अमरावती

विद्यापीठ के पूरक बजट में गडबडी

सीनेट सभा में मचा घमासान

  • प्रभारी कुलगुरू ने मांगी माफी

अमरावती/दि.26 – स्थानीय संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के अतिरिक्त खर्चों के लिए दूसरी बार पेश किये गये पूरक बजट में काफी गलतियां व गडबडियां रहने के चलते गुरूवार को ही विद्यापीठ की विशेष अधिसभा में जमकर घमासान मचा. इस सीनेट सभा में नूटा के प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी व विवेक देशमुख ने विद्यापीठ के वित्त व लेखा विभाग को जमकर आडे हाथ लेते हुए कहा कि, यदि इस बजट को मान्य कर लिया जाता है, तो आगे चलकर गलतियों के साथ बजट को मान्य करने की परंपरा चल पडेगी. जिसके चलते पीठासीन अध्यक्ष के सामने भी इस बजट की मान्यता को लेकर काफी दिक्कतें पेश आयी.
बता दें कि, संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में विगत 10 नवंबर को पूरक बजट पर चर्चा करने हेतु सीनेट सभा बुलाई गई थी. किंतु इस सीनेट सभा के दौरान बजट में कई गलतियां सामने आने के चलते विद्यापीठ के वित्त व लेखा विभाग को गलतियां सुधारने के लिए 15 दिनों की मुदत दी गई थी. जिसके बाद कल गुरूवार 25 नवंबर को विद्यापीठ की विशेष अधिसभा बुलाई गई. सभी की शुरूआत में प्रस्ताव पर चर्चा होने के बाद दोपहर के सत्र में पूरक बजट पर चर्चा हुई. इस समय नूटा के अध्यक्ष प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने संशोधित बजटपत्र में भी काफी बडी गलतियां रहने की ओर ध्यान दिलाया. जिनके मुताबिक मूल बजट में शून्य खर्च दिखाया गया था. वहीं पूरक बजट में 5 लाख 25 हजार रूपये का खर्च दिखाया गया है. साथ ही कई फूटकर खर्चों की दरें भी काफी बढा दी गई है और फूटकर खर्चों में नैक समिती के दौरे का खर्च भी शामिल कर दिया गया है. जबकि हकीकत में नैक के लिए अलग निधी का प्रावधान होता है.
इसी तरह पीजी डिप्लोमा कोर्स को लेकर भी पूरक बजट में संशोधन करते समय शब्दों की हेरफेर की गई है और परफॉरमिंग आर्ट पर हुए खर्च का स्पष्टीकरण बेहद विचित्र है. साथ ही माईक्रोबॉईलाजी के लिए खर्च को दो लाख से बढाकर चार लाख रूपये कर दिया गया है. जिसमें साहित्य को लाने-ले जाने सहित अन्य प्रकार के खर्चों को इसमें शामिल किया गया है. परफॉरमिंग आर्ट के लिए भी 1 लाख 81 हजार रूपयों के खर्च को 5 लाख रूपये तक बढा दिया गया है. सबसे विशेष उल्लेखनीय यह है कि, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर विचारधारा शैक्षणिक विभाग के लिए 15 लाख रूपये का प्रावधान रहने के बावजूद राज्य सरकार से निधि मिलने को ग्राह्य मानते हुए अतिरिक्त खर्च को मंजूरी दी गई है. जबकि राज्य सरकार द्वारा अब तक ऐसी किसी निधी को मंजूरी ही नहीं दी गई है. इसके बावजूद विद्यापीठ द्वारा इस निधी को कैसे मंजूर किया गया, यह सबसे बडा सवाल है.
इस समय हुई चर्चा में प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी सहित प्रा. विवेक देशमुख, उत्पल टोंगो, एड. अतूल भारद्वाज, प्रदीप देशपांडे, डॉ. बी. आर. वाघमारे व नितीन खर्चे ने सहभाग लिया. इस तमाम हंगामे के बीच पीठासीन सभापति व प्रभारी कुलगुरू डॉ. एफ. सी. रघुवंशी ने सीनेट सभा से इस बजट को मंजूर करने का निवेदन किया. किंतु सीनेट सदस्यों का कहना रहा कि, जब बजट में काफी गलतियां व गडबडियां है, तो इसे मंजूर कैसे किया जाये.

22 फीसद की मर्यादा पार की

पूरक बजट पत्र में संशोधन करते समय केवल 22 फीसद अतिरिक्त खर्च किया जा सकता है. यह जानकारी देने के साथ ही प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने बताया कि, इस पूरक बजट में 22 फीसद से अधिक अतिरिक्त खर्च किया गया है. जिससे नियमों का उल्लंघन हो सकता है.

परफॉरमिंग आर्ट में गडबडी

पूरक बजट पत्र में परफॉरमिंग आर्ट विभाग अंतर्गत भी काफी बडी गडबडी पायी गई. जिसमें ठेका कर्मचारी, शिक्षकेत्तर कर्मचारी, मल्टीटास्कींग स्टाफ व शैक्षणिक उपक्रम अंतर्गत काफी अतिरिक्त खर्च दिखाया गया है और इन खर्चों को बढाते समय वित्त व लेखा विभाग की ओर से एक समान स्पष्टीकरण दिये गये है.

