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धरती से लेकर आसमां तक दिवाली की जगमगाहट

शाम ढलते ही रोशनी से नहाई अंबा नगरी

* हर्ष के साथ मनाई गई दिवाली
* सूर्यास्त होते ही पूजा पाठ
* जमकर फोडे गये पटाखें
* दोपहर से ही लग गये थे तैयारी में
* शाम ढलते ही हर प्रतिष्ठान से आने लगा लक्ष्मी आवाहन का निनाद
* प्रदोषकाल में हुई पूजा
* घर के प्रवेश द्बार पर तोरण, झालर, दीये से सजाया गया
अमरावती/दि.25 – देश के सबसे उत्साहित कर देने वाले प्रकाश पर्व पर अंबा नगरी में भी न केवल अनूठा उत्साह, उल्लास, उमंग छायी रही. अपितु जन-जन ने हर्ष से दिवाली मनाई. जिसके कारण धरती से लेकर आसमान तक चहुंओर दिवाली की जगमगाहट नजर आयी. उसी प्रकार परंपरा तथा श्रद्धा-आस्था के साथ बाल-गोपालों का पटाखें बजाने का आनंद भी सर्वत्र नजर आया. शाम ढलते ही अंबानगरी रंगबिरंगी रोशनी से नहा उठी थी. सोशल मीडिया पर भी बधाई संदेशों का आदान-प्रदान सुबह से देर रात तक जारी रहा.
* आम के पत्तों की वंदनवार, गेंदें की झालर
महालक्ष्मी का पूजन करने से पूर्व घर-प्रतिष्ठान को सुंदर सजाने की रीति नीति भी खूब अपनाई गई. प्रवेश द्बार पर आम के पल्लवों का तोरण सजाया गया. गेंदें के फूलों से झालर लगाई गई. सभी तरफ चकाचक किया गया. महालक्ष्मी को गंदगी और धूल जरा भी पसंद नहीं. इसलिए दुकानदारों ने खुद अपने परिसर की स्वच्छता की. अनेक स्थानों पर पूजा सजाने से पहले गोधन से लीपन भी किया गया. इसे भी परंपरा से जोडकर देखा जाता है.
* प्रदोष-वृषभ काल में पूजन
दिवाली पूजन का पुरोहितों ने मुहूर्त बतलाया था. अधिकांश घर और प्रतिष्ठान में परंपरा के अनुसार गोधूलि बेला में लक्ष्मी पूजन किया गया. उस समय प्रदोष-वृषभ काल बताया गया था. परंपरागत परिधान में घर, दुकान, कार्यालय, प्रतिष्ठान में पूजन किया गया.
* पंडितों की आवभगत
पुरोहितों की लक्ष्मी पूजन हेतु बडी मांग थी. इसलिए यजमान सतत पंडितों के संपर्क में रहे. ऐसे ही मुहूर्त के बावजूद अनेक पंडितों ने 4-5 यजमानों के यहां पूजा करवाई. उनकी एक स्थान से दूसरे स्थान की भागादौडी भी लोगों ने देखी.
* शहर में चहल-पहल
दिवाली का दिन होने के बावजूद ऐन समय तक खरीददारी का दौर चलता रहा. कपडे और मिठाई, ड्रायफ्रूट की दुकानों पर लगातार भीड नजर आ रही थी. ऐसे में शहरभर में सुबह से लेकर शाम तक बडी रौनक और चहल-पहल रही. झुग्गियों से लेकर गगन चुंबी इमारतों तक पर रोशनाई और दीयों की सजावट देखी गई.
* गरीबों को फराल वितरण
कुलीन घरों और प्रमुख प्रतिष्ठान के संचालकों ने जहां अपने घरगडी और सहायकों को दिवाली के इनाम के तौर पर कपडे आदि दिये. वहीं अनेक ने अपना सेवा और सौहार्दपूर्ण भाव व्यक्त करते हुए गरीबों को कपडे, फल, फराल, अनाज, किराणा वितरीत किया. लोगों की दिवाली का भी ध्यान रखा. जिसके कारण बडा सुंदर वातावरण तैयार हुआ था.

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