व्याकुल मादा तेंदुआ का 16 घंटे बाद अपने शावकों से हुआ मनोमिलन
मलातपुर के गन्न के खेत में पाया गया शावक
* वन विभाग ने 40 किमी तक की थी तलाश
अमरावती/दि.17– मां और बच्चे का प्रेम असीम होता है. फिर वो चाहे मनुष्य हो या पशु. पशुओं में भी ऐसे अटूट प्रेम होता है,. ऐसे हा कुछ भावविभोर दृश्य चांदूर रेल्वे सर्कल के मलातपुर में गन्ने खेत परिसर में दिखाई दिया. अपने दो शावकों से बिछडी मादा तेंदुआ का 16 घंटे बाद शावकों से मनोमिलन हुआ. मादा तेंदुआ ने अपने शावक को सुरक्षित रूप से लेने जाने के बाद वनविभाग ने राहत की सांस ली.
पोहराबंदी के समीपस्त ग्रामवासी गहरी नींद में रहने पर वन परिक्षेत्र अधिकारी, वनपाल, वनरक्षक, वनमजूर, सुरक्षा गार्ड के दल एक वाहन में चांदूर रेल्वे सर्कल कार्यालय से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी तय कर निश्चित स्थान पर पहुंचा. जहां आठ से दस दिन के दो बछडे और व्याकुल हुई मादा तेंदुआ का मनोमिलन करवाया. गुरुवार की रात यह कार्रवाई की गई.
वन विभाग ने शावकों को कब्जे में लेने के बाद उनकी माता से भेंट करवाने के लिए उस परिसर में दो ट्रैप कैमरे लगाए थे. ट्रैप कैमरे में मादा तेंदुआ और शावकों का मनोमिलन कैद हुआ. उपवनसंरक्षक अमित कुमार मिश्रा के आदेश से तथा सहायक वनसंरक्षक ज्योति पवार के मार्गदर्शन में चांदूर रेल्वे वनपरिक्षेत्र अधिकारी भानुदास पवार, सर्कल अधिकारी किशोर धोत्रे, वनरक्षक शिव राठोड, वाहन चालक सुमित भुयार, अंकुश खेकाडे, तेजस गजभिये के दल ने इसके लिए प्रयास किए. चांदूर रेल्वे वनपरिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले चांदूर रेल्वे सर्कल के दत्तापुर बीट परिसर के मौजा मलातपुर में शैलेश उर्फ बबलू जयस्वाल के गन्ने के खेत से इन दो शावकों को चांदूर रेल्वे वन विभाग ने गुरुवार की सुबह 11 बजे कब्जे में लिया था. इसके बाद चांदूर रेल्वे सर्कल कार्यालय में पशुवैद्यकिय अधिकारियों ने उनकी जांच की. शावक स्वस्थ होने की बात स्पष्ट होने पर उस खेत के परिसर में रात 10 बजे के करीब दो शावकों को छोडा गया. अगले दिन सुबह 5.30 बजे व्याकुल मादा तेंदुआ ने अपने शावकों को मुंह में पकड पर दूसरी तरफ अपना डेरा किया. 16 घंटे में चांदूर रेल्वे वन विभाग ने यह काम पूरा किया. मादा तेंदुआ ने शावकों को सुरक्षित रूप से ले जाने के बाद वनविभाग को राहत हुई.