अमरावतीमहाराष्ट्र

सर्वोच्च न्यायालय के वर्गीकरण फैसले का धनगर समाज ने किया स्वागत

अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में धनगरो का अलग विभाजन करने की दिलीप एडतकर की मांग

अमरावती/दि.3– अनुसूचित जाति व जनजाति के आरक्षण में वर्गीकरण करने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का धनगर समाज परिषद ने स्वागत किया है. सर्वोच्च न्यायालय के क्रांतिकारी निर्णय के कारण धनगर समाज आरक्षण अमल का प्रश्न हल होगा और धनगर समाज को अधिकृत तौर पर अनुसूचित जनजाति की सुविधा मिलना शुरु होगा, ऐसा विदर्भ धनगर परिषद के अध्यक्ष एड. दिलीप एडतकर ने कहा है. अब महाराष्ट्र सरकार द्वारा उस दृष्टि से उचित कदम उठाने की मांग की गई है.
धनगर समाज यह अनुसूचित जनजाति की सूची में ‘धनगड’ इस नाम से शामिल है. ‘धनगड’ यानी ही धनगर ऐसा अभिप्रेत रहते धनगर समाज को महाराष्ट्र में आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा था. धनगर समाज को अनुसूचित जनजाति की सुविधा मिली तो अपना हिस्सा कम होगा, इसलिए आरक्षित रहे अनुसूचित जनजाति के बंधुओं ने धनगर समाज का आरक्षण अमल में लाने के लिए लगातार विरोध किया था. इसी तरह धनगरो को आदिवासी की सुविधा दी गई तो आरक्षित रहे आदिवासियों का विरोध होगा. इसलिए कोई भी सरकार धनगर समाज की न्यायोचित मांग की तरफ आरक्षित आदिवासियों की डर से अनदेखी कर रही थी. लेकिन अब अनुसूचित जनजाति में वर्गीकरण होनेवाला रहने से अनुसूचित जनजाति के किसी भी वर्ग की सुविधा से धनगर समाज का संबंध नहीं रहेगा. इस कारण अन्यो के आरक्षण में धनगर समाज का कोई भी हिस्सा नहीं रहेगा. इसलिए धनगर समाज के आरक्षण पर अमल की सरकार की इच्छा होगी तो सहजता से आसान हो गई है. अब अनुसूचित जनजाति में रहे लेकिन अमल में न आए आरक्षण पर अमल किया तो धनगर समाज को अन्य अनुसूचित जनजाति का विरोध नहीं होगा, ऐसा कहते हुए एड. दिलीप एडतकर ने अब धनगर के आरक्षण पर अमल करने के लिए आरक्षित रहे आदिवासियों को भी समर्थन देने का आवाहन किया है. वर्तमान स्थिति में धनगर समाज को विमुक्त जाति भटक्या जनजाति प्रवर्ग में 3.50 प्रतिशत आरक्षण है. वर्तमान में अस्तित्व रहे कुल आरक्षण में यह आरक्षण शामिल है. इस कारण अनुसूचित जनजाति में धनगर समाज का अलग वर्गीकरण किया गया तो आरक्षण की कुल संख्या में कोई बढोतरी नहीं होती. इस कारण आरक्षण मर्यादा उल्लंघन का प्रश्न भी निर्माण न होने से धनगर समाज के आरक्षण पर अमल सहज ही संभव है और वह राज्य सरकार द्वारा तत्काल करने की मांग एड. दिलीप एडतकर ने की है.

 

 

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