विठोबा के चरणों में मिली दिव्यांग रुपा को मिला पहला वेतन
अचलपुर नगर परिषद में विकलांग के पुनर्वसन में रचा इतिहास
* खुशी के आंसू के साथ वेतन लेकर पहुंची शंकर बाबा के पास
अमरावती/ दि.22 – पंढरपुर के विठोबा की सीढियों पर लावारिस मिली दिव्यांग रुपा का लालन-पालन वझ्झर स्थित शंकर बाबा पापलकर के आश्रम में हुआ. जिलाधिकारी के प्रयास से उसे अचलपुर नगर परिषद के स्वास्थ्य विभाग में लिखने का काम मिला और रुपा को पहला वेतन हाथ में मिला. इस खुशी में झलकती आँखों के साथ वह तत्काल अपने आश्रम पहुंची और पहला वेतन शंकरबाबा पापलकर के हाथों में रखा.
रुपा को 100 प्रतिशत पोलिओ है. कमर से दोनों पैर खराब होने के कारण 25 वर्ष पूर्व उसके माता-पिता उसे पंढरपुर के विठोबा की सीढियों पर छोडकर चले गए थे. पुलिस ने उसे उठाकर पालकों की खोज की, परंतु पालकों का कही पता नहीं चला. आखिर अदालत के आदेश पर परतवाडा आकर यहां से 8 किलोमीटर दूर वझ्झर के स्व. अंबादास पंत वैद्य मतिमंद लावारिस बालगृह के संचालक शंकर बाबा पापलकर के कब्जे में आजीवन पुनर्वसन के लिए उसे सौंप दिया. शंकर बाबा ने उसे 12 वीं तक पढाई कराई. बालगृह की मंजूला नामक लडकी खुद की लडकी की जैसे उसका लालन-पालन करती थी. पढाई का खर्च पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य ने उठाया था. उसका आधार कार्ड बनाया गया.रुपा 12 वीं पास होने के बाद आगे उसका क्या होगा, इसकी चिंता शंकर बाबा को सताने लगी. नियमानुसार 18 वर्ष के बाद उसे बालगृह से बाहर निकालना जरुरी था. इस दौरान उसकी किस्मत से जिलाधिकारी पवनीत कौर संस्था का मुआयना करने के लिए पहुुंची. तब शंकर बाबा ने विनंती कर मेरी रुपा को कोई भी नौकरी देकर उसका जीवन सवारे, ऐसी विनंती की.
जिलाधिकारी ने तत्काल अचलपुर के एसडीओ अपार को बुलाया. उसे अचलपुर नगर परिषद में फिलहाल ठेेके पर नौकरी देने का जिलाधिकारी ने कहा. ऐसे में एसडीओ अपार ने क्षणभर की देरी न लगाते हुए अचलपुर के मुख्याधिकारी राजेंद्र फातले को यह बात बताई, तब नप के स्वास्थ्य विभाग में उसे लिखने का काम दिया गया. रुपा 14 नवंबर से नियमित सुबह 10.30 बजे से 5 बजे तक नौकरी करती है. कल दोपहर 4 बजे प्रशासकीय अधिकारी ने उसे 6 हजार रुपए पहला वेतन दिया. अपनी पहली कमाई देखकर खुशी से उसकी आँखे झलक गई. वह तत्काल अपना पहला वेतन लेकर शंकरबाबा के पास गई. बाबा के हाथ में उसने अपना वेतन रख दिया. यह क्षण भावातूर था. उस लडकी और शंकर बाबा के आँखों से खुशी के आँसू बहने लगे. बाबा ने तत्काल जिलाधिकारी पवनीत कौर को फोन कर इस आत्मविभोर आनंद में उन्हें भी शामिल किया.
अचलपुर नप का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा
देश के लावारिस दिव्यांगों के पुनर्वसन में अचलपुर नगर परिषद का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. रुपा को नौकरी के लिए कार्यालय आने जाने हेतू पुणा से इलेक्ट्रीक साईकिल लाकर दूंगी, ऐसा जिलाधिकारी पवनीत कौर ने कहा है.
– शंकर बाबा पापलकर, संचालक स्व. अंबादास पंथ वैद्य, मतिमंद लावारिस बालगृह, वझ्झर