अमरावती

विविध आपदाओं से थर्राया जिला

दर्यापुर के सुकली में हुआ भूस्खलन

चांदूर रेल्वे के मांजरखेड में बहा वृध्द
धामक गांव में भारी बारिश से मकान ढहा
अमरावती-/दि.17 लगातार बारिश अब ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नैसर्गिक आपदा साबित हो रही है. शुक्रवार को ऐसी ही तीन अलग-अलग प्राकृतिक आपदावाली घटनाओं से अमरावती जिला थर्रा उठा. इस क्रम में दर्यापुर तहसील के अंतिम छोर पर बसे सुकली गांव में लगातार शुरू भूस्खलन से गांव के कई मकान जमींदोज हो गये. भारी बारिश ने सुकली गांववासियोें का यह संकट और भी बढा दिया है. वहीं चांदूर रेल्वे तहसील में मकान ढहने की लगातार दूसरी घटना में भी युवक की समय-सूचकता से एक परिवार बाल-बाल बच गया. चांदूर रेल्वे तहसील के ही मांजरखेड में एक वृध्द खोलाड नदी में बह गया.
जानकारी के अनुसार दर्यापुर तहसील के सुकली गांव के चारों ओर नदी किनारे की जमीन खिसकती जा रही है. गांव में अब तक लगभग 30 प्रतिशत जमीन भूस्खलन के कारण खिसकी है. जिससे गांव के कई मकान जमींदोज हो गये है. वर्ष 2013 में बडे पैमाने पर भूस्खलन का सिलसिला शुरू है. भारी बारिश में यह और भी भयावह हो जाता है. प्रतिवर्ष ग्रीष्म ऋतु में सुकली गांव के चारों ओर की जमीन में दरारें पडती हैं. बारिश के बाद जमीन का हिस्सा भूस्खलन से खिसक जाता है. लगातार इस सिलसिले के कारण गांव के नागरिकों में जबर्दस्त भय देखा जा रहा है. नदी किनारे रहनेवाले लोगों की रात की नींद हराम हो गई है. भूस्खलन के कारण मकान कब जमींदोज हो जाएगा, इसका कोई भरोसा नहीं रहा है.
* विधायक ने देखी सुकली की गंभीर स्थिति
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दर्यापुर के विधायक बलवंत वानखडे ने तहसीलदार योगेश देशमुख, सिंचाई विभाग के उपविभागीय अभियंता आडे, कनिष्ठ अभियंता हिरेकर के साथ पहुंच कर सुकली गांव में भूस्खलन का जायजा लिया. सिंचाई व राजस्व विभाग को तत्काल उपाययोजना के निर्देश दिए. इस बारे में जिलाधीश पवनीत कौर से संपर्क कर विधायक वानखडे ने सुकली में निरंतर भूस्खलन को देखते हुए प्रशासन की बैठक बुलाने का आग्रह किया.

युवक की सजगता से बाल-बाल बचा परिवार
चांदूर रेल्वे तहसील में लगातार बारिश के कारण नैसर्गिक आपदा का सामना करना पड रहा है. तहसील के कवठा कडू में दो दिन पूर्व रात मकान जमींदोज हो जाने की घटना के बाद अब तहसील के धामक में भी इसी तरह की एक घटना सामने आई है. धामक में शुक्रवार को तडके अविनाश इंगोले का पूरा परिवार मकान ध्वस्त हो जाने पर चपेट में आने से बाल-बाल बच गया. तडके 5 बजे गहरी नींद ले रहे अविनाश पर मिट्टी गिरी. जिसके कारण वह हडबडा कर जाग उठा. उसे समझते जरा भी देर नहीं लगी और परिवार के सभी सदस्यों को नींद से उठाकर तुरंत मकान से बाहर ले गया. जिसके तुरंत बाद कुछ ही क्षणों में मकान जमींदोज हो गया. अविनाश इंगोले के अनुसार घटना के समय उनका बडा भाई विक्की, भाभी, चार वर्ष का भतीजा, छह माह की भतीजी घर में गहरी नींद सो रहे थे. इस तरह अविनाश इंगोले की समय-सूचकता से पूरा परिवार बाल-बाल बच गया. अन्यथा अनर्थ हो जाता. घटना की सूचना मिलते ही विधायक प्रताप अडसड ने तत्काल क्षतिग्रस्त मकान का पंचनामा कर संबंधित परिवार को मुआवजा देने और उनके रहने की व्यवस्था के आदेश तहसील प्रशासन को दिये.
बता दें कि, यवतमाल स्थित बेंबला प्रकल्प अंतर्गत धामक गांव का अंशत: 218 मकानों का पुनर्वसनप वर्ष 2020 में किया गया. जिसमें से 35 मकानों की दीवारे पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. गांव से सटी नदी का पानी धामक गांव में घुस आता है. जिसके कारण पुनवर्सित गांव के अधिकांश मकानों की दीवारें कब ढह जाएंगी, इसका कोई भरोसा नहीं रहा है. उसके बावजूद अभी भी पुनवर्सित धामक निवासियों को मकान की मरम्मत तक करने का अधिकार नहीें है और ना ही यहां से स्थलांतरित होने का. जिससे धामक निवासी समस्याओं से ग्रस्त है.

Related Articles

Back to top button