अमरावती

आठ माह से ‘जिला नियोजन ठप’

सदस्यों व अधिकारियों को बैठक होने की प्रतीक्षा

* करोडों रूपयों के कामों का नहीं निकल रहा मुहूर्त
* जिले में चहुंओर विकास काम भी लटके
अमरावती/दि.13- जिला नियोजन समिती की बैठक प्रत्येक छह माह में एक बार होना आवश्यक होती है. इस समिती की बैठक इससे पहले 12 जनवरी को हुई थी. ऐसे में अब समिती के सदस्यों व अधिकारियों को अब समिती की सभा कब होगी, इसका इंतजार है. जानकारों के मुताबिक अगर नियोजन समिती की सभा जल्द से जल्द हो जाती है, तो स्थगित रहनेवाले कामों को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश प्राप्त हो सकते है, क्योंकि विगत सात माह से जिला नियोजन समिती की बैठक नहीं हो पायी. जिसके चलते समूचे जिले में अनेकों विकास कार्य प्रलंबीत पडे है.
बता दें कि, राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद अस्तित्व में आयी एकनाथ शिंदे की सरकार ने जिला नियोजन समिती के अप्रैल 2022 से मंजूर कामों को अपनी स्थगिती दी है. जिसके चलते जिले में करोडों रूपयों के विकास काम प्रलंबित पडे है. इन विकास कामों में सरकारी इमारतों की दुरूस्ती, रास्तों का निर्माण, औषध व उपकरणों की खरीदी जैसे विभिन्न कामों का समावेश है. इसके अलावा जिला परिषद के भी कई कामों को स्थगिती दे दी गई है. जिनमें जिले में चलाई जानेवाली विविध योजनाओं तथा रास्ते, स्वास्थ्य, जलसंधारण व अन्य महकमों के कामों का समावेश है.
उल्लेखनीय है कि, शिंदे सरकार अस्तित्व में आने के बाद करीब 40 दिन पश्चात राज्य मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हुआ. लेकिन अब तक जिला पालकमंत्री पदों का आवंटन नहीं हुआ है और अमरावती के जिला पालकमंत्री का पद रिक्त पडा है. चूंकि पालकमंत्री के पास ही जिला नियोजन समिती का पदसिध्द अध्यक्ष पद भी होता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, जब तक पालकमंत्री की नियुक्ति नहीं होती, तब तक डीपीसी की बैठक को लेकर प्रतीक्षा ही करनी पडेगी और उस समय तक विकास कामों की गति भी अवरूध्द रहेगी.

* नियोजन में सभी विभागों के लिए प्रावधान
जिला नियोजन समिती के प्रारूप में प्रति वर्ष रास्तों के निर्माण व दुरूस्ती, इमारतों के निर्माण, स्वास्थ्य, जलसंवर्धन, कृषि व पशु संवर्धन, जलापूर्ति, शिक्षा सुविधाएं, शालाओं में कक्षाओं की दुरूस्ती आदि कामों सहित समाजकल्याण, आदिवासी विकास व महावितरण से संबंधित कामों व योजनाओं के लिए विभाग निहाय प्रावधान किया जाता है.

* पालकमंत्री नियुक्ति की प्रतीक्षा
राज्य में महाविकास आघाडी सरकार का पतन होना और शिंदे-भाजपा सरकार के अस्तित्व में आने के बाद अब जिले का नया पालकमंत्री कौन होगा, इसकी उत्सूकता सभी अमरावतीवासियों को है. विशेष उल्लेखनीय है कि, हाल ही में शिंदे-फडणवीस सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है. लेकिन इसमें अमरावती जिले को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. ऐसे में जिले से मंत्रिमंडल में किसे स्थान मिलता है और किसके हिस्से में पालकमंत्री का पद आता है, इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई है.

* विशेष निमंत्रित सदस्यों का नये सिरे से होगा चयन
महाविकास आघाडी ने सत्ता में आने के बाद कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस व शिवसेना के कुछ पदाधिकारियों को विशेष निमंत्रित सदस्य के तौर पर जिला नियोजन समिती में नियुक्त किया गया था. लेकिन ऐसे सदस्यों की नियुक्ति को नई सरकार ने रद्द कर दिया. ऐसे में अब नई सरकार द्वारा नियुक्त किये जानेवाले पालकमंत्री के जरिये विशेष निमंत्रित सदस्यों के तौर पर भाजपा व शिंदे गुट के पदाधिकारियों की नियुक्ति की जायेगी.

* 300 करोड के खर्च की मान्यता पेंडिंग
जिला नियोजन समिती ने वर्ष 2021-22 इस आर्थिक वर्ष हेतु करीब 300 करोड रूपयों के विकास प्रारूप को मान्यता दी थी. जिसमें से कई विकास कार्य किये भी गये. परंतु इन विकास कामों पर हुए खर्च को मार्च माह के दौरान डीपीसी की सभा लेकर मान्यता दिया जाना बेहद आवश्यक था. परंतू जनवरी माह के बाद डीपीसी की सभी ही नहीं हुई. ऐसे में विकास कामों पर हुए 300 करोड रूपये के खर्च की मान्यता का विषय भी पेंडिंग पडा रह गया.

* इस बार 350 करोड रूपयों का प्रारूप
सन 2022-23 इस आर्थिक वर्ष में किये जानेवाले विकास कामों के लिए करीब 350 करोड रूपयों का विकास प्रारूप जिला नियोजन द्वारा तय किया गया है. जिसमें कई विकासात्मक कामों व योजनाओं का समावेश है. लेकिन चूंकि जिला नियोजन समिती की जारी आर्थिक वर्ष के दौरान बैठक ही नहीं हुई है. ऐसे में अब तक केवल 4 करोड रूपये ही खर्च हुए है. जिसके चलते शेष प्रावधानों के विकास कार्य व योजनाओें के काम कब पूरे होंगे, यह इस समय सबसे बडा सवाल है.

प्रतीक्षा?
300 करोड रूपयों के वर्ष 2021-22 में हुए खर्च को मंजूरी की प्रतीक्षा

350 करोड रूपयों के वर्ष 2022-23 के प्रारूप को मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा

जलसंवर्धन
स्वास्थ्य उपकरण खरीदी
इमारतों का निर्माण
रास्तों का निर्माण व दुरूस्ती

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