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राजनेताओें के लिए प्रतिष्ठा व नाक की लडाई है जिला बैंक का चुनाव

सहकार के जरिये राजनीतिक पकड मजबूत करने का इरादा

* बैंक के साथ ही लोकसभा व विधानसभा चुनाव पर नजर

अमरावती/दि.16- आगामी 4 अक्तूबर को जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक का चुनाव होने जा रहा है. जिसमें सहकार क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले कुल 1 हजार 700 मतदाताओं द्वारा अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए बैंक के 21 सदस्यीय संचालक मंडल का चयन किया जायेगा. इसमें भी 14 तहसील क्षेत्रों यानी सेवा सहकारी सोसायटीवाले संचालकों का चुनाव संबंधित क्षेत्रों के न्यूनतम 20 से अधिकतम 50 मतदाताओें द्वारा किया जायेगा. लेकिन इसके बावजूद इस समय जिला बैंक के चुनाव को लेकर समूचे जिले की राजनीति में उफान आया हुआ है और करीब 2300 करोड रूपयों का टर्नओवर रहनेवाली जिला बैंक की सत्ता को हथियाने के लिए सहकार के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र के नेताओं में जबर्दस्त रस्साकशी देखी जा रही है. जिसके चलते यह चुनाव अब पूरी तरह से राजनीतिक रूप ले चुका है. इसमें भी सर्वाधिक उल्लेखनीय यह है कि, सहकार के नाम पर राजनीतिक विचार भिन्नता लगभग नदारद हो गई है और राजनीति में एक-दूसरे के साथ रहनेवाले कुछ नेता इस चुनाव एक-दूसरे के खिलाफ नजर आ रहे है. वहीं राजनीति में एक-दूसरे के विरोधी रहनेवाले कुछ लोग जिला बैंक के चुनाव में गलबहियां करते नजर आ रहे है.
बता दें कि, इस समय राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार है. जिसमें कांग्रेस व राकांपा सहित शिवसेना भी शामिल है. साथ ही कांग्रेस व राकांपा आघाडी इससे पहले लगातार दो कार्यकाल तक राज्य की सत्ता में थी. वहीं जिला परिषद व पंचायत समितियों सहित महानगरपालिका व नगर पालिकाओं का चुनाव भी कांग्रेस व राकांपा द्वारा एकसाथ मिलकर लडा गया. इसके अलावा इस समय राज्य की महाविकास आघाडी सरकार में अमरावती जिले से वास्ता रखनेवाले यशोमति ठाकुर व बच्चु कडू मंत्री भी है. साथ ही अमरावती से कांग्रेस की विधायक रहनेवाली सुलभा खोडके के पति संजय खोडके राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर है. किंतु राजनीति में दिखाई देनेवाले इस दृश्य से सहकार क्षेत्र का दृश्य पूरी तरह से अलग है, क्योेंकि सहकार क्षेत्र का सिरमौर रहनेवाली जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चुनाव में जहां एक ओर जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर द्वारा बैंक की सत्ता में दस वर्ष तक रहे निवर्तमान संचालकों के सहकार पैनल का नेतृत्व किया जा रहा है, जो बैंक के पूर्व अध्यक्ष व कांग्रेस के ग्रामीण जिलाध्यक्ष बबलू देशमुख एवं पूर्व विधायक वीरेंद्र जगताप की अगुआई में जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक का चुनाव लड रहा है. वहीं सहकार पैनल के खिलाफ चुनाव लडने जा रहे परिवर्तन पैनल का नेतृत्व राज्यमंत्री बच्चु कडू, राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके तथा पूर्व विधायक व वरिष्ठ भाजपाई अरूण अडसड द्वारा किया जा रहा है. मजे की बात यह है कि, सहकार पैनल में कांग्रेस के साथ ही राकांपा के दो दिग्गज नेताओं का भी समावेश है. साथ ही साथ भाजपा की सहकार आघाडी के जिलाध्यक्ष रहनेवाले मनीष कोरपे भी कांग्रेस व राकांपा नेताओं के प्रभुत्ववाले सहकार पैनल की ओर से संचालक पद के प्रत्याशी है. वहीं विगत चुनाव में परिवर्तन पैनल की ओर से संचालक निर्वाचित हुए और इस बार चुनाव से पहले ही निर्विरोध संचालक निर्वाचित हो चुके नरेशचंद्र ठाकरे फिलहाल सहकार पैनल के साथ दिखाई दे रहे है. वहीं प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक व राज्यमंत्री बच्चु कडू, राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके तथा वरिष्ठ भाजपा नेता अरूण अडसड नेतृत्ववाले परिवर्तन पैनल में भाजपा विधायक प्रताप अडसड व प्रकाश भारसाकले के साथ ही राकांपा से वास्ता रखनेवाले राजेंद्र महल्ले भी चुनावी मैदान में है. इसके अलावा शिवसेना से वास्ता रखनेवाले सुधीर सूर्यवंशी भी परिवर्तन पैनल की ओर से प्रत्याशी हो सकते है.
