अमरावती

पढने में तकलीफ, कहीं डिस्लेक्सिया तो नहीं?

अमरावती/दि.29– जब हम पढना सीखते है, तो सीखने की वह प्रक्रिया शुरुआत में सभी के लिए थोडी मुश्किल होती है. कई बच्चों के लिए अक्षरों को समझने और उन्हें उच्चारण करने की पद्धति को जानने में काफी मुश्किलें जाती है. इसकी वजह से उन्हें पढने में अच्छी खासी दिक्कत होती है. शुरुआत में ही यह दिक्कत रहने के चलते ऐसे बच्चों को आगे चलकर पढने के साथ-साथ लिखने में भी दिक्कत होने लगती है. ऐसा नहीं है कि, ऐसे बच्चें पढने-लिखने और किसी बात को समझने में कमजोर होते है, बल्कि हकीकत में वे डिस्लेक्सिया जैसी बीमारी से ग्रस्त रहते है. जिसकी वजह से उनके साथ अक्षरों को समझने तथा पढने-लिखने में थोडी मुश्किल रहती है. डिस्लेक्सिक बच्चों को एक बार सही ढंग से अक्षरों की पहचान करवाते हुए उससे संबंधित उच्चारण का परिचय करा देने पर उनके लिखने-पढने की समस्या दूर हो जाती है.
* क्या है डिस्लेक्सिया?
बौद्धिक विकास होते समय शब्दों की पहचान बार-बार बताने के बाद भी अगर बच्चा उसे नहीं समझ पा रहा है और लिखते समय शब्दों को उलट-पुलट करते हुए लिख रहा है, तो इसे डिस्लेक्सिया की बीमारी माना जाता है.
* क्या है लक्षण?
अक्षरों को लेकर गलत समझ, गलत स्पेलिंग, लिखने में समस्या, श्रवण व स्मरण शक्ति कम रहना, किसी विशिष्ट घटना का वर्णन करने हेतु शब्दों का चयन करने में दिक्कत आदि को डिस्लेक्सिया के लक्षण कहा जा सकता है.
* क्या है वजह?
यह बीमारी मुख्य तौर पर अनुवांशिकता की वजह से होती है, या फिर मस्तिष्क के फंक्शन में कोई दिक्कत रहने पर यह समस्या पैदा होता है. जिसकी वजह से मस्तिष्क का विकास अवरुद्ध होता है. इन्हीं दो कारणों के चलते डिस्लेक्सिया की बीमारी होने की जानकारी विशेषज्ञों के जरिए सामने आयी है.
* क्या है इलाज?
– बच्चों को शब्दों का उच्चारण एवं स्वर ध्यान में रहे, इस हेतु उन्हें बार-बार पढकर बताए
– यदि कोई शब्द काफी बडा है, तो उस शब्द के अलग-अलग हिस्से करते हुए उस शब्द का आराम में उच्चारण करें
– हाथ से ताली बजाकर उसकी ताल पर शब्द के उच्चारण को सीखाने का प्रयास करें
* डिस्लेक्सिया को मानसिक बीमारी की बजाय एक तरह की कमजोरी कहा जा सकता है, जो मस्तिष्क के एक खास हिस्से के कम क्रियाशील रहने की वजह से पैदा होती है. यदि थोडे से प्रयासों के जरिए बच्चे के मस्तिष्क में कुछ हिस्सें को क्रियाशील कर दिया जाए, तो यह कमजोरी खत्म हो जाती है. ध्यान रखे कि, डिस्लेक्सिया का कोई औषधिय उपचार नहीं है, बल्कि इसे योग्य व समूचित समूपदेशन के जरिए ही दूर किया जा सकता है. अत: यदि किसी बच्चे को अक्षरों को पहचानने और पढने-लिखने में किसी तरह की दिक्कत हो रही है, तो ऐसे बच्चे को पढाई-लिखने के लिए डांटने-फटकारने की बजाय उन्हें तुरंत किसी योग्य मानस विशेषज्ञ समूपदेशक से मिलवाना चाहिए.
– अमिता दुबे,
क्लिनिकल सायकॉलॉजिस्ट,
अस्तित्व परामर्श केंद्र

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