अमरावती-/ दि. 10 रात के अंधेरे में आसमान देखते समय कभी कभार क्षणभर के लिए एक प्रकाशमय रेखा चमकती हुई दिखाई देती है. इससे लोग तारा टूटना कहते है. वह प्रकाश की रेखा किसी तारे की नहीं होती है. बल्कि वह एक खगोलिय घटना होती है. तारा कभी नहीं टूटता. इसी तरह की उल्का वर्षा आगामी 17 से 20 नवंबर तडके सिंह तारा समूह में बडे पैमाने में होगी. जिसका दुर्लभ अनुभव खुली आँखों से लिया जा सकता है.
इसका ‘लियोनिड्स’ यह प्रसिध्द नाम है. उल्का वर्षा की तीव्रता, तारीख व समय पुख्ता नहीं बताया जा सकता. इसके कारण देखने की तैयारी और अन्य वक्त में भी उल्का देखने का प्रयास करे, ऐसा आह्वान खगोल तज्ञों व्दारा किया गया है. उल्का का निरीक्षण और उस निरीक्षण को दर्ज करने की खगोल जगत में काफी जरुरत है. जिस समय कोई उल्का अपनी ओर गिरता हुआ दिखाई देता है, उस बारे में लोगों की अंधश्रद्धा है. इस अंधश्रद्धा का खगोल शास्त्र में कोई आधार नहीं है. सिंह तारा समूह में होने वाली उल्का वर्षा ‘टेम्पलटल’ इस धुमकेतू के अवशेषों के कारण होती है. यह धुमकेतू हर 33 वर्ष में सूर्य से मिलता है. उल्का वर्षा साधे आँखों से देर रात के बाद घर के छत या बाहर जाकर अंधेरे से देखी जा सकती है. सभी खगोल प्रेमी व जिज्ञासू व्यक्ति उल्का वर्षा का दुर्लभ दृश्य जरुर देखे, ऐसा आह्वान मराठी विज्ञान परिषद के विभागीय अध्यक्ष प्रवीण गुल्हाने व खगोल अभ्यास विजय गुरुलकर ने किया है.