अमरावती

धंनु धंनु रामदास गुरु जिनि सिरिआ तिनै सवारिआ

गुरु रामदास जी का प्रकाश गुरपुरब उत्साह से

अमरावती -दि.11 आज गुरुद्वारा श्री गुरु सिंग सभा राजापेठ अमरावती में बड़ी श्रद्धा और मान के साथ पूरी समूची साध संगत ने धन धन श्री गुरु रामदास जी का प्रकाश गुरपुरब बड़े उत्साह से मनाया. आज सुबह श्री सप्ताह पाठ साहिब जी की समाप्ति हुई. भाई भूपेंद्र सिंह हजूरी रागी ने कीर्तन गायन करके संगत को निहाल किया. पिछले शनिवार और रविवार को प्रकाश गुरपुरब पर समर्पित के लिए विशेष कीर्तन दरबार सजाया गया था. दरबार साहिब अमृतसर वाले से भाई सुखजिंदर सिंग जी का कीर्तन दीवान हुआ था. उसके बाद गुरु का लंगर हुआ. सभी समूची साध संगत ने लंगर का लाभ लिया.
गुरुद्वारा श्री गुरुसिंह सभा अमरावती के गुरविंदर सिंह बेदी, राजेंद्र सिंह सलूजा, डॉ निक्कू खालसा, अमरजोत सिंह जग्गी, दिलीप सिंह बग्गा, रविंद्र सिंह सलूजा, सतपाल सिंह बग्गा, रतनदीप सिंघ बग्गा, हरप्रीत सिंह गांधी, जगदीश लाल छाबड़ा, मनजीत सिंह होरा, हिमिंद्र सिंह पोपली, नरेंद्र पाल सिंह अरोरा, अजिंदर सिंह मोंगा, राज सिंह छाबड़ा, रविंद्रपाल सिंह अरोरा, तेजिंदर सिंह उपवेजा, गुरविंदर सिंघ नंदा, अमरजीत सिंह जुनेजा, हिमिंद्र सिंह ओबेरॉय, आशीष जी मोंगा, हरविंदर सिंग राजपूत, शरणपाल सिंह अरोरा, हरबक्ष सिंह उबवेजा, जगविंदर सिंह सलूजा, देवेंद्र सिंह बग्गा, नरेन्द्रपाल सिंह ओबेरॉय, मनप्रीत सिंह होरा, नमन सिंह सलूजा, इंद्रपाल सिंह मोंगा, प्रितपाल सिंह मोंगा, शोलक हुडा, तजू मोंगा, हरदीप सिंह सलूजा, तरनजीत जयसिंघानिया, प्रवीण नथानी, सतपाल सिंह, सुमित सिंह, माता शानी पोपली माता सुरेंद्र कौर अरोरा, माता कमल कौर मोंगा, माता खालसा आंटी, रमी कौर बेदी, सुरजीत कौर सलूजा, अनीता कौर ओवेजा, मिनी कौर अरोरा, गगन कौर खालसा, आर्शी छाबड़ा, जसमीन कौर सलूजा, मनप्रीत कौर नंदा, मनप्रीत कौर सलूजा, लड़ी कौर सलूजा, रानी कौर सलूजा, कवलजीत कौर नंदा, गुंजन कौर छाबड़ा, सतनाम कौर हुडा, शीना कौर, अंजू कौर मोंगा, डॉली कौर, नंदा परिवार आदि की उपस्थिति रही.

* सारी जिंदगी धर्म-प्रचार
श्री गुरु रामदासजी ने अमृतसर में हरमंदिर साहिब की नींव रखी थी. उन्होंने स्वर्ण मंदिर के चारों और द्बार बनवाएं, इसका उद्देश्य था कि, यह दीवारें हर धर्म के लोगोें के लिए ख्ाुली है. कोई भी यहां बिना किसी रोकटोक के आ जा सकता है. श्री गुरु रामदास जी ने लंगर प्रथा भी चलाई और इसमें कोई भी धर्म का आदमी लंगर खा सकता था. सिक्ख धर्म को फैलाने के लिए आपने सारी जिंदगी प्रचार किया और भटके लोगों को रास्तें पाया. श्री गुरु रामदास जी ने धार्मिक यात्रा को बढावा दिया.

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