* दत्त जयंती महोत्सव
अमरावती/ दि.26– बुधवारा के कुंभारवाडा स्थित दत्त मंदिर में आज दत्त जयंती उत्सव का अनूठा वातावरण रहा. हजारों भक्त उमडे. यह मंदिर स्वयंभू दत्त त्रिमूर्ति का बिरला मंदिर हैं. जहां उत्सव के तहत विशेष अभिषेक, कीर्तन, भजन, गुरू चरित्र पारायण हुए. दोपहर 4 बजे से राजाभाउ रामेकर के श्री दत्त जन्म के कीर्तन आरंभ हुए. दर्शनार्थी उमड पडे थे. सर्वत्र दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा का घोष चल रहा था. पूरा परिसर उत्सवमय नजर आया.
* चंपा षष्टी से आरंभ होता उत्सव
उल्लेखनीय है कि चंपा षष्टी से यहां कार्यक्रम शुरू हो जाता है. जिसमें विविध आयोजन किए गये. भजनी मंडल ने दोपहर को भजनों की झडी लगाई तो रात्रि में कीर्तन का दौर चला. विश्वस्त मंडल के चंद्रशेखर हंबर्डे, मनोज केवले, मधुकर साउरकर, दीपक हुंडीकर, अनंत साउरकर, प्रभाकरराव केवले, वसंतराव साउरकर, धनंजय चतारे, अजय गंधे, प्रवीण अंबुलकर, डॉ. अविनाश असनारे के साथ श्रीराम रोटके, नितिन व्यास, सुनील विधले, अभिनंदन पेंढारी, बाबा गंगात्रे, प्रमोद जैन, महेश नांदुरकर, संदीप खेडकर, हरिभाउ विंचुरकर, डॉ. घनश्याम मुदगल, शेखर पांडे, विलास कांजरकर और बडी संख्या में महिला भाविकों की उपस्थिति रही.
* ऐतिहासिक है मंदिर
दत्त भगवान का यह मंदिर ऐतिहासिक है, पौराणिक है. एकमेव स्वयंभू दत्त त्रिमूर्ति है. मंदिर का नवनिर्माण दादासाहब खापर्डे के हस्ते हुआ. लोकमान्य तिलक, धोंडो महाराज देगलुरकर, जगतगुरू शंकराचार्य, सदगुरूदास महाराज सहित अनेक विभूतियों ने मंदिर को भेंट दी है. मंदिर में बारह ही माह प्रत्येक व्रत, उत्सव पर्व पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते है. परिसर में सुंदर लाइटिंग की गई है. अधिक मास और सावन मास में धार्मिक आयोजन, अनुष्ठान भी इस दत्त मंदिर की विशेषता कही जा सकती है.
* सामाजिक उपक्रम
विश्वस्त दीपक हुंडीकर ने बताया कि सामाजिक उपक्रम चलाए जाते है. अभी दत्त जयंती उत्सव अंतर्गत रकतगट और मधुमेह जांच शिविर का सफल आयोजन किया गया. प्रवीण् अंबुलकर, डॉ. मिलिंद जगताप, राजेश पिदडी के योगदान रहे. 2 हजार रूपए तक की रक्त जांच नि:शुल्क की गई. सैकडों लोगों ने इसका लाभ लिया. डॉ. अजय डफले डॉ. प्रफुल्ल कडू, डॉ. अविनाश चौधरी, डॉ. भूषण सोनवने, डॉ. रोहन कालमेघ, डॉ. विनित साबू, डॉ. दीपाली भैसे, आहार तज्ञ उज्वला ढेवले का योगदान रहा.
* कोचिंग क्लास भी चलती है मंदिर में
बुधवारा का दत्त मंदिर अनेक मायनों में अनूठा है. यहां विवाह प्रसंग भी आयोजित होते हैं तो इस क्षेत्र का उपयोग शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए भी हो रहा है. मंदिर की जगह में कोचिंग क्लास चलाई जाती है. जिसका आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को लाभ होता है. अत्यंत कम शुल्क में उन्हें पढाया जाता है.