अमरावती/दि.24 – संपूर्ण राज्यभर में एसटी महामंडल कर्मचारियों व्दारा विलिनीकरण की मांग को लेकर राज्यव्यापी कामबंद आंदोलन किया जा रहा है. पिछले 16 दिनों से राज्यभर के रापनि कर्मचारी हडताल पर है. किंतु शासन तथा रापनि कर्मचारियों की बीच किसी प्रकार का हल नहीं निकला. इसी दौरान एसटी महामंडल का निजीकरण किए जाने की चर्चा राज्यभर में जोरो पर है. निजीकरण को लेकर रापनि कर्मचारियों ने ही नहीं बल्कि नागरिकों ने भी विरोध जताया है.
नागरिकों व्दारा कहा गया है कि राज्य की लाइफलाइन तथा लालपरी के नाम से प्रख्यात एसटी बस व्दारा राज्य के शहरों सहित छोटे से छोटे गांव में यात्रियों को सेवा दी जाती है. एसटी बस की यात्रा सुरक्षित है तथा किराए में यात्रियों की लूट भी नहीं की जाती. एसटी महामंडल का निजीकरण न किया जाए ऐसी मांग नागरिकों व्दारा की जा रही है.
निजीकरण किए जाने पर होगी यात्रियों की लूट
एसटी महामंडल का निजीकरण किए जाने की चर्चा राज्य में जोरो पर है. निजीकरण किए जाने पर निजी वाहन चालकों व्दारा सामान्य यात्रियों की लूट किए जाने की संभावना नागरिकों व्दारा व्यक्त की जा रही है. फिलहाल एसटी कर्मचारियों की हडताल के चलते 30 से 35 रुपए किराए के ऐवज में यात्रियों से 50 से 80 रुपए तक का किराया वसूला जा रहा है और यात्रियों की खुलेआम लूट की जा रही है. अगर निजीकरण हुआ तो यात्रियों की लूट किए जाने की संभावनाएं यात्रियों व्दारा व्यक्त की जा रही है.
एसटी महामंडल का निजीकरण न करें
आज विविध सरकारी महकमों का निजीकरण किए जाने का परिणाम सर्वत्र दिखाई दे रहा है. एसटी महामंडल का निजीकरण न किया जाए बल्कि एसटी महामंडल के विकास के लिए सरकार जोर दे और महामंडल को मजबूत करे.
– एक यात्री
गरीब व विद्यार्थियों का होगा नुकसान
एसटी महामंडल का निजीकरण किए जाने पर गरीब व विद्यार्थियों के साथ जेष्ठ नागरिकों का व अन्य लाभार्थियों का नुकसान होगा. एसटी बस की यात्रा सुरक्षित है और यह राज्य की लाइफलाइन है इसका निजीकरण न किया जाए.
– एक यात्री