अमरावती

जिला थरथराया, पारा 10.8 डिग्री पर

अमरावती/ दि.21 – बीते तीन दिनों से जिले में तापमान का स्तर अचानक काफी तेजी से घटा है. दिन के समय अधिकतम तापमान 26 डिग्री के आसपास है. वहीं रात के समय न्युनतम तापमान 10 से 11 डिग्री सेल्सियस के इर्दगिर्द पहुंच चुका है. जिसके चलते कडाके की ठंड महसूस हो रही है और ठिठुरन बढ गई है. ऐसी स्थिति में शहर सहित जिला ठंड से थरथरा रहा है. यह इसलिए अगले एक-दो दिन तक यु ही बनी रह सकती है, ऐसी संभावना मौसम विभाग तथा स्थानीय मौसम विज्ञानीप्रा. अनिल बंड व्दारा बताई गई है.
बता दें कि, इस समय दक्षिणी अंदमान के समुद्र में 5.8 किमी की उंचाई पर चक्रावाती हवाएं बह रही है. साथ ही गुरुवार को दक्षिणपूर्व बंगाल की खाडी में कम दबाव वाला क्षेत्र निर्माण होने की संभावना है. कम दबाव वाला यह क्षेत्र पश्चिम वायव्य दिशा से आगे बढ सकता है. जिसका रुपांतरण डिप्रेशन में हो सकता है. जिसके चलते अगले दो दिनों के दौरान मध्यप्रदेश में न्युनतम तापमान 2 से 4 डिग्री के नीचे घसर सकता है. चुंकि इस समय विदर्भ में भुतल पर बहने वाली हवाएं मध्यप्रदेश की ओर से आ रही है. जिसके चलते विदर्भ क्षेत्र के तापमान में भी करीब 2 डिग्री सेल्सियस की कमी आ सकती है.
जानकारी के मुताबिक जिले में शनिवार को 10.8 तथा रविवार को 11.3 डिग्री सेल्सियस का न्युनतम तापमान दर्ज किया गया. जिसके चलते रात के साथ ही सुबह और शाम के वक्त कडाके की ठंड महसूस हुई. साथ ही दिन के समय भी लोग घर से बाहर निकलते समय गर्म कपडे पहनने पर मजबूर दिखे. इसके अलावा शहरी क्षेत्र में रात 8 बजे के बाद भीड-भाड काफी हद तक कम हो गई. साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में जगह-जगह पर शाम ढलते ही अलाव जलते दिखाई देने लगे. इसके अलावा खेती-बाडी में सुबह के वक्त होने वाले काम अब दोपहर के समय करने पर जोर दिया जा रहा है.

और लुढकेगा पारा
श्रीलंका के पूर्वी हिस्से के साथ ही बंगाल की खाडी में डिप्रेशन कायम है. जिसके अगले 48 घंटों के दौरान तमिलनाडू व आंध्रप्रदेश के तटीय क्षेत्र में पहुंचने की पूरी संभावना है. हालांकि इसका विदर्भ क्षेत्र पर कोई विशेष परिणाम नहीं पडने वाला. क्योंकि विदर्भ में इस समय भुतल पर बहने वाली हवाएं राजस्थान व मध्यप्रदेश की ओर से आ रही है. जिसके चलते आगामी कुछ दिनों के दौरान न्युनतम तापमान में थोडी और कमी दिखाई दे सकती है.

रब्बी की बुआई का प्रतिशत बढेगा
दिन का तापमान घटने और उबदार मौसम के बनने को रब्बी फसलों की बुआई के लिए पोषक माना जाता है. इस वातावरण में बीजों का अंकुरण काफी अच्छा होता है. जिसके चलते चने के साथ ही गेहूं की बुआई का प्रतिशत भी बढेगा. इस समय सभी खेतखलिहानों में रब्बी फसलों के लिए मेहनत करने के साथ-साथ बुआई करने की गतिविधियां तेज हो गई है. इसके साथ ही खरिफ सीजन की आखरी फसल रहने वाले तुअर के लिए भी इस ठंडी को अच्छा माना जा रहा है.

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