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आत्मनिर्भर भारत के लिए कृषि क्षेत्र का विकास आवश्यक

राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी का प्रतिपादन

* शिवाजी कृषि महाविद्यालय की नई इमारत का किया लोकार्पण

अमरावती/दि.24- देश को सही अर्थों में आत्मनिर्भर बनाने हेतु कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना बेहद जरूरी है. इस हेतु देश के प्रथम कृषि मंत्री व शिक्षा महर्षि डॉ. पंजाबराव देशमुख के संकल्प को साकार करने के लिए सभी संबंधित घटकों द्वारा समर्पित भावना से प्रयास किया जाना चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी द्वारा किया गया.
स्थानीय श्री शिवाजी शिक्षा संस्था द्वारा संचालित श्री शिवाजी कृषि महाविद्यालय की नई प्रशासकीय इमारत का लोकार्पण आज बुधवार 24 नवंबर को किया गया. इस अवसर पर वे अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. संस्थाध्यक्ष व पूर्व मंत्री हर्षवर्धन देशमुख की अध्यक्षता में आयोजीत इस लोकार्पण समारोह में जिले की सांसद नवनीत राणा, विधायक सुलभा खोडके, महापौर चेतन गावंडे, संस्था के कोषाध्यक्ष दिलीपबाबू इंगोले बतौर प्रमुख अतिथि मंचासीन थे.
इस अवसर पर कृषि शिक्षा के क्षेत्र में शिवाजी संस्था द्वारा किये गये कामों का गौरव करते हुए राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने कहा कि, डॉ. पंजाबराव उर्फ भाउसाहब देशमुख के लिए उनके मन में काफी पहले से आदरभाव है. आजादी के तुरंत पश्चात देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू के मंत्रिमंडल में कृषि को पहली प्राथमिकता देनेवाले कृषि मंत्री के तौर पर भाउसाहब देशमुख ने काम किया. उन जैसा कृषि मंत्री मिलना देश के लिए सौभाग्य की बात रही. कृषि को लेकर भाउसाहब देशमुख के प्रबंध का मूल्य किसी धर्मग्रंथ की तरह है. जिस समय देश अकाल सदृश्य हालात का सामना कर रहा था, उस समय कृषि विषयक कार्यों को प्राधान्य देते हुए डॉ. पंजाबराव देशमुख ने कृषि के विकास हेतु पूरी निष्ठा के साथ प्रयास किया. जिसकी वजह से देश में कृषि क्रांति हुई. कृषि क्षेत्र में जिओ टैगींग जैसे नये प्रयोग होने की जरूरत प्रतिपादित करते हुए राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने कहा कि, आजादी के बाद किसानों द्वारा पूरी निष्ठापूर्वक अविरत किये गये काम के चलते देश में भूखमरी का संकट पैदा नहीं हुआ. साथ ही उन्होंने खुद को कृषि क्षेत्र के साथ पूरी तरह से जुडा हुआ बताते हुए कहा कि, कृषि विषयक संस्थाओं के प्रति उनकी विशेष आस्था है और वे उम्मीद करते है कि, भाउसाहेब द्वारा शुरू की गई यह संस्था भविष्य में और अधिक विकसित व व्यापक हो. साथ ही कृषि अध्ययन के क्षेत्र में आदर्श स्थापित करे.

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