घंटीवाले बाबा के भक्तों ने की बहिरम बाबा की परिक्रमा
जगह- जगह पर बहिरम बाबा को फूल अर्पित किए
परतवाडा/ दि. 28– मोर्शी के श्री संत मारोती महाराज उर्फ घंटीवाले बाबा के भक्तों ने मंगलवार को बहिरम की परिक्रमा की. इस परिक्रमा दौरान बहिरम बाबा सहित रास्ते में जगह-जगह झंडु के फूल अर्पित किए गए. इस समय भक्तों का बहिरम मंदिर का मैदान भी देखने ही लायक था.
श्री संत मारोती महाराज उर्फ घंटीवाले बाबा की अर्धाकृति चांदी का पुतले की थी. जिसे फूलों से सजाया गया था. वह पालखी लेकर सालबर्डी बेलोरा सहित पंचक्रोशीतील सैकडों भक्त मंगलवार को बहिरम मंदिर पर एकत्रित हुए. झंडू के फूलों सहित उन्होंने बहिरम बाबा के मंदिर में प्रवेश किया. मंदिर के पीछे बाजू में जंगल के रास्ते से वे काशी तालाब पहुंचे. काशी तालाब से आगे बढकर बहिरम यात्रा वापस मंदिर में पहुंची.
* 12 साल की तपश्चर्या
श्री संत मारोती महाराज 1952 में सालबर्डी में आए वहां शिवमंदिर भुयार में उन्होंने 1964 मेें लगभग 12 वर्ष तपश्चर्या की. तपश्चर्या के बाद सालबर्डी देवठाणा में मंदिर के बाजू में रहे.1972 में उन्होंने सेवाश्रम नाम की संस्था रजिस्टर की. 1975 में उनका देहावसान हो गया.
* एक पैसा और घंटी
श्री संत मारोती महाराज के पास एक घंटी थी. वह घंटी बजाकर वे गांव के लोगों को जगाते थे. गांव की साफ सफाई करते थे. गांव- गांव, बाजार- बाजार घूमकर वे एक पैसा मांगते थे. जिससे उनका नाम घंटीवाले बाबा पड गया. एक पैसा उनकी पहचान बनी.
* बाबा की परंपरा भक्तों ने चलाई
मोर्शी के श्री संत मारोती महाराज उर्फ घंटीवाले बाबा हर साल बहिरम यात्रा में शामिल रहते थे. वे बहिरम बाबा को झंडू के फूल चढाकर बहिरम की परिक्रमा पूरी करते थे. महाराज जाने के बाद भक्तों ने उनकी यह परंपरा आज भी कायम रखी है.