अमरावतीमहाराष्ट्र

कुत्तों में फैला डिस्टेंपर रोग, 49 श्वान प्रभावित

टॉमी को सर्दी हो गयी?? क्या उसे डिस्टेंपर तो नहीं...??

* वसा ने किया आगाह
* सर्दी के लक्षण देख तुरंत करें उपचार

अमरावती/ दि. 5– सर्दी शुरू होते ही अमरावती शहर में कई श्वान पार्वो वायरस से संक्रमित हो गए थे. कई सड़क के श्वान और उनके पिल्ले और कुछ घरेलू श्वान संक्रमण से मर गए. जिन श्वान को उचित उपचार मिला वे संक्रमण से बच गए. वसा संस्था के अध्यक्ष शुभमनाथ सायंके ने कहा कि पार्वो वायरस के संक्रमण की दर तोडूंकम हो रही है लेकिन गर्मी की शुरुआत में श्वानो में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस रोग शुरू हो गया है.

कैनाइन डिस्टेंपर संक्रमण क्या है?
वसा संस्था के पशुचिकित्सक डॉ. सुमित वैद्य कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी के बारे में जानकारी देते हुए बताते हैं कि कैनाइन डिस्टेंपर एक वायरल बीमारी है. यह रोग मुख्य रूप से श्वान वर्गीय जानवरों में पाया जाता है, हालांकि प्राणी संग्रह में शेर भी प्रभावित हुए हैं. दुनिया भर में इस बीमारी का कोई कारगर इलाज नहीं है. एक अध्ययन में पढ़ा गया है कि भारत में हर साल 2 से 3 लाख श्वान इस बीमारी से मर जाते हैं. यह बीमारी आवारा श्वान और पालतू श्वान में तेजी से फैलती है.
* कैनाइन डिस्टेंपर रोग के लक्षण
कैनाइन डिस्टेंपर वाले श्वान में पहले 7 से 14 दिनों के भीतर लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं. पहले चरण के वायरस के ऊष्मायन अवधि के दौरान, श्वान सुस्त हो जाते हैं, कम खाना खाते हैं, उनकी आंखें गंदी होती हैं और नाक से लगातार पीले-हरे रंग का स्राव होता है. आंखें लाल हो जाती हैं, गहरी हो जाती हैं और पैरों के तलवे सख्त होने लगते हैं. कैनाइन डिस्टेंपर वायरस मुख्य रूप से मुख गुहा – टॉन्सिल पर बढ़ता है. दूसरे चरण में आंतें में वायरस बढ़ता है और श्वान में उल्टी, मुंह से झाग, पतली त्वचा और निर्जलीकरण के लक्षण दिखाई देते हैं. तीसरे चरण में, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं दिखाई देने लगती हैं, जिसमें श्वान को दौरे पड़ते हैं, मांसपेशियों और सिर में मरोड़ होती है, खड़े होने में कठिनाई होती है और कुछ श्वान में पक्षाघात हो जाता है. इस अवस्था में श्वान बहुत गुर्राते हैं.

चौथे चरण में, श्वान बहुत अधिक ऊर्जा खो देते हैं, उनके पास कोई ऊर्जा नहीं होती है, उनकी प्रतिरक्षा बहुत कम होती है. – गणेश अकर्ते (सहायक पशुचिकित्सक, वसा संस्था अमरावती)

* हर साल टीका लगवाना जरूरी है .
इस खतरनाक और जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए हर साल अपने श्वान को टीका लगवाना बहुत जरूरी है. वसा संस्था में सड़क और घरेलू श्वान के लिए कम कीमत पर टीकाकरण उपलब्ध है. पशुचिकित्सकों का कहना है कि कैनाइन डिस्टेंपर का कोई प्रभावी इलाज नहीं है. श्वान में लक्षणों का इलाज करने से यह गारंटी नहीं मिलती कि श्वान पूरी तरह से ठीक हो जाएगा.

* अमरावती में मिले 49 श्वान!
शहर के पशु प्रेमी नागरिकों ने टीम वसा को फोन कर अपने क्षेत्र में बीमार श्वान के बारे में जानकारी दी. प्राप्त जानकारी के अनुसार टीम वसा के प्यारा वेट गुट को एक माह में डिस्टेंपर से पीड़ित 49 श्वान मिले हैं. संस्था के उपाध्यक्ष निखिल फूटाने ने बताया कि 1 फरवरी, 2025 से 4 अप्रैल, 2025 तक नागरिकों ने वसा एनिमल रेस्क्यू हेल्पलाइन पर 843 घायल और बीमार जानवरों के बारे में जानकारी दी, जिनमें से टीम वसा ने 831 जानवरों को बचाया और उचित उपचार प्रदान किया.

 

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