अमरावतीमहाराष्ट्र

जिला बैंक अध्यक्ष बच्चू कडू की अयोग्यता का मामला

हाईकोर्ट ने अंतिम मौका देते हुए बढा दी समयसीमा

* 18 मार्च को अपना पक्ष रखना होगा अनिवार्य
अमरावती/दि.12-जिलामध्यवर्ती सहकारी बैंक के अध्यक्ष पूर्व विधायक बच्चू कडू को विभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार ने बैंक के निदेशक पद से अयोग्य घोषित करने के लिए नोटिस जारी किया था. साथ ही उनसे कहा गया था कि यदि वे इस संबंध में अपना पक्ष रखना चाहते हैं तो उन्हें 24 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से अथवा अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया था, लेकिन बच्चू कडू ने 10 मार्च तक की समयसीमा मांगी थी. इस बीच, चूंकि बच्चू कडू ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, इसलिए कोर्ट ने उन्हें अंतिम मौका देते हुए समयसीमा कुछ और दिन तक बढा दी है, अतः अब उन्हें 18 मार्च को अपना पक्ष रखना अनिवार्य हो गया है.
उल्लेखनीय है कि जिला मध्यवर्ती बैंक में सत्ता संघर्ष जोरों पर है. बबलू देशमुख गुट के नदेशक हरिभाऊ मोहोड सहित 11 निदेशकों ने बैंक के अध्यक्ष बच्चू कडू को बैंक के निदेशक पद से अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिका दायर की. उन्होंने सबूत पेश करते हुए कहा कि नासिक जिला न्यायालय ने बच्चू कडू को एक मामले में एक साल की जेल की सजा सुनाई है. चूंकि बैंक के उपनियमों में कहा गया है कि जिन निदेशकों को एक वर्ष अथवा इससे अधिक कारावास की सजा सुनाई गई हो, वे इस पद के लिए अयोग्य हैं. इन नियमों के आधार पर, संभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार ने 7 फरवरी को एक पत्र जारी कर बच्चू कडू से पूछा था कि उन्हें अयोग्य क्यों न घोषित कर दिया जाए. इसके लिए बच्चू कडू को सोमवार 24 फरवरी को दोपहर 3 बजे व्यक्तिगत रूप से या अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित होकर अपनी गवाही दर्ज कराने और अपना बयान दर्ज करवाने का नोटिस दिया गया. हालांकि, सुनवाई के दौरान बच्चू कडू ने अपना पक्ष रखने के लिए 10 मार्च तक का समय मांगा, उनकी मांग को स्वीकार करते हुए संभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार ने अंतिम तिथि 10 मार्च तक बढा दी तथा उन्हें अपनी अयोग्यता के संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया. लेकिन चूंकि उन्हें आगे भी विस्तार की उम्मीद थी, इसलिए उन्होंने अंतत: उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. अदालत ने बच्चू कडू को अंतिम मौका देते हुए अपना पक्ष रखने के लिए 18 मार्च तक का समय दिया है. इसलिए अब सहकारी क्षेत्र का ध्यान इस सुनवाई की ओर है.

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