महाविद्यालयों व विद्यापीठों में न मनाई जाए दिडोलकर जयंती
वंचित बहुजन आघाडी व सम्यक विद्यार्थी आंदोलन ने उठाई मांग
अमरावती/दि.5– राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व भारतीय जनता पार्टी से वास्ता रखने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संस्थापक दत्ताजी दिडोलकर की जयंती राज्य के सभी विद्यापीठों, महाविद्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों में मानने का नियोजन करते हुए राज्य सरकार व्दारा आदेश जारी किया गया जो पूरी तरह से गलत है. शैक्षणिक संस्थानों को किसी भी तरह की राजनीति से कोई संबंध नहीं होता अत: राजनीति से वास्ता रखने वाले किसी भी व्यक्ति की जयंती या पुण्यतिथि मनाने को लेकर शिक्षा संस्थानों पर जबरन कोई निर्णय नहीं लादा जाना चाहिए. इस आशय का ज्ञापन वंचित बहुजन आघाडी व सम्यक विद्यार्थी आंदोलन व्दारा विद्यापीठ अनुदान आयोग के सचिव के नाम जारी किया है.
इस ज्ञापन में कहा गया है कि यदि भाजपा व आरएसएस संगठनों व्दारा अपने किसी भी नेता का जन्मदिवस अपनी पार्टी या संगठन स्तर के पर मनाया जाता है, तो इसे किसी का कोई लेना-देना नहीं है. परंतु जो व्यक्ति कभी किसी संवैधानिक पद पर नहीं रहा, उसकी जयंती या पुण्यतिथि को शिक्षा संस्थाओं में मनाने के पीछे कोई तुक नहीं है, बल्कि यह सीधे-सीधे विद्यार्थियों पर अपनी विचारधारा को लादने का प्रयास है. जिसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जिसके साथ ही इस ज्ञापन में यह आरोप भी लगाया गया है कि आरएसएस व भाजपा की तरह अभाविप भी एक दक्षिणपंथी संगठन है और इस संगठनों व्दारा देश के संविधान व सेक्युलर विचारधारा पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं रखा जाता. इस तरह की विचारधारा को बिल्कुल भी प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए. ज्ञापन सौंपते समय शीलवंत खिराडे, अभिषेक खंडारे, कल्पेश धंदर, मयूर गायकवाड, स्वप्नील खानंदे, राजेश वानखडे, धीरज दहाट आदि उपस्थित थे.