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दिनेश बुब आज मुंबई में, वहीं से ‘मंडल’ को दिया इंटरव्यू

मुझे अभी भी उम्मीद, सीट सेना को छुटेंगी, नहीं तो कांग्रेस का काम करेंगे

* पार्टी का 23 मार्च का सम्मेलन जरुर होगा
* महाविकास आघाडी एकजुट
अमरावती/दि. 22 – अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भले ही कांग्रेस की तरफ से बलवंत वानखडे की उम्मीदवारी घोषित हो गई है. लेकिन अभी भी चित्र स्पष्ट नहीं है. जिले में शिवसेना के कार्य को देखते हुए यह सीट महाविकास आघाडी गठबंधन में शिवसेना उबाठा को छुटने की पूरी उम्मीद है, ऐसा मुंबई से अमरावती मंडल को बताते हुए दिनेश बुब ने कहा कि, कल शनिवार 23 मार्च को शिवसेना उबाठा कार्यकर्ताओं का सम्मेलन अमरावती में जरुर होगा.
पिछले कुछ दिनों से अमरावती संसदीय क्षेत्र की सीट शिवसेना उबाठा को मिलने के लिए स्थानीय नेताओं द्वारा प्रयास किए जा रहे थे. लेकिन पहले से ही निश्चित माना जा रहा था कि, यह सीट महाविकास आघाडी की तरफ से कांग्रेस को दी गई है और आज इस पर मुहर भी लग गई. कांग्रेस की तरफ से दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक बलवंत वानखडे को कांग्रेस की टिकट देने की घोषणा कर दी गई है. ऐसे में शिवसेना उबाठा की तरफ से दिनेश बुब को उम्मीदवारी मिलने के लिए शिवसेना नेताओं द्वारा किए जा रहे प्रयास विफल साबित हो गए. आज भी इच्छुक उम्मीदवार दिनेश बुब के साथ शिवसेना उबाठा के स्थानीय नेता मुंबई में है. बलवंत वानखडे की उम्मीदवारी घोषित होने के बाद दिनेश बुब से संपर्क किया गया, तो उन्होंने ‘अमरावती मंडल’ को फोन पर दिए इंटरव्यू में कहा कि, अभी चुनावी चित्र स्पष्ट नहीं हुआ है. भाजपा महागठबंधन द्वारा किसे उम्मीदवारी दी जाती है. उस पर सब कुछ निर्भर है. अभी भी शिवसेना उबाठा को अमरावती संसदीय क्षेत्र की सीट मिलने की पूरी उम्मीद है. सभी दलों के उम्मीदवार घोषित होने के बाद आगे की भूमिका निश्चित की जाएगी. लेकिन सभी प्रयासो के बावजूद यदि कुछ नहीं होता है तो महाविकास आघाडी एकजुट है और कांग्रेस उम्मीदवार बलवंत वानखडे के लिए सभी के द्वारा एकजुटता से काम किया जाएगा. शिवसेना उबाठा द्वारा शनिवार 23 मार्च को अमरावती के नेमाणी इन में होनेवाला सम्मेलन जरुर होगा. इस सम्मेलन के जरिए कार्यकर्ताओं में नई उर्जा निर्माण की जाएगी.

* बिखरे कार्यकर्ताओं को किया एकजुट
दिनेश बुब ने एक सवाल के जवाब में बताया कि, अमरावती संसदीय क्षेत्र के आनंदराव अडसूल जब सांसद थे तब शिवसेना में काफी मतभेद निर्माण हो गए थे और गुटबाजी की राजनीति के कारण कार्यकर्ता बिखर गए थे. लेकिन अडसूल के जाने के बाद गुटबाजी को समाप्त कर बिखरे कार्यकर्ताओं को एकजुट लाने का प्रयास किया गया और सभी कार्यकर्ता एकजुट हो गए है. बुब ने यह भी कहा कि, शिवसेना की स्थापना को 46 साल पूर्ण हो गए है और अमरावती में 38 साल में से 32 साल से वें पार्टी के पदाधिकारी है.

* शिवसेना में कोई जातिवाद नहीं
दिनेश बुब से ऐनवक्त पर उम्मीदवारी के लिए भागदौड करने और आखिर समय पर पार्टी के स्थानीय नेताओं द्वारा इस बाबत प्रयास किए जाने के सवाल पर कहा कि, शिवसेना उबाठा ही ऐसी पार्टी है, जिसमें कोई जातिवाद, प्रांतवाद अथवा भाषावाद नहीं है. वह एक हिंदी भाषी रहने के बावजुद पार्टी में उनका काफी सम्मान किया है और 32 सालों से जिम्मेदारी सौंपती आई है. यदि पार्टी में जातिवाद की राजनीति रहती तो वह काफी समय से पार्टी छोड देते. लेकिन शिवसेना उबाठा में ऐसा नहीं है.

* हम निष्क्रिय नहीं, हमेशा सक्रिय
अमरावती संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवारी मिलने के लिए प्रयास देरी से होने और राजनीतिक दूरदृष्टि कमजोर पडने के सवाल पर दिनेश बुब ने कहा कि, अन्य पार्टी के वरिष्ठ नेता अथवा पदाधिकारियों की तरह वह कभी विदेश दौरा नहीं करते. पार्टी के एक सच्चे कार्यकर्ता और समाजसेवी के नाते उनका मोबाईल भी कभी स्वीचऑफ नहीं रहता. वें 24 घंटे सभी की सेवा के लिए उपलब्ध रहते है. इस कारण उन पर अथवा पार्टी पर लगाए जाते आरोप गलत है. अन्यो की तरह वें कभी निष्क्रिय नहीं बल्कि सक्रिय रहे है.

* क्या ‘प्रहार’ से उतरेगे मैदान में?
दिनेश बुब के ‘प्रहार’ के संस्थापक अध्यक्ष विधायक बच्चू कडू से नजदिकी संबंध माने जाते है. मविआ की तरफ से बलवंत वानखडे को कांग्रेस की उम्मीदवारी घोषित होने के बाद आगे की भूमिका को लेकर दिनेश बुब से जब सवाल किया गया कि, क्या वें ‘प्रहार’ की उम्मीवारी चुनाव लडेंगे क्या? इस पर दिनेश बुब ने कहा कि, प्रहार से उनके निकटतम संबंध है. बच्चू कडू से भावनिक, वैचारिक और सामाजिक कार्यो का अटैचमेंट है. लेकिन शिवसेना उबाठा ने उन्हें जिम्मेदार पद पर हमेशा कायम रखा है. इस कारण पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर वें एकजुटता से काम करेगे.

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