धोबी समाज को अजा श्रेणी में शामिल कर दिया जाये आरक्षण
धोबी परीट समाज आरक्षण समन्वय समिती की मांग
* पत्रवार्ता में मांग को लेकर दी गई विस्तृत जानकारी
अमरावती/दि.12– देश के सभी प्रांतों में कपडे धोने का परंपरागत काम करनेवाला धोबी समाज रहता है. जिनका सारे देश में रहन-सहन व कारोबार एक समान है. किंतु इसके बावजूद अलग-अलग राज्यों में धोबी समाज को अनुसूचित जाति व अन्य पिछडावर्ग के रूप में उल्लेखित करते हुए सरकारों ने समाज को बांटने का काम किया है. साथ ही किसी समय मध्य प्रांत (वर्तमान मध्य प्रदेश) का हिस्सा रहनेवाले भंडारा व बुलडाणा जिले के धोबी समाजबंधू अनुसूचित जाति में शामिल थे. वहीं इन दोनों जिलों के महाराष्ट्र में शामिल होते ही उन्हें अन्य पिछडावर्गीय श्रेणी में डालकर अनुसूचित जाति के लाभ व आरक्षण से वंचित कर दिया गया. अत: महाराष्ट्र राज्य में भी देश के अन्य राज्योें की तरह धोबी समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करते हुए उन्हें आरक्षण सहित अन्य सुविधाओं का लाभ दिया जाना चाहिए. इस आशय की मांग महाराष्ट्र धोबी परीट समाज आरक्षण समन्वय समिती द्वारा यहां बुलाई गई पत्रकार परिषद में की गई. इस पत्रवार्ता में समिती प्रमुख आशिष कदम व अध्यक्ष डी. डी. सोनटक्के ने बताया कि, 28 नवंबर 1976 के संविधान संशोधन अनुसार राज्य के किसी एक जिले में यदि किसी जाती हो अनुसूचित जाति की सुविधा मिल रही है, तो वह सुविधा उस जाति के लोगों हेतु समूचे राज्य में लागू होगी. जिसके तहत राजस्थान के अजमेर जिले में धोबी समाज के अनुसूचित जाति में रहने के चलते समूचे राजस्थान राज्य के धोबी समाज को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया. वहीं इससे पहले 1 मई 1960 को संयुक्त महाराष्ट्र राज्य बनने पर जब भंडारा व बुलढाणा को महाराष्ट्र में जोडा गया, तो इन दो जिलों में रहनेवाले धोबी समाज अनुसूचित जाति से निकालकर अन्य पिछडावर्ग में डाल दिया गया था. जबकि मध्यप्रदेश में धोबी समाज को आज भी अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया है. ऐसे में सबसे बडा सवाल है कि, राज्य बदलने से किसी समाज का श्रेणी स्तर कैसे बदल जाता है. ऐसे में विगत 50 वर्षों से धोबी समाज अपने अधिकार के लिए संघर्ष करते हुए महाराष्ट्र सरकार व सामाजिक न्याय विभाग से गुहार लगा रहा है. अत: महाराष्ट्र सरकार ने धोबी समाज के साथ जल्द से जल्द न्याय करना चाहिए.