* 3 को पेश करेंगे अपना नामांकन
अमरावती/दि.29 – शिवसेना उबाठा के जिला प्रमुख रहने वाले दिनेश बूब ने आज एक पत्रवार्ता लेकर प्रहार जनशक्ति पार्टी की टिकट पर अमरावती संसदीय क्षेत्र से आगामी लोकसभा चुनाव लडने का खुला ऐलान कर दिया है. साथ ही उन्होंने बताया कि, वे पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष व विधायक बच्चू कडू तथा मेलघाट के विधायक राजकुमार पटेल की प्रमुख उपस्थिति के बीच आगामी 3 अप्रैल को अपनी दावेदारी का नामांकन पेश करने वाले है.
खापर्डे बगीचा परिसर स्थित न्यू आजाद गणेशोत्सव मंडल में आज दोपहर बुलाई गई पत्रवार्ता में उपरोक्त ऐलान करने के साथ ही दिनेश बूब ने कहा कि, अमरावती संसदीय क्षेत्र में इस समय बडे-बडे राजनीतिक दलों एवं प्रस्थापित राजनेताओं द्वारा जिस तरह के हालात बना दिये गये है, उसे देखते हुए आम जनता में अपने जनप्रतिनिधियों को लेकर काफी हद तक निराशा व संभ्रम वाला माहौल है तथा उनके परिचय में रहने वाले कई लोगों एवं विभिन्न राजनीतिक दलों में उनके मित्र रहने वाले पदाधिकारियों ने उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव लडने हेतु कहा. ऐसे में जनभावना का सम्मान करते हुए वे आगामी संसदीय चुनाव में हिस्सा लेने जा रहे है.
* शिवसेना ने कांग्रेस के लिए यूं ही छोड दी अपनी सीट
इस पत्रवार्ता में दिनेश बूब ने साफ तौर पर कहा कि, शिवसेना उबाठा में महा विकास आघाडी के तहत अमरावती संसदीय सीट को ‘अलगद’ ही कांग्रेस के हवाले कर दिया. जबकि सन 1991 से लेकर आज तक यह संसदीय क्षेत्र शिवसेना का परंपरागत गढ रहा है. यहां से शिवसेना ने 7 बार अपना प्रत्याशी खडा करने के साथ ही 5 बार जीत हासिल की है. यहीं वजह है कि, अमरावती संसदीय सीट पर इस बार भी शिवसेना का प्रत्याशी दिये जाने की पार्टी नेतृत्व से मांग की जा रही थी. लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता अरविंद सावंत ने एक साल पहले से ही यह कहना शुरु कर दिया था कि, अमरावती में पार्टी की कोई गतिविधि ही नहीं है. इसका सीधा मतलब है कि, ऐसा कहने की आड लेते हुए कहीं न कहीं किसी और को मदद पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.
* पार्टी नेतृत्व को अपनी भूमिका से पहले ही अवगत करा दिया था
इस समय पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए दिनेश बूब ने कहा कि, उन्होंने अपनी ओर से शिवसेना उबाठा के पार्टी नेतृत्व को अमरावती संसदीय सीट अपने ही कब्जे में रखने हेतु मनाने का पूरा प्रयास किया. लेकिन जब पार्टी नेतृत्व ने उनकी बात को अनसुना कर दिया. तब उन्होंने अपनी अलग राह पकडने की सोची. दिनेश बूब ने कहा कि, उन्होंने अब तक शिवसेना के जिला प्रमुख पद व प्राथमिकता सदस्यता से लिखित तौर पर अपना इस्तीफा नहीं दिया है और उन्होंने प्रहार जनशक्ति पार्टी की कोई सदस्यता भी ग्रहण नहीं की है. लेकिन अमरावती संसदीय क्षेत्र की भलाई को ध्यान में रखते हुए उन्होंने और प्रहार जनशक्ति पार्टी के विधायक बच्चू कडू व राजकुमार पटेल ने एकसाथ आने का निर्णय लिया है.
* बगावत नहीं, मौजूदा वक्त की जरुरत है मेरी दावेदारी
अपने इस फैसले को बगावत मानने से पूरी तरह इंकार करते हुए दिनेश बूब ने कहा कि, उन्होंने अपनी भूमिका पहले दिन से पार्टी नेतृत्व के सामने स्पष्ट कर दी थी और उस समय वे खुद चुनाव लडने के इच्छूक नहीं थे, बल्कि उनकी यह इच्छा थी कि, शिवसेना द्वारा यह सीट अपने कब्जे में रखते हुए किसी योग्य शिवसैनिक को अपना प्रत्याशी बनाया जाए, लेकिन अब हालात कुछ ऐसे हो गये है कि, खुद उन्हें चुनावी मैदान में उतरना पड रहा है. दिनेश बूब के मुताबिक उन्होंने इस चुनाव के लिए विकास के विजन को लेकर विजय प्राप्त करने का स्पष्ट एजेंडा तैयार किया है और वे जाति और धर्म की राजनीति से दूर रहते हुए जिले के समग्र विकास के लिए काम करेंगे. साथ ही एक आदर्श जनप्रतिनिधि कैसा होता है, इसकी मिसाल भी पेश करेंगे.
