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बच्चों में पोस्ट कोविड सिंड्रोम
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१९ – कोरोना ग्रस्तों में बच्चों का 12 से 15 फीसदी आंकड़ा सामने आया है. वहीं 90 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जिनमें लक्षण न पाये जाने पर वे कोरोना संक्रमण से ठीक होकर घर लौटे हैं. लेकिन पोस्ट कोविड सिंड्रोम कुछ मरीजों में देखने को मिल रही है. इसके अलावा कोविड संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों सहित गर्भवती महिलाओं में कोरोना का संक्रमण बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. इसलिए लॉकडाउन खत्म होने पर भी बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलने देने की सलाह बालरोग विशेषज्ञों ने दी है.
कोरोना संक्रमित होने के बाद बच्चे 5-6 दिनों में ठीक हो रहे हैं. बावजूद इसके महीनेभर से लक्षण न पाये जाने वाले बच्चों को पोस्ट कोविड सिंड्रोम का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए बच्चों का खयाल रखना और उन्हें कोरोना का संक्रमण न हो, इस ओर अभिभावकों को ध्यान देना चाहिए. लेकिन इस ओर नजरअंदाज किया जा रहा है. अभिभावकों ने अपने बच्चों में लक्षण दिखाई देने पर उनकी जांच करवा लेनी चाहिए. इसके अलावा उन्हें घर से बाहर निकलने नहीं देना चाहिए. त्रिसूत्री का पालन करने की आदत उन्हें लगाये जाने की सलाह भी दी गई.
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बाल मरीजों के लिए स्वास्थ्य यंत्रणा का नियोजन
बच्चे कोरोना पॉजीटीव पाये जा रहे हैं. इसमें भी कोरोना पीड़ितों को पोस्ट कोविड सिंड्रोम का खतरा रहने से स्वास्थ्य यंत्रणा व्दारा नियोजन किया जा रहा है. ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता, कौन से इंजेक्शन व दवाईयां लगेगी, इसे लेकर बाल रोग विशेषज्ञों की राय ली जा रही है. प्रसूति विभाग व नवजात शिशु विभाग को एकत्रित करने का निर्णय भी प्रशासन ने लिया है. जिला सामान्य अस्पताल, सुपर स्पेशालिटी अस्पताल के पांच डॉक्टर्स को प्रशिक्षण दिया गया है. हाल की घड़ी के वेंटिलेटर अपडेट करने की जानकारी जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम ने दी.
15 वर्ष से अधिक बच्चों की इम्युनिटी पावर अच्छी होती है. इसलिए वे सुरक्षित हैं. फिर भी माता-पिता को बेखबर नहीं रहना चाहिए. बच्चों को लॉकडाउन के बाद भी बाहर खेलने से मना करना चाहिए वहीं घर से बाहर निकलते समय सभी उपाय योजनाओं के बारे में जानकारी देना चाहिए. संक्रमण से बच गये लोगों को अगला टीका मिलने तक संक्रमण का खतरा रहेगा. इसलिए किसी भी प्रकार के लक्षण पाये जाने पर बेखबर न रहते हुए जांच करवानी चाहिए.
– डॉ. हेमंत मुरके, बालरोग विशेषज्ञ
दूसरी लहर में भी बच्चे संक्रमित हुए है. लेकिन इस दौर में पालकों व्दारा अलग-अलग कारण बताते हुए टेस्टिंग टाली गई है. 90 फीसदी बच्चों मेंं लक्षण नहीं रहने वाले व सौम्य लक्षण पाये जाने वाली बीमारियां पायी गई. फिर भी जांच जरुरी है. जो बच्चे अब संक्रमित हुए है, उनमें महीनेभर में पोस्ट कोविड सिंड्रोम भी दिखाई दे रहे हैं. बुखार, आंखें लाल होना, सांस भर आना जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं. दूसरी लहर में ये बच्चे अब अस्पतालों में आ रहे हैं. इनका उपचार नॉनकोविड में किया जा रहा है. इसलिए जांच को टाले न जाने की सलाह दी गई है.
– डॉ. नाजीम अकरम, बालरोग विशेषज्ञ
बच्चों में कोरोना का संक्रमण न हो, इसके लिये अभिभावकों ने दक्षता लेना जरुरी है. भीड़ में जाना टालना चाहिए, मास्क का उपयोग करने, बच्चों के खेलने की जगह को साफ सुथरा रखना चाहिए. छोटे बच्चे बड़ों का अनुकरण करते हैं, इसलिए बड़ों को नियमों का कड़ाई से पालन करना जरुरी है. घर में आयसोलेट व्यक्ति का उपचार शुरु रहने पर बच्चों को उनके पास जाने से मना करना चाहिए.
– डॉ. नीलेश मोरे, बालरोग विशेषज्ञ