अमरावती/दि.16 – गत रोज नागपुर में सीएम फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति की सरकार का पहला कैबिनेट विस्तार करते हुए 39 मंत्रियों की शपथविधि हुई. परंतु अमरावती जिले से महायुति के 7 विधायक रहने के बावजूद अमरावती जिले को एक भी मंत्री पद नहीं मिला. जिसे लेकर आश्चर्य जताया जा रहा. साथ ही साथ सर्वाधिक हैरत इस बात को लेकर जतायी जा रही है कि, बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार 4 बार विधायक निर्वाचित होने वाले तथा सीएम देवेंद्र फडणवीस के बेहद नजदीकी रहने वाले विधायक रवि राणा को भी कैबिनेट विस्तार से बाहर रखा गया. जबकि अमरावती जिले में महायुति के प्रत्याशियों की जिद हेतु विधायक रवि राणा की पत्नी व भाजपा नेत्री पूर्व सांसद नवनीत राणा ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी. जिसके चलते विधायक रवि राणा खुद को मंत्री पद मिलने को लेकर काफी हद तक आश्वस्त भी थे. यहीं वजह रही कि, कैबिनेट विस्तार से पहले ही अमरावती व बडनेरा परिसर में युवा स्वाभिमान पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा विधायक रवि राणा को भावी कैबिनेट मंत्री व भावी पालकमंत्री बताते हुए शुभकामनाओं वाले बैनर पोस्टर व फ्लैक्स भी लगा दिये गये थे. साथ ही साथ राणा की मंत्री पद के तौर पर शपथ होने के बाद जमकर जल्लोष मनाने की तैयारी भी कर ली गई थी. लेकिन इसके बावजूद ऐन समय पर विधायक रवि राणा का नाम संभावित मंत्रियों की सूची में शामिल दिखाई नहीं दिया. जिसके चलते अब इसे लेकर चर्चा चल रही है कि, कही विधायक रवि राणा का ‘पॉलिटीकल गेम’ तो नहीं हुआ और यदि ऐसा हुआ है, तो फिर इसके पीछे ‘मास्टर माइंड’ कौन है.
उल्लेखनीय है कि, अमरावती जिले के इतिहास में पहली बार भाजपा के 5 विधायक चुनकर आये. जिसमें भाजपा के स्टार प्रचारक नवनीत राणा व विधायक रवि राणा की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही. खुद बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतने के साथ ही राणा दम्पति ने तिवसा, अचलपुर व मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में भी भाजपा प्रत्याशियों की जीत के लिए शानदार तरीके से काम किया. जिसके चलते विधायक रवि राणा को कैबिनेट मंत्री पद मिलना लगभग तय हो गया था तथा भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भी इस तरह का संदेश भेजा जा चुका था, ऐसी जानकारी सामने आयी है. लेकिन इसके बाद दो ही दिन के भीतर संभावित मंत्रियों की सूची से रवि राणा का नाम अचानक गायब हो गया. ऐसे में रवि राणा का पत्ता काटने के पीछे मुख्य वजह क्या रही. इसे लेकर जबर्दस्त चर्चाएं चल रही है.
* उठापठक से सीएम फडणवीस भी थे अनभिज्ञ
पता चला है कि, भाजपा व संघ परिवार से विधायक रवि राणा को मंत्री पद दिये जाने का काफी हद तक विरोध था. ऐसे में विगत कुछ दिनों से मंत्री पद के लिए विधायक राणा की हलचलों को देखते हुए तीन दिन पहले अमरावती से भाजपा व संघ के कुछ लोगों के प्रतिनिधि मंडल ने दिल्ली जाकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और उन्हें बताया था कि, यदि राणा को मंत्री बनाया जाता है, तो भाजपा के पूराने व निष्ठावान पदाधिकारी नाराज हो सकते है तथा अमरावती जिले की राजनीति अलग ही दिशा में जा सकती है. जिसके बाद विधायक राणा का नाम संभावित मंत्रियों की सूची से हटा दिया गया. जानकारी यह भी सामने आयी है कि, विधायक राणा को मंत्री बनाने हेतु इच्छुक रहने वाले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी इन तमाम बातों से पूरी तरह अनभिज्ञ थे.
* ‘पुनर्वसन फैक्टर’ साबित हुआ मंत्री पद में बाधा
यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि, विगत सप्ताह से कुछ इस तरह की चर्चाएं चलने लगी थी कि, राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे को एक बार फिर राज्यसभा से वापिस मुंबई बुलाया जाएगा, जो राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर कैबिनेट विस्तार में मंत्री पद की शपथ लेंगे. वहीं बोंडे के स्थान पर पूर्व सांसद नवनीत राणा को राज्यसभा सदस्य के तौर पर सांसद बनाया जाएगा. हालांकि ऐसा भी कुछ नहीं हुआ है. परंतु सूत्रों के मुताबिक डॉ. बोंडे व नवनीत राणा के बीच चल रहा यह ‘पुनर्वसन फैक्टर’ भी रवि राणा के मंत्री पद की राह में बाधा साबित हुआ है. जिसके चलते कैबिनेट विस्तार मेें अमरावती जिले की पाटी कोरी की कोरी ही रह गई.
* वरिष्ठ नेतृत्व के भी जिले के नेताओं को आये थे फोन
इसके साथ ही अब यह जानकारी भी सामने आयी है कि, दिल्ली से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अमरावती शहर सहित जिले के भाजपा व संघ पदाधिकारियों को फोन करते हुए यह जानने का प्रयास किया था कि, किसे मंत्री बनाने का क्या फायदा व क्या नुकसान होगा. पता चला है कि, इसमें भी स्थानीय भाजपा व संघ के कई पदाधिकारियों ने विधायक रवि राणा को मंत्री पद दिये जाने पर भाजपा का नुकसान होने की बात कही थी. संभवत: इसे भी ध्यान में रखते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा मंत्री पद के संभावित नामों की सूची से ऐन समय पर विधायक रवि राणा का नाम काट दिया गया.
* राणा परिवार से हर कोई ‘नॉट रिचेबल’
वहीं इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जानकारी व प्रतिक्रिया हेतु संपर्क का कई बार प्रयास करने के बावजूद विधायक रवि राणा व उनकी पत्नी पूर्व सांसद नवनीत राणा सहित युवा स्वाभिमान पार्टी के मार्गदर्शक सुनील राणा पूरा समय ‘नॉट रिचेबल’ रहे. जिसकी वजह से इस घटनाक्रम को लेकर राणा परिवार की ओर से किसी की भी अधिकृत प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो पायी है.