* हमने अपनी समाजसेवा का कभी कोई ढोल नहीं पीटा
इस समय दिनेश बूब ने यह भी कहा कि, वे 14-15 वर्ष की उम्र से ही समाजसेवा के क्षेत्र के साथ जुड गये थे और उनका पूरा परिवार 4 पीढियों से समाजसेवा के प्रति समर्पित रहा है. साथ ही उन्होंने व उनके परिवार ने कभी भी अपने द्वारा किये गये सामाजिक कामों की प्रसिद्धि नहीं की. यहां तक कि, जब वे अमरावती महानगरपालिका में पार्षद भी थी, तो उन्होंने पार्षद विकास निधि से किये गये विकास कामों के भूमिपूजन या शुभारंभ का अपने वार्ड या प्रभाग में कहीं कोई बोर्ड नहीं लगवाया और विकास कामों की खबरें नहीं छपवाई. जबकि इन दिनों अमरावती में जनप्रतिनिधियों के बीच विकास कामों का श्रेय लूटने को लेकर आपसी झगडे व लडाई चलते रहते है. इस चित्र को बदला जाना बेहद जरुरी है. 80 फीसद समाजकारण व 20 फीसद राजनीति को अपने जीवन का ध्येय बताते हुए दिनेश बूब ने कहा कि, अपने परिवार के बुजुर्गों और सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र के वरिष्ठों ेसे मिले संस्कारों की वजह से आज उनके पास लोकसंग्रह है और इसी लोकसंग्रह के दम पर वे आगामी लोकसभा का चुनाव लडने जा रहे है. जिसमें निश्चित तौर पर उन्हें जीत भी हासिल होगी.
* बच्चू कडू के साथ रहे काफी पुराने संबंध
विधायक बच्चू कडू के साथ अपने काफी पूराने संबंध रहने की बात कहते हुए दिनेश बूब ने कहा कि, बच्चू कडू भी पुराने शिवसैनिक है और जब शिवसेना में उनके द्वारा कही गई बातों की अनदेखी होने लगी थी, तो उन्होंने चूपचाप पार्टी से अलग होकर अपना रास्ता चुन लिया था. लगभग वहीं स्थिति आज उनके साथ भी है. यहीं वजह है कि, वे भी पार्टी नेतृत्व के निर्णय को अमान्य करते हुए खुद को मिले संवैधानिक अधिकारों के चलते लोकसभा का चुनाव लडने जा रहे है.
* लगे तो सही कि, कोई है ‘मर्द का बच्चा’
इस पत्रवार्ता में दिनेश बूब ने यह भी कहा कि, इस समय अमरावती संसदीय क्षेत्र में जिस तरह की स्थिति है, उसे देखते हुए अगर उन्होंने यह लोकसभा चुनाव नहीं लडा, तो उन्हें अमरावती की जनता और आने वाला वक्त कभी माफ नहीं करेगा. यह चुनाव लडकर वे साफ संदेश देना चाहते है कि, अमरावती में आज भी कोई ‘मर्द का बच्चा है.’ दिनेश बूब ने यह भी कहा कि, इस समय उनके सामने दो प्रमुख प्रतिद्वंदी है तथा दोनों ही काफी बडे जनप्रतिनिधि भी है. उन दोनों जनप्रतिनिधियों द्वारा उनके विगत कार्यकाल दौरान आम जनता के हित में किये गये कामों का आकलन खुद अमरावती की जनता करें. साथ ही यह भी देखेे कि, दिनेश बूब ने बिना किसी पद पर रहते हुए अपने मित्र परिवार व न्यू आजाद गणेशोत्सव मंडल के जरिए कितने समाजोपयोगी काम किये और उसके बाद अमरावती संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं खुद होकर सांसद चुनने के बारे में फैसला करें.
* मैंने कभी लोगों को जाति व धर्म के नाम पर बांटने का काम नहीं किया
अपने द्वारा किये गये कई सामाजिक कामों का उल्लेख करते हुए दिनेश बूब ने कहा कि, वे यद्यपि शुरु से ही हिंदुत्व के विचारधारा पर चलने वाले शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे के कट्टर शिवसैनिक रहे, लेकिन उनका हिंदूत्व सर्वसमावेशी है और वे हमेशा समाज के सभी घटकों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते आये है. उन्होंने कभी भी अलग-अलग जाति व धर्म के लोगों को एक-दूसरे से बांटने या लडाने का काम नहीं किया है, बल्कि समाज के सभी घटकों को जोडे रखते हुए एकजुट रखना शामिल रहा. ऐसे में अब अमरावती संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं को यह तय करना है कि, उन्हें आग लगाकर उसमें पेट्रोल डालने वाले लोगों के साथ जाना है, या फिर आग पर पानी डालकर आग बुझाने वाले हम जैसे लोगों का साथ देना है.