ऐसे में कहा जा सकता है कि, अब राजनीतिक क्षेत्र में अच्छा-खासा मुकाम हासिल कर चुके नेताओं को भी जिला बैंक की सत्ता चाहिए है. जिसके चलते अपनी-अपनी राजनीतिक भूमिका व निष्ठा को परे रखते हुए हर कोई सहकार क्षेत्र में अपनी-अपनी सुविधा व अपने-अपने हितों को प्राथमिकता दे रहा है. जिसके लिहाज से सहकार क्षेत्र में राजनीतिक गठजोड किये जा रहे है और यह गठजोड काफी हद तक विस्मित करनेवाले भी है. किंतु राजनीतिक क्षेत्र की समझ रखनेवाले जानकारों के मुताबिक इसमें आश्चर्यचकित होनेवाली कोई बात नहीं है, क्योंकि जिला बैंक तो बहाना है, हकिकत में अगले लोकसभा व विधानसभा के चुनाव पर निशाना है. जिसके चलते अभी से राजनीतिक बिसात पर गोटियां बिछाई जा रही है.
जानकारी के मुताबिक सहकार पैनल के खिलाफ परिवर्तन पैनल का नेतृत्व व संयोजन कर रहे संजय खोडके द्वारा यह चुनाव न लडा जाये, ऐसा कुछ लोगों का आग्रह भी था, क्योंकि उनकी पत्नी सुलभा खोडके कांग्रेस की विधायक है और यदि वे कांग्रेसी पैनल के खिलाफ जिला बैंक का चुनाव लडते है, तो इससे अच्छे संकेत नहीं जायेंगे. इसी बात के मद्देनजर कांग्रेस सहित राकांपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने संजय खोडके का मत परिवर्तन करने का प्रयास भी किया, लेकिन जिला बैंक में सत्ता परिवर्तन करने पर आमादा संजय खोडके अपनी भूमिका पर अडे रहे. साथ ही उन्होंने सहकार क्षेत्र के चुनाव से राजनीतिक दल का कोई संबंध नहीं रहने की बात कहते हुए सहकार पैनल के साथ गठबंधन करने की संभावना खारिज कर दी. संजय खोडके के साथ राज्यमंत्री बच्चू कडू भी परिवर्तन पैनल का नेतृत्व कर रहे है. जिनके जरिये सीधे-सीधे अपने साथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहनेवाली यशोमति ठाकुर के नेतृत्व को चुनौती देते हुए अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र व चांदूर बाजार में अपने धूर प्रतिद्वंदी रहनेवाले बबलू देशमुख से हिसाब-किताब चुकता करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर पालकमंत्री यशोमति ठाकुर द्वारा कांग्रेस के ग्रामीण जिलाध्यक्ष व कांग्रेस के पूर्व विधायक वीरेंद्र जगताप की ओर से मैदान में उतारे जा रहे सहकार पैनल का खुले तौर पर समर्थन करते हुए इस जरिये जिले की राजनीति व सहकार क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाने का पूरजोर प्रयास किया जा रहा है.
बता दें कि, इस समय तक किसी भी पैनल और पैनलों के अधिकृत प्रत्याशियों की अधिकारिक तौर पर कोई घोषणा नहीं हुई है. किंतु किस पैनल की ओर से कौन प्रत्याशी होगा, यह लगभग साफ ही है. वहीं गत रोज सहकार पैनल की ओर से समूचे जिले में मतदाता रहनेवाले सात निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्याशियों के नाम को लेकर एक पॉॅम्पलेट प्रकाशित करते हुए अपना प्रचार दौरा शुरू कर दिया गया है. वहीं अभी तक परिवर्तन पैनल की ओर से ऐसी कोई पहल नहीं हुई है. हालांकि सभी इच्छूक उम्मीदवारों द्वारा अपने-अपने स्तर पर मतदाताओं से संपर्क करते हुए चुनाव प्रचार शुरू कर दिया गया है. ज्ञात रहे कि, आगामी 22 सितंबर को नामांकन वापसी की अंतिम तिथी है. जिसके बाद मैदान में डटे रहनेवाले उम्मीदवारों की अंतिम स्थिति पता चलेगी और इसके साथ ही दोनों पैनलों व उनके अधिकृत प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी होगी. जिसका सहकार क्षेत्र सहित राजनीतिक क्षेत्र से जुडे लोगों द्वारा इंतजार किया जा रहा है.

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