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जिला बैंक में 3.39 करोड की गडबडी का मामला

‘उन’ 11 लोगोें के खिलाफ एफआईआर खारीज

* हाईकोर्ट के फैसले से संबंधितों को मिली राहत
अमरावती/दि.26– स्थानीय जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के साथ 3.39 करोड रूपयों की जालसाजी किये जाने के मामले में सिटी कोतवाली पुलिस द्वारा रद्द की गई एफआईआर को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने खारिज कर दिया है. ऐसे में अब जिला बैंक को नये सिरे से शिकायत दर्ज करानी होगी. वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट द्वारा एफआईआर को ‘स्क्वैश’ कर दिये जाने के चलते इस मामले में नामजद किये गये 11 लोगों को राहत मिल गई है.
बता दें कि, अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में एक निजी म्युच्युअल फंड कंपनी में 700 करोड रूपये का निवेश किया था. चूंकि यह निवेश सीधे बैंक द्वारा किया गया था. अत: इसमें दलाली नहीं दी जानी चाहिए थी. किंतु म्युच्युअल फंड कंपनी द्वारा ब्रोकर्स को 3.39 करोड रूपयों की दलाली दी गई. यह सीधे-सीधे बैंक के साथ की गई जालसाजी व धोखाधडी थी. जिसे लेकर बैंक के तत्कालीन प्राधिकृत अधिकारी व जिला उपनिबंधक संदीप जाधव ने 15 जून 2021 को सिटी कोतवाली पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करायी थी. इसके आधार पर 6 म्युच्युअल फंड ब्रोकर्स व बैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों सहित कुल 11 लोगों के खिलाफ सुनियोजीत तरीके से बैंक के साथ जालसाजी करने का अपराधिक मामला दर्ज किया गया था. जिसके पश्चात इस मामले में नामजद किये गये दलालों ने यह कहते हुए हाईकोर्ट में गुहार लगायी कि, इस पूरे मामले में बैंक का कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ है और उन्हें नाहक ही इस मामले में फंसाया गया है. पश्चात मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इसे लेकर सिटी कोतवाली पुलिस थाने द्वारा दर्ज एफआईआर को खारिज करने का निर्देश दिया.

* क्या है अदालती फैसला
बैंक ने अपने आदेश में कहा कि, एफआईआर दर्ज करने के लिए जिला उपनिबंधक अधिकृत व्यक्ति नहीं है. यद्यपि वे प्रशासक या प्राधिकृत अधिकारी थे, किंतु उनकी मूल जवाबदारी डीडीआर की थी. ऐसे में इस मामले में बैंक द्वारा नियुक्त लेखा परीक्षक द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज करवाना अपेक्षित था. अत: प्राधिकृत अधिकारी द्वारा दर्ज करायी गई शिकायत के आधार पर दाखिल हुई एफआईआर को खारिज किया जाता है.

* क्या है नियम
महाराष्ट्र सहकारी संस्था अधिनियम 1960 की धारा 81 की उपधारा 5 (ब) के अनुसार सहकारी बैंक में अनियमितता होने पर उसका लेखा परीक्षण करवाने की जवाबदारी सहनिबंधक की होती है और लेखा परीक्षक की रिपोर्ट का पूरी तरह से स्पष्ट रहना जरूरी होता है. साथ ही लेखा परीक्षण के दौरान किसी भी तरह की कोई आर्थिक अनियमितता व गडबडी पाये जाने पर संबंधित लेखा परीक्षक द्वारा उस अपहार या नुकसान के लिए जिम्मेदार व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया जाना चाहिए.

जिला बैंक की आर्थिक अनियमितता को लेेकर सिटी कोतवाली पुलिस द्वारा दाखिल एफआईआर को न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया है. हम इस मामले की अपनी ओर से पूरी जांच कर रहे है.
– शिवाजी बचाटे
पुलिस निरीक्षक, आर्थिक अपराध शाखा

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