* हम और हमारा हिंदुत्व असली, उनका तो सबकुछ फर्जी
आप भी शिवसैनिक के तौर पर हिंदूत्ववादी के रुप में पहचान रखते है और सांसद नवनीत राणा भी बढ-चढकर हिंदुत्व की बात करती है. ऐसे में क्या आप दोनों के प्रतिस्पर्धी होने का फायदा किसी तीसरे प्रत्याशी को नहीं मिलेगा. इस सवाल के जवाब में दिनेश बूब ने कहा कि, हम असली हिंदूत्ववादी है और हमने आज तक कभी भी अपनी राजनीतिक भूमिका व सिद्धांतों से कभीे कोई समझौता नहीं किया है. वहीं वे लोग (राणा दम्पति) समय और मौका देखकर अपना मुखौटा बदल लेते है और उनका हिंदुत्व पूरी तरह से नकली व फर्जी है.
* किसी की खैर नहीं, किसी से बैर नहीं
इस पत्रवार्ता में उपस्थित प्रहार जनशक्ति पार्टी के विधायक राजकुमार पटेल ने आगामी लोकसभा चुनाव में अमरावती संसदीय सीट से दिनेश बूब की उम्मीदवारी घोषित करते हुए बताया कि, प्रहार जनशक्ति पार्टी के अमरावती जिले में 2 विधायक है. जिसे देखते हुए प्रहार जनशक्ति पार्टी ने महायुति के तहत कम से कम एक सीट के रुप में अमरावती संसदीय सीट की मांग की थी. लेकिन इस मांग को महायुति के नेताओं ने अनदेखा कर दिया. ऐसे में प्रहार जनशक्ति पार्टी ने अमरावती संसदीय सीट से अपना प्रत्याशी खडा करने का निर्णय पहले ही ले लिया था. इस बारे में पार्टी की दो बैठकें भी हुई. जिसके बाद पार्टी प्रमुख बच्चू कडू ने प्रत्याशी तय करने की जिम्मेदारी उन्हें (पटेल) को दी थी. ऐसे में उन्होंने जिले की राजनीति में अपना अलग प्रभाव रखने वाले दिनेश बूब से इस बारे में चर्चा करते हुए उन्हें प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने के लिए राजी किया और दिनेश बूब ने भी इसे लेकर अपनी हामी भरी. ऐसे में इस निर्णय से पार्टी प्रमुख बच्चू कडू को अवगत करा दिया गया और उनकी अनुमति मिलते ही आज पत्रवार्ता लेकर प्रहार पार्टी के प्रत्याशी के नाम की घोषणा की जा रही है.
इस पत्रवार्ता में विधायक राजकुमार पटेल ने यह भी कहा कि, दिनेश बूब अपने आपमें एक कर्मठ कार्यकर्ता और सभी को साथ लेकर चलने वाले नेता है. जिन्हें आज का सुदाम देशमुख भी कहा जा सकता है. इस समय पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए विधायक राजकुमार पटेल ने कहा कि, अभी प्रहार जनशक्ति पार्टी ने महायुति से बाहर निकलने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है. लेकिन अगर हमारे द्वारा प्रत्याशी खडा किये जाने की वजह से महायुति के नेता हमें महायुति से बाहर निकालना चाहते है, तो वे ऐसा निश्चित तौर पर कर सकते है. साथ ही विगत दिनों विधायक रवि राणा द्वारा उनके घर पर दी गई भेंट के बारे में पूछे गये सवाल पर विधायक राजकुमार पटेल का कहना रहा कि, बीते दिनों विधायक रवि राणा ने उनके घर पर आकर उनसे सांसद नवनीत राणा के पक्ष में प्रचार करने की बात कही थी. जिससे उन्होंने विनम्रतापूर्वक इंकार कर दिया. लेकिन चूंकि वे ‘अतिथि देवो भव:’ की परंपरा में विश्वास रखते है. ऐसे में उन्होंने विधानसभा में अपने समकक्ष रहने वाले विधायक रवि राणा का अपने निवास्थान पर यथोचित स्वागत सत्कार व आदरातिथ्य भी किया था.
इस समय भाजपाईयों के विरोध के बावजूद भाजपा द्वारा नवनीत राणा को ही अपना प्रत्याशी बनाये जाने से संबंधित सवाल पूछे जाने पर विधायक राजकुमार पटेल ने कहा कि, इससे राणा दम्पति के सामने भाजपा के बडे नेताओं की लाचारी भी साबित होती है. साथ ही यह भी पता चलता है कि, भाजपा के बडे नेताओं द्वारा स्थानीय स्तर के पदाधिकारियों की बात को कितना महत्व दिया जाता है.