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नागरिको की मांग
अमरावती/दि. 31 – सरकारी राशन दुकान में अब तक ग्राहकों को 3 किलों गेहूँ दिया था. लेेकिन मार्च माह से हर सरकारी राशन दुकान पर गेहूँ का कोटा कम कर मक्का का वितरण किया जा रहा है. जिससे राशनकार्ड धारको में नाराजगी दिखाई दे रही है. सरकारी राशन दुकान में हर माह प्रत्येक व्यक्ति को 5 किलो अनाज वितरित किया जाता है. जिसमें 2 किलो चावल तथा 3 किलो गेहूं का समावेश होता था. लेकिन विगत 4 माह से पंजाब के किसानों का दिल्ली की सीमा पर जो कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन जारी है. उसके कारण अब धीरे-धीरे गेहूँ की आवक कम होती जा रही है. यहीं कारण है कि अब राशन दुकान में ग्राहको को 3 किलो गेहूँ की बजाय 2 किलो गेहूँ तथा एक किलो मक्का दिया जा रहा है.
बिना घोषणा के जिला प्रशासन के आपूर्ति विभाग द्वारा राशनकार्ड धारको को मक्का का वितरण किया जा रहा है. यह समझ से परे है. कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि इस मक्का का हम क्या करे. इससे अच्छा हमें 1 किलो गेहूं मिलता तो अच्छा होता दलहन वाले मक्का को पीसकर भी देने को तैयार नहीं हो रहे है. कईयों को तो इसका क्या बनाए यह चिंता सताने लगी है. बता दे कि दलहनवाले मक्का को पीसने के लिए प्रति किलो 10 रूपये ले रहे है. जो राशनकार्ड धारको को काफी महंगा पड़ रहा है. इतना महंगा आटा कौन खाए. यह सोचकर अधिकांश राशनकार्ड धारक मक्का अन्य लोगों को बेच रहे है. राशन दुकान से नाममात्र शुल्क में मिलनेवाले मक्का को यह राशनकार्ड धारक अब 5 रूपये में बेच रहे है. उनका कहना है कि उन्हें पूर्व की भांति राशन दुकान से गेहूँ की आपूर्ति की जाए. मक्का उनके किसी काम का नहीं है. अगर सरकारी गोदामों में गेहूँ उपलब्ध न हो तो गेहूं की आवक होने पर शेष कोटा वितरित किया जाए. किंतु मक्का वितरित न करें यह मांग की जा रही है.