानीय पदाधिकारियों के साथ विगत ढाई वर्षों से आपसी तालमेल नहीं बैठ रहा. साथ ही कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री व पूर्व पालकमंत्री यशोमति ठाकुर सहित डॉ. सुनील देशमुख के साथ भी आपके मनमुटाव की खबरें अक्सर सामने आती है, यह सवाल पूछे जाने पर विधायक सुलभा खोडके ने कहा कि, उनका किसी के साथ कोई मनमुटाव नहीं है. वे हमेशा अपने काम से काम रखती आयी है और नाहक ही किसी और के काम में कोई अडंगा नहीं डालती. साथ ही कोई उनके काम में अडंगा डाले, यह उन्हें बर्दाश्त भी नहीं होता. ऐसे में वे इसे लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराती है. इसे मनमुटाव नहीं कहा जाना चाहिए. जहां तक तालमेल के अभाव का सवाल है, तो उन्होंने अपने दरवाजे किसी के लिए बंद नहीं किये है और वे सबको अपने साथ लेकर चलने में भरोसा करती है.
* कोविड काल के दौरान किया उम्मीद से दुगना काम
इस बातचीत के दौरान विधायक सुलभा खोडके ने विगत ढाई वर्षों के कार्यकाल में कोविड संक्र्रमण काल के समय किये गये अपने कामों को बेहद उल्लेखनीय बताया और कहा कि, उस विपरित समय में उन्होंने अपने घर पर बैठने की बजाय घर से बाहर निकलकर शहर के विभिन्न इलाकों का दौरा किया था और जरूरतमंदों को हर संभव आवश्यक सहायता उपलब्ध करायी थी. साथ ही अमरावती में स्वास्थ्य सुविधाओं को पूरी तरह से चाक-चौबंद व चुस्त-दुरूस्त भी करवाया था. इसके तहत सुपर कोविड अस्पताल व इर्विन अस्पताल में ऑक्सिजन प्लांट लगाया गया. साथ ही डफरीन अस्पताल की नई व सुसज्जित इमारत का काम शुरू करवाया गया, जो अब अंतिम चरण में है और आगामी दिसंबर या जनवरी माह तक इस इमारत में अस्पताल शुरू हो जायेगा. साथ ही सुपर कोविड अस्पताल की इमारत में बहुत जल्द कैन्सर, न्यूरो सर्जरी व हार्ट सर्जरी जैसे विभागों के काम शुरू कर दिये जायेंगे.
* नई सरकार में निधी मिलना हुआ मुश्किल
राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद बदली हुई स्थितियों को लेकर पूछे गये सवाल पर विधायक सुलभा खोडके ने कहा कि, इससे पहले महाविकास आघाडी की सरकार के दौरान मुंह से बोलने की देर थी और विकास कामों के लिए निधी मिल जाया करती थी. परंतु अब शिंदे-फडणवीस सरकार में हमेें निधी मिलने में काफी समस्या व दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. इसके उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि, विदर्भ महाविद्यालय के शतकपूर्ति वर्ष के मद्देनजर इस संस्था के लिए उन्होंने 50 करोड रूपये मंजूर करवाये थे. जिसमें से पिछली सरकार के समय 10 करोड रूपये की निधी मिली थी. वहीं अब मौजूदा सरकार ने बाकी पैसा मिलने में समस्याएं पेश आ रही है.
* मैंने कोई क्रॉस वोटिंग नहीं की थी
विगत जून माह के दौरान हुए विधान परिषद के चुनाव में कांग्रेस के कुछ विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग करने की वजह से कांग्रेस के एक प्रत्याशी को हार का सामना करना पडा. उस समय खुद कांग्रेस के कुछ स्थानीय पदाधिकारियों ने क्रॉस वोटिंग करनेवाले विधायकों में एक नाम आपका भी रहने की बात उठाई थी. यह सवाल पूछे जाने पर कांग्रेस विधायक सुलभा खोडके ने कहा कि, वोट करते समय कांग्रेस का कोई स्थानीय पदाधिकारी मतदान स्थल पर उपस्थित नहीं था, ऐसे में उन्हेें कैसे पता कि, मैंने किसे वोट दिया. वहीं मैंने किसे वोट दिया था, यह बात वहां पर मौजूद कांग्रेस के सभी बडे नेताओें को अच्छी तरह से पता थी और वे जानते है कि, मैंने कोई क्रॉस वोटिंग नहीं की. ऐसे में स्थानीय स्तर पर चल रही चर्चाओें का कोई तुक नहीं है.