* ध्वनी प्रदुषण से बचने का आह्वान
अमरावती/ दि.5- त्यौहार उत्सव के समय होने वाली आतिषबाजी इसी तरह फिलहाल विवाह समारोह में होने वाले ध्वनी प्रदुषण से बचने के लिए महाराष्ट्र सरकार व पुलिस ने ठोस कदम उठाए है. इसी श्रृंखला में ध्वनी प्रदुषण की शिकायत जनता सीधे कर सके इसके लिए पुलिस के 112 क्रमांक पर शिकायत दे सकते है तथा महापालिका के पर्यावरण विभाग में भी शिकायत दर्ज कराना संभव है, परंतु ऐसी शिकायत देने के लिए कोई सामने नहीं आता यह हकीकत है.
ध्वनी प्रदुषण नियमों शिकायत प्राप्त होने पर कार्रवाई करनी ही चाहिए, ऐसे आदेश मुंबई उच्च न्यायालय ने 2016 में दिये है. नाम समेत, बेनाम, ई-मेल, फोन, एसएमएस, वॉट्सएप, टोल फ्री नंबर पर शिकायत दे सके, ऐसी सुविधा उपलब्ध कराने के आदेश दिये गए है. इस शिकायत का स्वतंत्र रजिस्टर रखा जाए, की गई शिकायत में शिकायतकर्ता को बताना बंधनकारक नहीं है. इसके अनुसार पुलिस कार्रवाई करती है. महापालिका में भी शिकायत दर्ज की जा सकती है. परंतु अपवाद को छोडकर प्रदुषण फैलाने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज की जाती है.
13 अपराध दर्ज
कर्कश आवाज, निर्धारित समय में न बजाना, अधिक डेसीबल में डीजे बजाने के मामले में पुलिस थाने में 13 अपराध दर्ज है, ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्र में अधिक डीजे बजाये जाते है. आपसी खुन्नस निकालने व केवल मजा लेने के लिए पुलिस के 112 क्रमांक पर कॉल किया जाता है. वलगांव पुलिस थाना क्षेत्र के एक गांव में ऐसी ही एक घटना उजागर हुई थी. जोकि बाद में झूठी साबित हुई.
ऐसी है ध्वनी मर्यादा
अधिनियम के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में दिन के वक्त 75 डेसीबल व रात के समय 70 डेसीबल ध्वनी मर्यादा होना चाहिए. व्यापारी क्षेत्र में दिन के वक्त 65 व रात के समय 55 डेसीबल, निवासी क्षेत्र में दिन के वक्त 55 और रात के वक्त 45 डेसीबल, शांत क्षेत्र में दिन के वक्त 50 व रात के वक्त 40 डेसीबल तक ध्वनी मर्यादा है. इसी मर्यादा के अंदर डीजे बजाना चाहिए. स्थानीय स्वराज संस्था ने ध्वनी प्रदूषण की शिकायत के लिए रजिस्टर रखने के निर्देश दिये गए थे. मगर पुलिस थाने में दर्ज अपराध को ही दस्तावेजों पर दिखाया जाता है. ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में ध्वनी प्रदुषण व डीजे के बारे में 65 से 70 शिकायत वर्षभर में प्राप्त हुई. उसमें से 13 से 14 मामले में अपराध दर्ज कर डीजे बरामद किये गए.