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देवी के सीमोल्लंघन में उमडे भाविक

देश के कोने-कोने से आए थे श्रद्धालु

* पालखी मार्ग पर स्वागतव्दार की रेलचेल
* रविनगर में दर्शनीय अगवानी
अमरावती/दि.25- अंबा माता और एकवीरा माता के विजयादशमी पर उत्सवमूर्ति की सीमोल्लंघन की परंपरा मंगलवार शाम की गई तो, हजारों श्रद्धालु उमड पडे थे. मातारानी के जयकारे गगनभेदी रहे. उसी प्रकार पालखी उठाने की होड दिखाई दी. दोनों ही संस्थान के ट्रस्टी, पदाधिकारियों के साथ ही भक्तों का उत्साह चरम पर कहा जा सकता है. पूरे भूतेश्वर से लेकर बियाणी कॉलेज तक मार्ग में जगह-जगह स्वागतव्दार लगाए गए थे. उसी प्रकार भाविकों के लिए नाना प्रकार की प्रसादी की व्यवस्था भी प्रतिष्ठानों तथा संगठनों ने की थी. अंबा देवी संस्थान की तरफ से विद्याताई देशपांडे, अशोक खंडेलवाल, एड. दीपक श्रीमाली, रवींद्र करवे, एड. राजेंद्र पांडे, सुरेंद्र बुरंगे, विलास मराठे, किशोर बेंद्रे, सूर्यकांत उर्फ आप्पाजी कोल्हे, एकवीरा देवी संस्थान की तरफ से शेखर कुलकर्णी, दीपक सब्जीवाले, शेखर भोंदू, शैलेश वानखडे और अन्य उत्साह से सीमोल्लंघन पालखी यात्रा में सहभागी थे. उसी प्रकार नगर के गणमान्य ने एड. अशोक राठी, तुषार भारतीय, सचिन रासने, अशोक खंडेलवाल, घनश्याम गोयनका, संकेत गोयनका, साहित खंडेलवाल, प्रतिक इंगले, विशाल कुलकर्णी, मनोहर मालपाणी, रमेश जाजू , आरती मंडल के चंदू ठाकरे, अतुल बिजागरे, हरी गावंडे, उमेश घोंगडे, मिलिंद सरदेशपांडे, सुनील पांडे, सभी सभासद उपस्थित थे. भक्तों का हुजूम उमड पडा था.
* शोभायात्रा का स्वागत
बाजे-गाजे और दिंडी तथा पथक के साथ निकली पालखी यात्रा का भूतेश्वर चौक से लेकर रविनगर चौक तक जोरदार स्वागत आयोजित किया गया. पूरे मार्ग में हरी चटाई बिछाई गई थी. रविनगर चौक पर पंडाल के साथ भाविकों ने पालखी यात्रा का स्वागत किया. हलवा और अन्य पदार्थो की प्रसादी समस्त भाविकों हेतु रखी गई थी. मशाल के साथ सीमोल्लंघन की आरती बियाणी कॉलेज परिसर में विशेष रुप से बनाए गए चबूतरे पर की गई. वहीं शमी के पौधे की पूजा भी की गई. पुरोहितों ने मंत्रोच्चार किया. तेज स्वर में अंबा माता की आरती की गई. लोग उमड पडे थे. आरती लेने भारी होड मची थी. गणमान्यों का समावेश रहा.
* किन्नरों का सहभाग
हमेशा की तरह किन्नरों ने भी अपनी देवी को सिर पर उठाकर पालखी यात्रा में उत्साहपूर्ण सहभाग किया. उन्हें नमन करने महिलावर्ग में होड और उत्साह देखा गया. किन्नरों ने माथे पर देवी को लेकर थिरककर आनंद व्यक्त किया.
* सोना अर्पण की होड
दोनों ही देवी की उत्सवमूर्ति को पालखी में लाया जाता है. उन्हें सोना अर्पित करने की शहर के भक्तों की होड रही. पालखी उठाने की भी होड दिखाई पडी. संस्थान के सुरक्षा रक्षकों ने भाविकों को संभाले रखा. ताकि कोई अव्यवस्था अथवा बाधा न हो. सोना अर्पण करने के साथ देवी के चरणों में चढाए गए फूलों के लिए भी भक्त पुरोहितों से अनुनय विनय कर रहे थे.

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