रहाटगांव श्मशान भूमि का विवाद, जिलाधिकारी के प्रस्ताव का विरोध
बेनतीजा रही बैठक, विवाद बढने की संभावना
* कलेक्ट्रेट पर दोनों गुट आमने-सामने
अमरावती/दि.30-रहाटगांव की श्मशान भूमि का विवाद अब अलग ही दिशा में जाने के संकेत दिखाई दे रहे हैं. यह विवाद दो गुटों के बीच शुरू है. एक गुट ने 26 जनवरी से बेमियाद अनशन की शुरूआत की थी. जिसका संज्ञान लेकर जिलाधिकारी ने बीच का मार्ग निकालने के लिए बुधवार को जिलाधिकारी कार्यालय में बैठक बुलाई थी. लेकिन श्मशान भूमि का विरोध करने वाले एक गुट ने जिलाधिकारी कार्यालय पर शक्ति प्रदर्शन किया, इस दौरान सैकडों नागरिक एकत्रित हुए थे. इस बीच दोनों गुटों के प्रमुख पदाधिकारियों को बुलाकर जिलाधिकारी सौरभ कटियार ने मध्यस्थता कर बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया. लेकिन दोनों गुटों के पदाधिकारी अपनी-अपनी भूमिका पर कायम थे. जिलाधिकारी द्वारा दिए प्रस्ताव का विरोध करने वाले गुट की वजह से यह बैठक बेनतीजा ही रही.
* श्मशान भूमि में अनशन जारी
रहटगांव पुरानी बस्ती में जो जगह कई सालों से श्मशान भूमि बताई जा रही है, वहां कुछ धार्मिक मंदिर और महानुभाव संप्रदाय का मंदिर भी है. इसलिए एक समूह ने 26 जनवरी से कब्रिस्तान में अतिक्रमण हटाने के लिए बेमियादी अनशन शुरु किया है. कुछ क्षेत्रों को खाली करवाकर श्मशान भूमि के लिए जगह बनाई जाएगी और यहां सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए एक गुट ने जनवरी से श्मशान भूमि में अनशन शुरू कर दिया है. इस तहत मुंडन और अर्धनग्न आंदोलन कर ध्यान आकर्षित किया जा रहा है. दूसरी ओर, एक समूह का कहना है कि यहां कोई श्मशान नहीं होना चाहिए.
* बैठक से पहले जोरदार शक्ति प्रदर्शन
इस बीच श्मशानभूमि का विवाद खत्म करने के लिए बुधवार 29 जनवरी की शाम को 5 बजे जिलाधिकारी ने बैठक बुलाई थी. इस दौरान श्मशान भूमि का समर्थन करने वाले प्रमुख पदाधिकारियों के सामने ही इस शमशान भूमि का विरोध करने वाले गुट के करीब 100 से 150 लोगों ने मौजूद रहकर शक्ति प्रदर्शन किया.
* दोनों गुट अपनी भूमिका पर अडिग
इस समस्या का रास्ता निकालने के लिए जिलाधिकारी ने दोनों गुटों के पांच प्रमुख पदाधिकारियों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया. आधे घंटे तक चली इस बैठक के दौरान दोनों गुट अपने-अपने रुख पर अडिग रहे. जिलाधिकारी ने बैठक स्थगित करते हुए सलाह दी कि अगर इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता है तो पहले दोनों समूह आपस में समन्वय स्थापित करें, उसके बाद ही मैं कोई रास्ता निकालूंगा.
* बैठक में अनेक अधिकारी थे मौजूद
इस बैठक में महापालिका आयुक्त सचिन कलंत्रे, निवासी उपजिलाधिकारी अनिल भटकर, तहसीलदार विजय लोखंडे सहित श्मशानभूमि के समर्थक रमेश धामणकर, गोपाल कडू, गजानन रामेकर, आदित्य पडोले, रंजीत दिवे, निखिल देवघरे और श्मशानभूमि का विरोध करनेवाले सचिन चर्जन, महंत कारंजेकर बाबा, विनोद थेलकर, एड. स्वाति थेलकर, अरुण ठाकरे, सुभाष पावडे, प्रदीप चर्जन, शंकर इंगोले उपस्थित थे.
* बेनतीजा रही बैठक
यह शमशान भूमि महानुभाव मंदिर की पवित्रता को अपवित्र कर रही है. उनकी भावनाएं आहत हो रही हैं. इसलिए दूसरे समूह ने प्रस्ताव रखा कि श्मशान भूमि को यहां से हटा दिया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि, हम संगठन की ओर से श्मशान भूमि के लिए वाहन भी उपलब्ध कराएंगे. जिलाधिकारी ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया और आश्वासन दिया कि यदि श्मशान भूमि को यहां से किसी वैकल्पिक स्थान पर ले जाया जाता है तो प्रशासन न केवल आपको वाहन उपलब्ध कराएगा, बल्कि हर संभव सहायता भी प्रदान करेगा, लेकिन बैठक बेनतीजा रही. क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया. इससे विवाद और बढने की संभावना है.
* श्मशानभूमि नहीं हटाएं
जिला कलेक्टर ने सवाल उठाया कि, जब दो से ढाई किलोमीटर दूर कब्रिस्तान उपलब्ध है तो यहां श्मशान भूमि बताने पर जोर क्यों दिया जा रहा है. लेकिन यह जगह श्मशान भूमि के लिए आरक्षित है और हम मंदिरों के भी विरोधी नहीं हैं, ऐसे में एक समूह ने आग्रह किया है कि श्मशान को यहां से नहीं हटाया जाए.