जिले की भूदान जमिनों के अव्यवस्थापन पर जिलाधीश गंभीर
भूदान यज्ञ अधिनियम 1953 के अनुसार कार्रवाई करने प्रशासन को निर्देश
अमरावती/दि.14- भूदान आंदोलन के प्रणेता आचार्य विनोबा भावे द्वारा अपनायी गई व्यापक भूमिका के चलते भूमिहिन नागरिकों को खेती-किसानी करने जमीन दी गई. लेकिन क्षेत्रीय यंत्रणा की मिलीभगत अथवा लापरवाही के चलते इस अधिनियम का सत्यानाश हो गया है. ऐसे में जिलाधीश पवनीत कौर ने संबंधित महकमे के गडबडीपूर्ण व्यवस्थापन पर उंगली रखते हुए भूदान यज्ञ अधिनियम 1953 के अनुसार कार्रवाई करने के निर्देश संबंधित प्रशासन को जारी किये है.
भूदान के तहत प्राप्त जमीनों का व्यवस्थापन योग्य तरीके से हो, इस हेतु ‘भूदान यज्ञ अधिनियम 1953’ नामक अधिनियम का निर्माण किया गया. लेकिन राजस्व प्रशासन द्वारा इस अधिनियम के प्रावधानों का योग्य तरीके से व्यवस्थापन नहीं हो रहा, ऐसा जिलाधीश पवनीत कौर के ध्यान में आया. इन जमीनों का हस्तांतरण प्रतिबंधित रहने के चलते इन कृषि भूमियों का महाराष्ट्र जमीन राजस्व अधिनियम 1966 की धारा 29 (3) के तहत भोगवटदार वर्ग-2 में इसे दर्ज करना और अन्य अधिकारों में भूदान अहस्तांतणीय की जानकारी दर्ज करना, भूदान पट्टे के व्यतिरिक्त बक्षीस पत्र व मृत्यु पत्र के आधार पर पटवारी द्वारा फेरफार करने से इन्कार करना, महत्वपूर्ण रहने के बावजूद अधिकार अभिलेख में इन जमीनों की जानकारी दर्ज किये जाने के गंभीर मामले जिले में घटित हुए है. इसके अलावा अनुमति नहीं रहने के बावजूद भी एसडीओ द्वारा खरीदी-बिक्री की अनुमति देना तथा भोगवटदार वर्ग बदल के आदेश देना आदि बातें घटित होने की जानकारी जिलाधीश के ध्यान में आयी. इसके अलावा भूदान की जमीन यज्ञ मंडल को वापिस करने की बजाय मूल मालिक को वापिस किये जाने के मामले भी घटित हुए है. कुछ मामलों में तो मूल मालक को ही भूधारक के तौर पर दर्शाया गया है. इन सभी शर्त भंगवाले मामले राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा समूचित ढंग से व्यवस्थापन नहीं किये जाने की वजह से घटित हुए. ऐसा जिलाधीश पवनीत कौर का साफ तौर पर मानना है. जिसके लिए उन्होंने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये है.
भूदान अधिनियम 1953 के अनुसार व्यवस्थापन करने के निर्देश जिलाधीश द्वारा दिये गये है. जिसके अनुसार सभी उपविभागीय अधिकारियों व तहसीलदारों को पत्र दिया गया है. कुछ मामलों में शर्त भंग, भोगवटदार वर्ग बदल तथा खरीदी-बिक्री के व्यवहार हुए है. ऐसी जानकारी सामने आयी है.
– रणजीत भोसले
उपजिलाधिकारी
भूदान यज्ञ अधिनियम 1953 के प्रावधानों का बार-बार उल्लंघन होने और शर्त भंग होने से के संदर्भ में जिलाधीश पवनीत कौर को पत्र के जरिये सुचित किया था. जिसके अनुसार जिलाधीश ने इस मामले को बडी गंभीरता से लिया है.
– नरेंद्र बैस
सचिव (भूदान अंकेक्षण), भूदान यज्ञ मंडल
अधिकार अभिलेख में भूदान जमीनों की हकीकत
भूदान यज्ञ मंडल की जानकारी के अनुसार नमुना-7 में 379 मामले है. इसके अलावा भोगवटदार वर्ग बदल में 55, भूदान धारक की जानकारी नहीं रहनेवाले 293, भूदान अहस्तांतरणीय की जानकारी दर्ज रहनेवाले 250, अवांछित के रूप में दर्ज 240, शर्त भंग के 35 तथा अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फेरफार करनेवाले 37 मामले है. जिसके मद्देनजर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, भूदान से संबंधित मामलों में कितना काम करना बाकी है.