हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की… के साथ थिरकने लगे भक्तगण
सतीधाम मंदिर में भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में धूमधाम से मनाया गया कृष्ण जन्मोत्सव
अमरावती/दि.14- स्थानीय सतीधाम मंदिर में राणीसती दादीजी प्रागट्य महोत्सव के उपलक्ष में आयोजित भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के चौथे दिन रविवार को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बडे ही धूमधाम से मनाया गया. जन्मोत्सव के अवसर पर भागवताचार्य देवेंद्र दुबे द्वारा जन्मोत्सव के दौरान हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की…, नंद के घर आनंद भयो , जय कन्हैया लाल की…, सहित अनेक मधुर भजन प्रस्तुत किए गए. इस अवसर पर कथा में उपस्थित महिलाएं व भक्तगण थिरक उठे.
भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के चौथे दिन रविवार को भागवताचार्य देवेंद्र दुबे ने अपनी मधुर वाणी में भगवान कृष्ण व रामजन्म कथा, अमृत मंथन आदि कथा सुनाई. कथा के दौरान कृष्ण भगवान का जन्मोत्सव भी मवनाया गया. भागवताचार्य ने कहा कि जब लोग रावण के आतंक से परेशान हो गए, तब उन्होंने भगवान से सहायता करने का अनुरोध किया. भगवान लोगों के लिए राम बनकर पृथ्वी पर जन्मे और रावण का संहार किया. राजा दशरथ ने पुत्र कामेष्ठी यज्ञ से राम, लक्ष्मण, भड़त और शत्रुघ्न को पुत्र के रुप में प्राप्त किया. भगवान रामनवमी के दिन प्रकट हुए थे. नवमी इसलिए क्योंकि नौ का आंकडा पूर्णता का प्रतीक है. इसके बाद द्वापर युग का जब कंस का आतंक बढ़ा और सभी ने भगवान से प्रार्थना की तब भगवान ने कृष्ण के रुप में अवतार लिया. देवकी और वासुदेव के विवाह के बाद हुई आकाशवाणी से कंस भयभीत हो गए थे. कंस अपनी बहन को मारने दौडे तब वासुदेव ने कहा कि वह सभी पुत्र कंस के हवाले कर देंगे. भगवान ने देवकी के आंठवें पुत्र के रुप में जन्म लिया और पृथ्वी पर अवतरित हुए. भगवान की लीला से वासुदेव ने कृष्ण को अपने मित्र नंद के घर पहुंचाया. इस प्रसंग के दौरान मंदिर के ही एक महाराज ने नन्हें बालक को टोकरी में रख अपने सिर पर रखा और कथास्थल पर ले आए. तब महाराज ने कृष्णजन्म के अनेक भजन प्रस्तुत किए और उपस्थित भक्तगण व महिलाए अपने आप को थिरकने से नहीं रोक पाई. संपूर्ण वातावरण काफी उत्साहित और भक्तिमय हो गया था. उपस्थितो को मिठाई व प्रसाद का वितरण किया गया. इश मौके पर सेवा के उद्देश्य से गुड और ढेप का तुलादान भी किया गया. कलादेवी चौबे का तुलादान अनाज से किया गया. जो गरीबो को दान किया गया. इसके अलावा नैवेद्य खंडेलवाल, सुरेंद्र खंडेलवाल, मिताली टेलर, नरेंद्र खंडेलवाल, बेला खंडेलवाल, विजया खंडेलवाल, विजय सोलही, कांतादेवी भानुका, गायत्री बगडिया, कृष्णा सिरसकर, अनिल सरवैया, उमा वर्मा, वंश चौबे, आनंद कांजरीवाल, रामलाल साहू, सरोज घसीना, प्रवीण अग्रवाल, संध्या चुडीवाला, अथर्व खंडेलवाल, ऋषिता चौबे, वसंत गुप्ता, शांता राठी, प्रमिला खंडेलवाल आदि ने गुड व ढेप का तुलादान किया.