अमरावती/ दि. 5– अपने शासकीय कर्मचारी पति के खिलाफ पारिवारिक हिंसा मामले में किया गया आवेदन कोर्ट क्रमांक 1 के न्यायाधीश एस. ए. सरदार ने खारिज कर दिया है. विधि क्षेत्र में न्यायालय का यह ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है. इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से एड. इमरान नुरानी ने सफल पैरवी की.
जानकारी के अनुसार गत 21 फरवरी 2009 को दोनों का विवाह हुआ था. उन्हें एक 9 साल का बेटा भी है. पीडित पत्नी ने सीधे न्यायालय पहुंचकर आवेदन कर पति से दैनिक गुजारा भत्ता प्रतिमाह 10 हजार रूपये, शारीरिक व मानसिक प्रताडना के एवज में 10 लाख रूपये, घर का किराया 3 हजार रूपये, मेडिकल खर्च 3 हजार रूपये तथा 5 लाख रूपये दहेज में दिए गये गहने और बेटे का ताबा मांगा था. सुनवाई के दौरान न्यायालय में एड. इमरान नुरानी ने बताया कि अगस्त 2019 में पत्नी घर छोडकर गई और साथ बेटे को ले गई. पति की ओर से बताया गया कि पत्नी बीएससी बीएड तक पढी है और घर में ट्यूशन पढाती है.
सुनवाई के दौरान पति और पत्नी की गवाही हुई. बेटे ने अपनी मां के खिलाफ गवाही दी. आरोपी की ओर से एड. इमरान नुरानी ने सिध्द किया कि, पत्नी द्बारा जो पति के आय स्त्रोत के दस्तावेज पेश किए. उसमें पत्नी के हस्ताक्षर नहीं है. पत्नी घर में ट्यूशन पढाकर 15 से 20 हजार रूपये कमाती है इसलिए उसे दैनिक गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं है. बेटा भी अपनी मां के साथ रहने को तैयार नहीं है. इसलिए उसका भी ताबा पिता के पास रहने दे.पत्नी मायके में अपने घर पर रह रही है. इसलिए किराया भत्ता देने का सवाल नहीं उठता. पत्नी को कोई बीमारी नहीं है. इसलिए मेडिकल खर्चा भी कोई प्रावधान नहीं हो सकता. ऐसा कहकर न्यायालय ने हिंसा मामले में पत्नी का आवेदन खारिज कर दिया.