45 लाख के एसी

विद्यापीठ के बजट पत्र में 22 एअरकंडिशनर की खरीदी हेतु 45 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है. यह प्रावधान अगले बजट में भी किया जा सकता था. ऐसे में अभी इस पूरक बजट में इस राशि का प्रावधान करने की जल्दबाजी क्यों की, यह सवाल सीनेट सदस्य डॉ. बी. आर. वाघमारे द्वारा उठाया गया.

पीठासीन सभापति ने हाथ जोडकर मांगी माफी

विद्यापीठ के पूरक बजट को लेकर बुलाई गई सभा में पीठासीन सभापति व प्रभारी कुलगुरू डॉ. एफ. सी. रघुवंशी ने विद्यापीठ के वित्त व लेखा विभाग की ओर से सीनेट सदस्यों की हाथ जोडकर माफी मांगी. इस समय कुछ हद तक भावविवश होते हुए उन्होंने कहा कि, वित्त व लेखा विभाग से गलती हुई है. किंतु इस विषय को लेकर दुबारा सीनेट सभा बुलाते हुए विद्यापीठ पर आर्थिक बोझ न डाला जाये. जिस पर प्रा. विवेक देशमुख ने आक्षेप उठाते हुए कहा कि, गलतियों व गडबडियों से भरे बजट को स्वीकार ही क्यो किया जाये. पश्चात कहा गया कि, सारी गलतियों को दुरूस्त करते हुए पूरक बजट पत्र की प्रतिलिपियां सभी सदस्यों को दी जायेगी. जिसके बाद पूरक बजट पत्र को मंजूरी दी गई.

विद्यापीठ का नैक मानांकन घसरने का मामला भी उछला

इस सीनेट सभा के दौरान राज्यपाल द्वारा नामनिर्देशित सदस्य मनीष गवई ने विद्यापीठ में रिक्त पदों का मसला उठाते हुए कहा कि, विद्यापीठ में 474 पद मंजूर रहने के बावजूद अब तक उन्हेें भरा नहीं गया है. विद्यापीठ को नैक का ‘अ’ मानांकन नहीं मिलने के पीछे यह भी एक प्रमुख वजह है. मनुष्यबल ही नहीं रहने की वजह से विद्यापीठ के कामकाज में काफी तकलीफों का सामना करना पडता है और अस्थायी तौर पर ठेका नियुक्त कर्मचारियों के जरिये काम करवाना पड रहा है. साथ ही सीनेट सदस्य प्रा. विवेक देशमुख ने कहा कि, देश के प्रथम 100 विद्यापीठों की सूची में अमरावती का समावेश नहीं है. वहीं पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले विद्यापीठ विगत पांच वर्षों से प्रथम 11 विद्यापीठों में अपना स्थान बनाये हुए है. ऐसे में पुणे विद्यापीठ की प्रगति का अध्ययन करने हेतु अमरावती विद्यापीठ की एक समिती पुणे भेजी जानी चाहिए. इसके अलावा अन्य कई अच्छे विद्यापीठों का भी अध्ययन करते हुए अमरावती विद्यापीठ के कामकाज की गुणवत्ता व स्तर में सुधार किया जाना चाहिए, ताकि नैक मानांकन में होनेवाली गिरावट को रोका जा सके.

पद भरती का मामला भी गूंजा

इस सीनेट सभा में विद्यापीठ में रिक्त रहनेवाले पदों और पद भरती में हो रही लेटलतीफी का मामला भी जमकर गूंजा. नूटा के अध्यक्ष व सीनेट सदस्य प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने कहा कि, विद्यापीठ में शिक्षकों के 13 पद मंजूर हुए थे, किंतु समय पर कार्रवाई नहीं होने के चलते इन पदों को खारिज कर दिया गया. ऐसे में पद भरती के लिए विद्यापीठ द्वारा केवल प्रयास करने से काम नहीं चलेगा. बल्कि इसके लिए इच्छाशक्ति भी जागरूक करनी होगी. इस चर्चा में शामिल होते हुए प्रा. विवेक देशमुख ने कहा कि, अस्थायी व ठेका नियुक्त कर्मचारियों को नियुक्त करते समय उन्हें परीक्षा विभाग व गोपनीय विभाग के काम न सौंपे जाये. अन्यथा इससे विद्यापीठ के लिए ही खतरा पैदा हो सकता है. साथ ही सीनेट सदस्य वसंत घुईखेडकर ने कहा कि, बडे पैमाने पर पद रिक्त रहने के चलते विद्यापीठ का नुकसान हो रहा है. जिसके संदर्भ में खुद उन्होंने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के साथ चर्चा की है और वे जल्द ही इस विषय को लेकर पवार के साथ दुबारा चर्चा करेेंगे.

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