अमरावती

रेडियंट स्ट्रोक यूनिट को डायमंड दर्जा

रेडियंट सुपर स्पेशालिटी अस्पताल का गौरव बढा

अमरावती/दि.19– पश्चिम विदर्भ में नामांकित रेडियंट सुपर स्पेशालिटी अस्पताल को वैश्विक स्ट्रोक ऑर्गनॉयजेशन जिनिवा स्वित्झरलैंड द्बारा रेडियंट स्ट्रोक यूनिट के लिए सर्वोंत्तम डायमंड दर्जा बहाल किया है. जिससे रेडियंट सुपर स्पेशालिटी अस्पताल का गौरव बढा है.
वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गनॉयजेशन यह संस्था केवल स्ट्रोक पर लक्ष्य केंद्रीत करती है. विश्व में 3 हजार वैक्तिक, 90 सोसायटी सदस्यों के साथ क्लिनीकल संसोधन व समूदाय सेटींग में 55 हजार सदस्यों का प्रतिनिधित्व करती है. रेडियंट अस्पताल को रेडियंट स्ट्रोक यूनिट के लिए यह सम्माननिय दर्जा दिया गया है. रेडियंट सुपर स्पेशालिटी अस्पताल के संचालक डॉ. सिकंदर आडवाणी, डॉ. आनंद काकाणी, डॉ. पवन अग्रवाल व संपूर्ण रेडियंट स्ट्रोक यूनिट का इसके लिए अभिनंदन किया जा रहा है.
भारत में हर वर्ष 15 लाख लोगों को स्ट्रोक की लागन होती है. वृद्धों में यह बीमारी अधिक रहती है. उसी प्रकार हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, हृदय विकार, धूम्रपान, मद्य सेवन से भी स्ट्रोक की संभावना रहती है. स्ट्रोक को पैरालाईसेस अटैक या लकवा भी कहते है. जिस तरह दिल का दौरा पडने को हार्ट अटैक कहते है, उसी प्रकार स्ट्रोक को ब्रेन अटैक भी कहा जाता है. स्ट्रोक से मरीज की मौत की संख्या भारत में सर्वांधिक है. उसी प्रकार स्ट्रोक के कारण अपंगत्व आने के मामले भी अधिक है. वर्तमान बदलती शैली के कारण अब युवाओं में भी स्ट्रोक की बीमारी का प्रमाण बढ रहा है.

* स्ट्रोक के प्रकार व लक्षण
– साधारण स्ट्रोक के 2 प्रकार है. इसमें इश्केमिक याने मस्तिष्क में खुन का प्रवाह कम होकर खुन की वाहिणियों में गाठे बनकर रक्तप्रवाह में दिक्कते आती है.
– हेमरेजिक इस प्रकार में मस्तिष्क में रक्तस्त्राव होने से ब्लड प्रेशर बढने से भी स्ट्रोक का अटैक होता है. लकवा आना, मूंह तेढा होना, शरीर के किसी अंग की शक्ति कम होना, चलते हुए गिर पडना, सिरदर्द, झटके आना यह स्ट्रोक के लक्षण है.

* रेडियंट अस्पताल में स्ट्रोक कोड
स्ट्रोक का मरीज अस्पताल में दाखिल होते ही अस्पताल प्रशासन द्बारा स्ट्रोक कोड एक्टीवेट किया जाता है. जिससे चंद पलों में न्यूरोलॉजिस्ट समेत संपूर्ण स्ट्रोक टीम तैयार होती है. स्ट्रोक आया हुए व्यक्ति यदि साडे 4 घंटे के भीतर अस्पताल में पहुंचा और सिटी स्कैन में खुन का बहाव नहीं रहा, तो थ्रोम्बोलाईसिस द्बारा खुन में बनी गाठे पिघलाने की दवाई से मरीज को आराम मिलता है. लेकिन यह दवाईयां देने से पहले डॉक्टरों द्बारा कई प्रकार की जांच की जाती है. रेडियंट के उत्कृष्ट सेवा के लिए यह सर्वोच्च डायमंड दर्जा बहाल किया गया है. कम समय में मरीज पर योग्य इलाज करने से अस्पताल को यह गौरव प्राप्त हुआ.

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