अमरावती

ठंडाई के साथ घेवर की मांग बढी

होली व धुलिवंदन का रंग चढ रहा बाजार पर

अमरावती/दि.17– कोविड संक्रमण के खतरे व संकट की वजह से विगत दो वर्ष होली सहित सभी तरह के पर्व एवं त्यौहारों पर कडे प्रतिबंधों का साया था. ऐसे में पूरे दो साल तक शहर सहित जिले के बाजारों में जबर्दस्त सन्नाटा पसरा रहा. किंतु अब कोविड संक्रमण का खतरा काफी हद तक खत्म हो गया है और प्रतिबंधों को शिथिल कर दिया गया है. जिसके चलते अब पहले की तरह पूरे उत्साह के साथ होली मनायी जायेगी. जिसके मद्देनजर बाजार होली पर्व के लिए पूरी तरह से तैयार होकर सज गया है और इस पर्व के लिए पहले की तरह विविध वस्तुओं बिक्री हेतु उपलब्ध है. जिनमें ठंडाई और घेवर की अच्छी-खासी मांग देखी जा रही है.
बता दें कि, धुलिवंदन के पर्व और ठंडाई का बेहद करीबी रिश्ता माना जाता है. गुलाब व केशर ठंडाई के साथ-साथ अब खस, नीबू, आम, लिची व संतरा फ्लेवर की ठंडाई भी बाजार में बिक्री हेतु उपलब्ध हो गई है. इसके साथ ही सिंधी व राजस्थानी समाज में घेवर नामक मिठाई का भी जमकर चलन रहता है. ऐसे में बाजार में इस समय अलग-अलग फ्लेवरवाली ठंडाई के साथ-साथ घेवर की मिठाई की अच्छी-खासी मांग देखी जा रही है. इस समय शाही व केसर बादाम फ्लेअवरवाली ठंडाई के साथ-साथ बाजार में करीब 10 से 11 प्रकार की ठंडाई बिक्री हेतु उपलब्ध है और 750 मिली ठंडाई की बोतल की कीमत 300 से 350 रूपये के आसपास है. विगत कुछ वर्षों के दौरान लोगोें में होली के पर्व पर ठंडाई के सेवन का चलन काफी अधिक बढ गया है. क्योंकि, ठंडाई को कई स्वास्थ्यवर्धक पदार्थों का प्रयोग करते हुए बनाया जाता है. जिसका सेवन करने से पूरे परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य रक्षा होती है. वहीं दूसरी ओर सिंध एवं राजस्थान प्रांत में तैयार होनेवाली घेवर नामक मिठाई अब सिंधी एवं राजस्थानी समाज से वास्ता रखनेवाले मिठाई विक्रेताओं द्वारा स्थानीय बाजारों में भी बिक्री हेतु उपलब्ध करायी जाने लगी है. जलेबी का ही एक प्रकार रहनेवाली इस मिठाई की स्थानीय बाजारों में अच्छी-खासी मांग भी रहती है और होली के पर्व पर घेवर की बिक्री कई गुना अधिक बढ जाती है. मैदा व वनस्पती घी के साथ ही अन्य साहित्य के साथ तैयार होनेवाली घेवर मिठाई 400 रूपये किलो के दाम पर बिकती है. इसके साथ ही होली के पर्व पर मावा गुझिया, मावा कचोरी व मावा समोसे जैसे मिष्ठान्न भी बिक्री हेतु उपलब्ध होते है. जिनकी मिठाई के शौकीनों में अच्छी-खासी मांग होती है.

* सिंधी घियर की भी सुगंध फैली फिजा में
जिस तरह शहर के जवाहर गेट परिसर स्थित मिष्ठान्न भंडारों में राजस्थानी व्यंजन घेवर बिकता है, उसी तरह शहर के कंवरनगर, दस्तुरनगर, सिंधु नगर व रामपुरी कैम्प सहित बडनेरा सिंधी कैम्प जैसे सिंधी बहुल इलाकों में इससे ही मिलता-जुलता सिंधी घियर बनाया जाता है. यह लगभग जलेबी की तरह ही होता है. किंतु आकार में जलेबी से थोडा बडा रहता है. 200 रूपये प्रति किलो की दर पर बिकनेवाले सिंधी घियर की सिंधी समाज बंधुओं के अलावा अन्य सभी समाजबंधुओं में अच्छाी-खासी मांग होती है. इसके साथ ही होली के पर्व पर खारा खस्ता, बालूशाही, मिठा समोसा, तोषा, गुलाबजामून, बूंदी, मिल्क केक व सिंधी पेढा जैसे व्यंजनों की भी अच्छी-खासी मांग रहती है. इस समय सिंधी बहुल इलाकों में स्थित मिष्ठान्न भंडारों में खरीददारी के लिए अच्छी-खासी चहल-पहल है.

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