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प्रभाग रचना रिपोर्ट को लेकर मनपा का ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’

गोपनीय रिपोर्ट लीक हो जाने के बाद अब ‘खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे’

* राज्य निर्वाचन आयोग से शो-कॉज मिलने के बाद मनपा का ‘मंडल’ को ‘शो-कॉज’

* प्रशासन कर रहा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडने का प्रयास

* पूरी नोटीस में किस बात का कारण बताना है, यह स्पष्ट नहीं

अमरावती/दि.3- राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर अमरावती मनपा प्रशासन को बेहद गोपनीय तरीके से अमरावती मनपा क्षेत्र में नई प्रभाग रचना का प्रारूप तैयार करना था और 30 नवंबर से पहले इस गोपनीय रिपोर्ट को राज्य निर्वाचन आयोग के पास सिलबंद पेनड्राईव के जरिये पेश करना था. किंतु 30 नवंबर की दोपहर में ही मनपा की ओर से प्रभाग रचना को लेकर तैयार किये गये कच्चे प्रारूप की रिपोर्ट लीक हो गई और दैनिक अमरावती मंडल के पास प्रभाग रचना के कच्चे प्रारूप का पूरा ब्यौरा उपलब्ध हो गया. जिसे व्यापक जनहित में और अमरावती शहर की जनता की जानकारी हेतु हमने प्रकाशित भी किया, जो कि लोकतंत्र का चौथा मजबूत व विश्वसनीय स्तंभ होने के नाते हमारा अधिकार और कर्तव्य भी है. किंतु दैनिक अमरावती मंडल द्वारा प्रभाग रचना के प्रारूप की रिपोर्ट और पूरा ब्यौरा प्रकाशित किये जाने के बाद स्थानीय प्रशासन सहित राजनीतिक क्षेत्र में जबर्दस्त हडकंप मच गया. जिसकी गूंज मुंबई मंत्रालय और राज्य निर्वाचन आयोग के कार्यालय तक भी पहुंची. जिसके पश्चात रिपोर्ट लीक होने के मामले को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मनपा प्रशासन को कारण बताओ नोटीस जारी की गई. ऐसे में मनपा के स्थानीय अधिकारियों की हालत पतली हो गई और उन्होंने दैनिक अमरावती मंडल के नाम विभिन्न संदर्भ पत्रों का हवाला देते हुए कारण बताओ नोटीस जारी की है. जिसे ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ कहा जा सकता है और कुल मिलाकर मनपा अधिकारियों की स्थिति ‘खिसियानी बिल्ली खंबा नोंचे’ वाली हो गई है.
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, मनपा प्रशासन द्वारा आज शुक्रवार 3 दिसंबर की दोपहर 2 बजे दैनिक अमरावती मंडल के नाम शो-कॉज नोटीस जारी की गई. जिसमें आज ही दोपहर 3 बजे मनपा प्रशासन के समक्ष उपस्थित रहकर स्पष्टीकरण देने हेतु कहा गया. किंतु करीब 8-10 पंक्तियोंवाली इस नोटीस में इस बात का स्पष्ट तौर कहीं कोई उल्लेख ही नहीं है कि, आखिर स्पष्टीकरण किस बात का देना है और कारण किस चीज का बताना है. क्या हमसे खबर की सत्यता को लेकर सवाल पूछा जा रहा है, या फिर यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि, आखिर हमें यह खबर कहा से मिली थी. ऐसे में मनपा प्रशासन को यह नहीं भूलना चाहिए कि, संविधान के अनुच्छेद 19 अ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता परिभाषित की गई है और हमने अपनी पत्रकारीय जिम्मेदारी का बेहद जिम्मेदाराना पूर्ण ढंग से पालन किया है. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रभाग रचना को लेकर जारी की गई गोपनियता की शर्त मनपा प्रशासन और मनपा के घटक प्रमुख के लिए लागू थी. उसे दायरे में कोई अखबार नहीं आता. इसके साथ ही मनपा प्रशासन द्वारा नोटीस जारी करते हुए हमें जिस जांच समिती के समक्ष उपस्थित रहने और अपना जवाब पेश करने हेतु निर्देशित किया गया है, तो सबसे बडा सवाल यह है कि, क्या खुद मनपा प्रशासन के पास ऐसा कोई अधिकार है, जिससे वह किसी पंजीकृत अखबार को निर्देशित कर सके. साथ ही क्या मनपा द्वारा गठित किसी जांच समिती के अधिकार क्षेत्र में किसी अखबार से पूछताछ करना शामिल है. वहीं मनपा प्रशासन को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि, किसी भी अखबार या संवाददाता से उसकी खबर का स्त्रोत नहीं पूछा जा सकता.
‘खिसियानी बिल्ली खंबा नोंचे’ वाली कहावत का प्रयोग हमने इसलिए किया, क्योंकि प्रभाग रचना के कच्चे प्रारूप की रिपोर्ट को गोपनीय तरीके से तैयार करने और पूरी गोपनियता के साथ उस रिपोर्ट को राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश करने की जिम्मेदारी मनपा प्रशासन और मनपा के निर्वाचन विभाग की थी. किंतु जिस दिन यह रिपोर्ट पेश की जानी थी, उसी दिन उस रिपोर्ट का पूरा ब्यौरा प्रकाशित कर दैनिक अमरावती मंडल ने यह साबित कर दिया कि, अमरावती महानगरपालिका में गोपनीय कुछ भी नहीं है और यहां से कोई भी जानकारी कभी भी लीक हो सकती है. ऐसे में मनपा प्रशासन ने अपने भीतर रहनेवाले ‘लीकेज’ की दुरूस्ती पर ध्यान देना चाहिए. किंतु ऐसा करने की बजाय मनपा प्रशासन दैनिक अमरावती मंडल जैसे प्रतिष्ठित अखबार के नाम शो-कॉज नोटीस जारी करते हुए अपनी बौखलाहट का प्रदर्शन कर रहा है. ऐसे में मनपा की स्थिति ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ वाली हो गई है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, दैनिक अमरावती मंडल द्वारा 30 नवंबर को प्रभाग रचना के कच्चे प्रारूप की रिपोर्ट प्रकाशित होते ही जहां एक ओर मनपा प्रशासन को राज्य निर्वाचन आयोग की फटकार के साथ ही शो-कॉज नोटीस का सामना करना पडा, वहीं मनपा पदाधिकारियों व पार्षदों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के स्थानीय नेताओं द्वारा भी इस विषय को लेकर मनपा प्रशासन को जमकर आडे हाथ लिया जा रहा है. जिससे मनपा प्रशासन न तो इसे उगल पा रहा है और न ही निगल पा रहा है. बता दें कि, उस खबर को प्रकाशित हुए चार दिन बीत जाने के बावजूद मनपा प्रशासन ने उस खबर का अब तक अपनी ओर से न तो कोई खंडन ही किया है और न ही उसे लेकर कोई स्पष्टीकरण ही जारी किया है. बल्कि खबर छापने को लेकर दैनिक अमरावती मंडल से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है. यह तो सीधे-सीधे उल्टी गंगा बहानेवाली स्थिति हो गयी, जबकि जवाब तो खुद मनपा प्रशासन ने देना चाहिए कि, आखिर गोपनीय ढंग से तैयार की गई और बेहद गोपनीय तरीके से निर्वाचन आयोग के पास भेजी गई रिपोर्ट लीक कैसे हो गई.

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