८ जिलों के आदिवासियों के आरक्षण को ठेस न लगें
बिरसा क्रांति दल ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री को भेजा निवेदन
प्रतिनिधि/दि.२०
अमरावती – राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों के ८ जिलों के अनूसुचित जनजाति के वृद्धीगत आरक्षण को ठेस नहीं लगने देने की मांग बिरसा क्रांति दल ने की है. इस संदर्भ में राज्यपाल भगतसिंग कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, मुख्य सचिव और मंत्रीमंडल उपसमिती के अध्यक्ष व सदस्यों को इमेल के जरीए निवेदन भेजा गया है. निवेदन में बताया गया है कि, सरकारी सेवा में सीधी सेवा पदभरती में अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग के लिए ७ फीसदी आरक्षण २००१ के अधिनियम के अनुसार निर्धारित किया गया है. सरकार ने ६ जून १९७२, १५ अक्टूबर १९८७, जून १९९४, १ सिंतबर १९९७, २० सितंबर १९९९, १३ अगस्त २००२ व ९ जनवरी २०१६ में जारी किए गए सरकारी निर्णय के अनुसार पालघर, नासिक, नंदूरबार इन जिलों के लिए २२ फीसदी, रायगढ ९ फीसदी, चंद्रपुर १५ फीसदी, यवतमाल १४ फीसदी, गडचिरोली २४ फीसदी आरक्षण दिया गया है. आदिवासी बहुल इलाकों के आदिवासियों पर अन्याय न हो इसके लिए जनजाति सलाहकार परिषद ने ५० वीं बैठक में किए सिफारिश के अनुसार ५ वीं अनुसूची के परीच्छेद ५ (१)के तहत तत्कालीन राज्यपाल विद्यासागर राव ने २९ अगस्त २०१९ के अध्यदेश द्वारा अनुसूचित क्षेत्र के जिन गांव की ५० फीसदी से अधिक जनसंख्या है वहां स्थानिय आदिवासियों को १८ संवर्ग पदों के लिए शत प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया है. जिन गांवों में कुल जनसंख्या २५ से ५० फीसदी है वहां पर ५० फीसदी व उससे कम रहने वाले गांवों में कोतवाल, पुलिस पाटिल के पद को कम कर शेष २५ फीसदी पदों को आरक्षण दिया गया है. लेकिन आदिवासी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण नहीं दिया गया है.